- धमकी-चमकी देकर रजिस्ट्री के लिए बना रहा अवैध तरीके से दबाव
- 30 साल पहले आरडीए ने नाले में अवैध कब्जा कर दुकान आवंटित किया
- सूचना के अधिकार में आरडीए नहीं दे पाया ले-आउट और पास नक्शा
- आवंटियों को रजिस्ट्री कराने बेदखली के बदले 10 लाख की मांग
- 20 दुुकानदारों को नोटिस, दुकान आवंटन के लिए निकाला टेंडर
जसेरि रिपोर्टर
रायपुर। राजधानी के विकास में अहम योगदान निभाने वाले रायपुर विकास प्राधिकरण बांबे मार्केट के लिए दुकानदारों के लिए विनाशकारी साबित हो रहा है। मामला आज से 30 साल पहले राज टाकीज के सामने नाला जो मौदहापारा की ओर जाता है उस पर आरडीए ने दुकान बनाकर दुकानदारों को किराए पर दे दिया। दुकानदार लगातर पिछले 30 सालों से किराया पटा रहे है। प्रदेश में सत्ता परिवर्तन के साथ आरडीए के नए अध्यक्ष मनोनीत होते ही फरमान जारी कर दिया कि दुकान की रजिस्ट्री कराओ या फिर दुकान खाली कर दो। इस बेतुके फरमान को लेकर दुकानदारों ने इसके खिलाफ सूचना के अधिकार के तहत जानकारी मांगी की इस नाले पर बने दुकान का स्वामित्वधारी कौन है, आरडीए या नगर निगम। इस पर निगम ने दो दावा किया है कि यह नगर कि जमीन है जिस पर नाली निकासी हो रही है, जिस पर आरडीए ने जबरदस्ती दुकान बना अवैध तरीके से दुकान आवंटित कर पिछले 30 साल से किराया भाड़ा ले रहा है और अब अचानक किराए को खत्म कर दुकानदारों पर दुकान की रजिस्ट्री कराने के लिए नोटिस पर नोटिस पेल रहा है। जबकि इस नाले पर बने दुकान का स्वामित्व नगर निगम का है, जिसे आरडीए ने बलात कब्जा कर दुकान बनाकर दोहरा लाभ उठाते रहा है। आरडीए ने सूचना के अधिकार के तहत मांगी जानकारी में न तो वैध नक्शा और टाउन एंड कंट्री प्लानिंग से पास ले-आउट पेश नहीं कर सका है। नगर निगम ने आरडीए को स्पष्ट कहा है कि यह नाला जिस पर आरडीए ने दुकान बनाया है वह पूरी तरह अवैध है, जिस पर जबरन किराया भी 30 सालों से वसूला गया है। राजधानी की आबादी बढऩे के साथ बारिश के दिनों में जब नाला भर जाता है तो उसकी साफ-सफाई करने में नगर निगम अमला को दिक्कतों को सामना करना पड़ता है, ऐसे में अब स्थिति भयावह हो चुकी है। बारिश के पानी की निकासी को बाधित करने वाले सभी नालों को बड़ा करने का प्लान पिछले कई सालों से बनकर तैयार है जो लंबित है, यदि उस पर कार्रवाई शुरू हुई तो सबी दुकानों को तोडऩा पड़ेगा। ऐसे में वहां पर स्थापित 51 दुकानदारों को आरडीए कहा स्थापित करेगी, आरडीए के पास पास कोई विकल्प नहीं है। नाले पर बनी दुकानों का बेदखल होना तय है क्योंकि नाला पर बना दुकान अब जर्जर हो चुका है 50 साल पहले बने दुकान का टाइम लिमिट भी खत्म हो चुका है। ऐसे में आरडीए किस मुंह से दुकानदारों को दुकान की रजिस्ट्री कराने के लिए धमका रहा है, रजिस्ट्री के लिए आरडीए के पास पर्याप्त दस्तावेज ही नहीं है। उसने दुकान नाले पर अवैध तरीके से बनाकर अनाप-शनाप कमाई करने आज से 30 साल पहले दुकानदारों को आवंटित किया था, जिसका किराया भी वसूलते रहा है। अब नगर निगम नाले के विस्तार के लिए तैयार है, नाले की चौड़ाई बढ़ाने के लिए दुकानों को तोडऩा ही एकमात्र विकल्प है। उस पर आरडीए कैसे बलात कब्जा कर सकती है। जबकि जिस जमीन पर नाला है वह नगर निगम का है और आरडीए ने उस पर अवैध दुकान बनाकर 30 सालों तक कमाई कर रहा है। जबकि आरडीए का नाले पर कोई संवैधानिक अधिकार ही नहीं था,कि वह उस नाले पर दुकान बनाकर लोगों को किराए पर दे।
प्रशासन से लगाई गुहार
दुकानदारों ने कहा कि रायपुर विकास प्राधिकरण के द्वारा बाम्ब मार्केट योजना के अंतर्गत निर्मित दुकानो में हम लोग विगत 30-35 वर्षांे से भाड़ाकाय के आधार पर दुकानों का स्वामित्व प्राप्त कर अपना अपना व्यवसाय कर रहे हैं। यहां रायपुर विकास प्राधिकरण के द्वारा कुल लगभग 56 दुकानें निर्मित की गई थी जो कि वर्तमान में अत्यधिक जीर्ण शीर्ण तथा जर्जर अवस्था में ढांचा मात्र है जिसमें से दुकान क्र. डी सीरीज की कुल 25 दुकाने ऐसी दुकाने हैं जो कि नाले के ऊपर बनी है जिसके नीचे से शहर का गंदा नाला बना रहता है। रायपुर विकास प्राधिकरण के द्वारा दिनांक 17/09/2021 को समाचार पत्र दैनिक भास्कर में विज्ञापन जारी कियागया है जिसमें बाम्बे मार्केट योजना में व्यवसाय हेतु फ्री होल्डर पर इन 51 दुकानों के विक्रय हेतु निविदा विज्ञापन प्रकाशित की गई है। जिसमें नाले के ऊपर बनी हुई डी सीरीज की दुकानें भी शामिल है। रायपुर विकास प्राधिकरण के द्वारा इन सभी दुकानों का पुन: विक्रय किया जा रहा है। हम सभी विगत 30 वर्षांे से लीज डीड पर है किन्तु रायपुर विकास प्राधिकरण के के द्वारा इस प्रकाशित विज्ञापन के पश्चात हम सभी व्यापारियों में अपने व्यवसाय से वंचित होने तथा दुकानों के स्वामित्व का आधार समाप्त हो जाने का भय व्याप्त हो गया है।
नगर पालिका निगम रायपुर के समक्ष जनसूचना के अधिकार के तहत जानकारी की मांग की गई थी जिसमें न्यायापालिका निगम जोन क्र. 2 के द्वारा जानकारी प्रदान की गई जिसमें जोन आयुक्त जोन क्र. 2 के द्वारा मुख्य कार्यपालन अधिकारी ,रायपुर विकास प्राधिकरण को पत्र क्र. 24.09.2021 के द्वारा उपरोक्त नाले पर बनी हुई सभी दुकानों के विक्रय हेतु आमंत्रित निविदा पर पुन: विचार करने का निवेदन किया गया है। इसके अतिरिक्त उक्त दुकानों की पूर्व स्वीकृत लेआउट उपलब्ध कराये जाने का भी निवेदन किया गया है। इसी प्रकार जोन आयुक्त जोन क्र. 2 के द्वारा पत्र दिनांक 29.10.2021 में आरडीए के द्वारा लेआउट उपलब्ध नहीं कराये जाने पर निर्मित दुकानें अवैध होने के संबंधं में कथन किया गया है। इसके अतिरिक्त जलभराव से निजात पाने एवं अन्य मूलभूत सुविधाएं आम नागरिकों को प्रदान किए जाने के उद्देश्य से जनहित मे बाम्बे मार्केट योजना के अंतर्गत निर्मित नाले पर बने हुए दुकानों की निलामी पश्चात रजिस्ट्री पर रोक लगाने का निवेदन किया है।
रायपुर विकास प्राधिकरण के द्वारा नाले के ऊपर बनी हुई इन डी सीरीज में बनी सभी दुकानों के नीचे एक बडा नाला बहता है जिसमें शहर की सारी गंदगी बहती है इस नाले के ऊपर उक्त दुकानों को प्राधिकरण के द्वारा बनाया गया है। वर्तमान में इन डी सीरीज की सभी दुकानों की हालत अत्यधिक जर्जर हो चुकी है तथा मात्र ढांचा स्थित है। जिसमें किसी तरह हम लोगों के द्वारा अपने स्वयं के खर्च पर रखरखाव मरम्मत तथा रंग रोगन आदि किया जाता है तथा अपने जीवन यापन हेतु दुकानों का संचालन किया जा रहा है। दुकानों के नीचे बनी इन नालों को समय समय पर नगर निगम के द्वारा सफाई किया जाता है चुकि हमारी डी सीरीज की दुकानों के नीेचे कोई भूमि नहीं है। तथा नीचे में बहती हुई नाले के साफ सफाई अथवा बारिश के समय जलभराव की स्थिति में कभी भी हमारे दुकानों को नगर निगम के द्वारा तोड़ा अथवा हटाया जा सकता है जिससे हम सभी पर अपने व्यवसाय से वंचित कर दिए जाने की आशंका हमेशा बनी हुई है। रायपुर विकास प्राधिकर के द्वारा अब उक्त दुकानों को अवैधानिक रूप से दीगर व्यक्ति को फ्री होल्ड में विक्रय किए जाने का विज्ञापन समाचार पत्र में प्रकाशित होने से हम सभी व्यवसायी अपने दुकानो से बेदखल किए जाने की आशंका से ग्रस्त है। चूंकि हम सभी पुराने दुकानदार है। इसलिए उक्त स्थिति में हम सभी नाले के ऊपर बनी डी सीरीज के दुकानदारों को रायपुर विकास प्रधिकरण के द्वारा कहीं अन्यत्र व्यवसाय हेतु दुकान आबंटित किया जावे जिससे कि हम सभी अपने दुकानों का संचालन सुचारू रूप से जारी रख सके।
दुकानदार बेरोजगार होने की स्थिति में
बाम्बे माकेर्ट में 1972 में बनी 25 दुकान जो 120 वर्गफीट में बनाई गई है। इनको आरडीए ने पहले छोटे कारोबारियों को किराए पर दिया गया है और दुकानदार समय पर किराया भी पटा रहे हैं। लेकिन आरडीए दुकानों का मेंटेनेेंस कराने के बजाए अपने फायदे के लिए विभाग के कुछ तथा कथित लोग अधिक दर पर लीज कर देने की प्रक्रिया कर रहे हैं। जबकि दुकानदार किसी प्रकार के विवाद में नहीं है। दूसरी ओर रायपुर निगम और स्मार्ट सिटी के कई प्रोजेक्ट पर दस साल के भीतर काम होना तय है। इसे देखते हुए यहां के दुकानदार असमंजस में है। एक तरफ रोजगार बचाने की और दूसरी तरफ बाद में बेरोजगार होने की स्थिति बनने वाली है।
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