छत्तीसगढ़

सड़क हादसे में हुई थी बेटे की मौत, बेसहारा बाप काट रहा सरकारी दफ्तरों के चक्कर

Shantanu Roy
21 March 2022 6:30 PM GMT
सड़क हादसे में हुई थी बेटे की मौत, बेसहारा बाप काट रहा सरकारी दफ्तरों के चक्कर
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3 साल से मुवाअजे के लिए भटक रहा पिता

मुंगेली। जिले में सिस्टम का अमानवीय चेहरा सामने आया है. एक गरीब और मजबूर पिता सड़क दुर्घटना में मृत अपने जवान बेटे के मौत से मिलने वाली सहायता राशि के लिए 3 साल से चक्कर काट रहा है, लेकिन आज तक सड़क दुर्घटना में मृत व्यक्ति के परिजन को दी जाने वाली सहायता राशि उन्हें नहीं मिली है. आंखों में जवान बेटे के गम के आंसू लिए इस पिता की आंखें पथरा गई हैं, लेकिन जिम्मेदार अधिकारियों का दिल नहीं पसीजा.

और तो और कई बार दफ्तरों में जाने के बावजूद काम नहीं होने पर हताश पिता जब नाजिर शाखा के अधिकारी कर्मचारियों के पास जाता है, तब उन्हें जवाब भी गोलमोल मिलता है. न्याय की आस लिए मजबूर पिता ने अब कलेक्टर से गुहार लगाई है. दरअसल, जरहागांव थाना अंतर्गत ग्राम छतौना के रहने वाले ईश्वर कश्यप के 22 वर्षीय जवान पुत्र की 1 सितम्बर 2019 को सड़क हादसे में मौत हो गई, जिसके बाद उन्होंने सड़क दुर्घटना में मृतक के परिजन को सरकार द्वारा दी जाने वाली सहायता राशि के लिए मुंगेली एसडीएम कार्यालय में आवदेन लगाया. साल भर तक एसडीएम कार्यालय से लेकर नाजिर शाखा के दफ्तरों का चक्कर काटता रहा.
अधिकारियों से मिन्नतें करता रहा, तब कहीं जाकर एक साल बाद 26 नवंबर 2020 को एसडीएम कार्यालय से इनके नाम की स्वीकृति सम्बंधित आदेश जारी किया गया, जिसमें उन्हें 25 हजार रुपये आर्थिक सहायता दिए जाने का जिक्र किया गया है, लेकिन इसे सिस्टम की लापरवाही और बेचारगी समझे या फिर जिम्मेदार अधिकारियों की मनमानी? एसडीएम कार्यालय से 2020 में स्वीकृति मिलने के बाद भी आज तक उन्हें ये क्षतिपूर्ति के रूप में प्राप्त होने वाली सहायता राशि प्राप्त नहीं हुई है. पीड़ित ईश्वर कश्यप का कहना है कि अब तक वह सैकड़ों बार दफ्तरों का चक्कर काट चुका है, जिसमें उसे मिलनी वाली राशि का एक तिहाई खर्च यात्रा में गंवा चुका है. इसके बावजूद आज तक उन्हें यह सहायता राशि नहीं मिली है.
उनका कहना है कि जब वे एसडीएम दफ्तर जाते हैं, तब उन्हें यहां से स्वीकृति हो जाने की बात कही जाती है, जबकि नाजिर शाखा में पदस्थ अधिकारी कर्मचारी पहले तो स्वीकृति नहीं मिलने की बात कह रहे थे, लेकिन अब पिछले कई माह से यह कह रहे है कि उनके लिए आबंटित सहायता राशि किसी दूसरे के खाते में चली गई है. जब नया आबंटन आएगा, तब उनके खाते में इस बार राशि डलवाई जाएगी. यह बात वे पिछले 3-4 माह से कहते आ रहे हैं, जिसकी जानकारी उन्होंने मौजूदा एसडीएम साहब को भी दी, उन्होंने भी जल्द ही उन्हें सहायता राशि दिलवाने की बात कही, लेकिन महीनों बीत गए. अब तक कुछ नहीं हुआ.
यही वजह है कि थकहार कर उन्होंने आज कलेक्टर अजीत वसंत से इस सहायता राशि के लिए गुहार लगाई है, जिस पर कलेक्टर ने उन्हें 15 दिन में उनके खाते में सहायता राशि दिलवाए जाने का आश्वासन दिया है. इनके नाम की स्वीकृत राशि सेम नाम वाले किसी दूसरे व्यक्ति के खाते में ट्रांसफ़र हो गया. इसलिए नया आबंटन आते ही उन्हें यह सहायता राशि दे दी जाएगी. वहीं एसडीएम अमित कुमार ने भी यही बात दोहराई है, लेकिन सवाल ये है कि आधुनिकता के इस डिजिटल युग मे आखिर इतनी बड़ी गलती नाजिर शाखा में कैसे हुई. इसे गंभीरता से लेते हुए जिम्मेदार अधिकारियों को इसकी जांच कराई जानी चाहिए, जिससे ये पता चल सके कि इसके आड़ में कहीं कोई खेल तो नहीं खेला जा रहा है.
इधर जवान बेटे की मौत की सहायता राशि प्राप्त करने के लिए भटक रहे इस मजबूर पिता की सिस्टम से विश्वास उठ गया है. उनका कहना है कि दफ्तरों का चक्कर काट कर थक गया हूं. जिले की मुखिया से गुहार लगाया हूं. इसके बाद भी मेरा काम नहीं होगा तो मैं अब कहीं नहीं जाऊंगा. वहीं उन्होंने सरकार के प्रति भी नराजगी जाहिर करते हुए कहा है कि यदि सरकार के पास बजट नहीं है तो सड़क दुर्घटना में मृत लोगो के परिजनों को सहायता राशि देना बंद करे. और अगर देते भी हैं तो सिस्टम को ठीक करें, जिससे मेरे जैसा लाचार बाप अपने बेटा के मौत के पैसे के लिए इस कदर भटकने को मजबूर न हो.
Shantanu Roy

Shantanu Roy

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