रायपुर: सांसद राहुल गांधी ने मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के साथ ही विभिन्न योजनाओं के भी हितग्राहियों के साथ बैठकर परंपरागत छत्तीसगढ़ी खाना खाया। छत्तीसगढ़ी खाना कई मायनों में प्रदेश की समृद्ध खानपान परंपराओं की कहानी कहता है और इसी बहाने हमें यह भी पता चलता है कि किस तरह धान के कटोरे के रूप में छत्तीसगढ़ ने अपने अन्न रूपी धनधान्य को सुरक्षित रखा और विभिन्न परंपराओं से इसे सजाते रहा। छत्तीसगढ़ में पूड़ी के बजाय चौसेला का चलन अधिक था, यह पूड़ी की तरह होता था लेकिन इसकी सामग्री गेंहू के बजाय चावल की होती थी। उसी तरह इसे तेल में तला जाता था। उत्सवों में सुगंधित चावलों की परंपरा थी। सुगंधित चावल की अनेक प्रजातियां छत्तीसगढ़ की देन है और अब भी इसे सुरक्षित रखा है। देवभोग जैसे कस्बों के नाम तो इसी सुगंधित प्रजाति की वजह से जाना जाता है। थाली में अचार के साथ बिजौरी और लाईबरी का चलन भी है। लाइबरी धान से बनती है और बहुत स्वादिष्ट होती है। इसी प्रकार बिजौरी को देखें तो यह उड़द से तैयार होती है। छत्तीसगढ़ में उन्हारी फसलों की परंपरा थी। रोकाछेका किया जाता था ताकि मवेशी उन्हारी फसल न चर पाएं। दुर्भाग्य से यह परंपराएं लुप्त होती गईं। छत्तीसगढ़ में जब मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की सरकार आई तो इस लुप्त हो रही परंपरा को पुनः मुख्यधारा में शामिल किया गया, इसके साथ ही उन्हारी फसलों को बढ़ावा देने राजीव गांधी न्याय योजना से जोड़ा गया। उन्हारी फसलें न होने का बड़ा कारण यह भी था कि रबी फसल के लिए पर्याप्त पानी बोरवेल में नहीं रह पाता था, नरवा योजना के माध्यम से भूमिगत जल का रिचार्ज किया गया और इसके माध्यम से इस बार रबी में भी अच्छा पानी है और उन्हारी की फसलों के लिए अच्छा अवसर किसानों को उपलब्ध है। इस प्रकार छत्तीसगढ़ की परंपरागत थाली को पुनर्जीवित करने ठोस कार्य सरकार द्वारा किया गया है। सांसद राहुल गांधी जी की थाली में गुड़ से बना करी लड्डू भी रखा गया जो सबसे लोकप्रिय व्यंजन छत्तीसगढ़ में है। सरकार की योजनाओं के माध्यम से गन्ना उत्पादकों को भी सपोर्ट किया जा रहा है। इस तरह से थाली की स्वीट डिश भी सहेजने का उपक्रम सरकार द्वारा हुआ है।