रायपुर। राष्ट्र-संत ललितप्रभ सागर महाराज ने कहा कि दुनिया में अच्छाइयाँ भी हैं और बुराइयाँ भी। आपको वही नज़र आयेगा जैसा आपका नज़रिया है। अच्छी दुनिया को देखने के लिए नज़ारों को नहीं, नज़रिये को बदलिए। हम केवल अच्छे लोगों की तलाश मत करते रहें, वरन खुद अच्छे बन जाएं। ताकि हमसे मिलकर शायद किसी की तलाश पूरी हो जाए। उन्होंने कहा कि लोग कहते हैं जब कोई अपना दूर चला जाता है तो तकलीफ होती है। परंतु असली तकलीफ तब होती है जब कोई अपना पास होकर भी दूरियाँ बना लेता है। याद रखें, किसी को सजा देने से पहले दो मिनट रुकि ये। याद रखिये, अगर आप किसी की एक गलती माफ करेंगे, तो भगवान आपकी सौ गलतियाँ माफ करेगा। गलती जिंदगी का एक पेज है, पर रिश्ते जिंदगी की किताब। जरूरत पडऩे पर गलती का पेज फाड़िए, एक पेज के लिए पूरी किताब फाडऩे की भूल मत कीजिए। उन्होंने कहा कि बड़ी सोच के साथ दो भाई 40 साल तक साथ रह सकते हैं वहीं छोटी सोच उन्हीं भाइयों को 40 मिनट में अलग कर सकती है। भाई के प्रति हमेशा बड़ी सोच रखिए, क्योंकि दुख-दर्द में वही आपका सबसे सच्चा मित्र साबित होगा। याद रखें, पैर में मोच और दिमाग में छोटी सोच आदमी को कभी आगे नहीं बढऩे देती। कदम हमेशा सम्हलकर रखिए और सोच हमेशा ऊँची।
संतप्रवर बुधवार को टैगोर नगर में भंसाली परिवार द्वारा आयोजित प्रवचन कार्यक्रम में श्रद्धालु भाई बहनों
को सकारात्मक सोचने की कला सिखाते हुए संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि एक मिनट में ज़िंदगी नहीं बदलती, पर एक मिनट में सोचकर लिया गया फैसला पूरी ज़िंदगी बदल देता है। केवल किस्मत के भरोसे मत बैठे रहिये। जीवन में योग्यताओं को हासिल कीजिए। किस्मत से कागज तो उड़ सकता है, पर पतंग तो काबिलियत से ही उड़ेगी। भाग्य हाथ की रेखाओं में नहीं अपितु व्यक्ति के पुरुषार्थ में छिपा है। इस दुनिया में नसीब तो उनका भी होता है जिनके हाथ नहीं होते। हार और जीत हमारी सोच पर निर्भर है। मान लिया तो हार और ठान लिया तो जीत।
उन्होंने कहा कि जीवन में आगे बढऩे के लिए आत्मविश्वास जगाइये। खाली बोरी कभी खड़ी नहीं रह सकती और तकिये से कभी कील ठोकी नहीं जा सकती। जो लोग अपने हाथों का उपयोग हाथ पर हाथ रखने के लिए करते हैं, वे हमेशा खाली हाथ ही बैठे रहते हैं। भाग्य की रेखाएँ चमकाने के लिए लक्ष्य के साथ मेहनत कीजिए, आप पाएँगे आपकी किस्मत केवल चार कदम दूर थी। उन्होंने कहा कि भाग्य को हरा-भरा रखने के लिए सदा सत्कर्म का पानी डालते रहिये। आखिर हरी घास तभी तक हरी रहेगी, जब तक उसे पानी मिलता रहेगा। जीवन में केवल लाभ ही मत कीजिए कभी उसे पलट कर लोगों का भला भी कीजिए।
इस दौरान डॉ मुनि शांतिप्रिय सागरजी ने मानसिकता को सुंदर बनाने के लिए मार्गदर्शन दिया। इस अवसर पर भंसाली परिवार के महिला मंडल ने गुरुजनों का स्वागत गीत प्रस्तुत किया। प्रवचन कार्यक्रम में जिन कुशल सूरी जैन दादावाड़ी श्री संघ बेंगलुरु और पारसनाथ जैन श्री संघ बालाघाट के पदाधिकारियों ने गुरुजनों से आशीर्वाद लिया और श्री ऋषभदेव जैन मंदिर ट्रस्ट द्वारा उनका अभिनंदन किया गया। इस अवसर पर गुरुजनों ने भंसाली परिवार में 14 भाइयों का परिवार एक साथ रहने के लिए उनके पारस्परिक प्रेम और सद्भाव को रायपुर नगर के लिए आदर्श बताया। मंच संचालन कमल भंसाली द्वारा किया गया और आभार अभय भंसाली ने दिया।