कवर्धा। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने आम जनता से अंतर्राष्ट्रीय श्रम दिवस के अवसर पर बोरे बासी खाकर अपनी संस्कृति के गौरव मनाने की अपील की है। मुख्यमंत्री ने अपने संदेश में कहा कि पिछले साल हम लोगों ने एक मई को बोरे बासी तिहार मनाया था। इस बार भी बोरे बासी तिहार मनाएंगे। मुख्यमंत्री ने आम नागरिकों से ऐसे ही उत्साह के साथ इस बार भी बोरे बासी तिहार में शामिल होने का आग्रह करते हुए इसे सोशल मीडिया में शेयर करने की अपील की है।
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— Raipur (@RaipurDist) April 30, 2023
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मुख्यमंत्री ने संदेश में कहा है कि यूं तो पूरी दुनिया में मेहनतकश लोगों के लिए एक मई की तारीख को मेहनत के उत्सव के रूप में मनाया जाता है। हमारे प्रदेश में यह दिवस इसलिए और भी खास है, क्योंकि हमारा प्रदेश किसानों, आदिवासियों, मजदूरों का प्रदेश है। हमारे खेत, जंगल, खदान और कारखानों को हमारे पसीने से सीचकर खड़ा किए हैं, जो हमारी ताकत हैं। इन सभी जगहों पर अपना पसीना बहाने वाले लोगों ने ही प्रदेश को अपने कंधों में संभाल रखा है। इनके श्रम का सम्मान करने और श्रम का उत्सव मनाने हमने एक मई की तिथि को बोरे बासी तिहार के रूप में मनाने का निर्णय लिया है।
मुख्यमंत्री ने अपने संदेश में कहा कि छत्तीसगढ़ की संस्कृति में बोरे बासी का बड़ा महत्व है। किसानों और श्रमिकों के साथ आम छत्तीसढ़िया लोगों का भी यह बड़ा प्रिय आहार अपने पौष्टिक गुणों और स्वाद के कारण यह हमारी लोक-संस्कृति में इस तरह रच-बस गया है, कि यह हमारे गीतों में और लोक-कथाओं में भी शामिल हो गया है। गर्मी के दिनों में बोरे बासी शरीर को ठंडा रखता है, पाचन शक्ति बढ़ाता है, त्वचा की कोमलता और वजन संतुलित करने में भी यह राम बाण है। बोरे बासी में सारे पोषक तत्व मौजूद होते हैं।
मुख्यमंत्री ने कहा कि वे यह जानने उत्सुक रहेंगे कि बटकी और थाली में बोरे-बासी के साथ कौन-कौन सी चीजें सजती हैं। जैसे कोई दही उपयोग करता है, कोई गोंदली, अथान, कोई आचार या चटनी के साथ बोरे-बासी खाता है या कोई पापड़, बिजोरी, बरी, भाजी के साथ बोरे बासी खाता है। मुख्यमंत्री ने कहा कि इस उत्सव में पूरा छत्तीसगढ़ भागीदार बनेगा। यह उत्सव संस्कृति के गौरव का उत्सव बनेगा। जमकर बोरे बासी खाएं और लोगों का उत्साह बढ़ाने सोशल मीडिया पर पोस्ट करें।
कलेक्टर जनमेजय महोबे ने जिले में मजदूर दिवस पर किसानो और मजदूरों के प्रमुख आहार बोरे बासी को बढ़ावा देने के लिए आग्रह भी किया है। उन्होने कहा कि समान्यतः बोरे बासी गर्मी के दिनों में इसी प्रचलन ज्यादा है। हमे बोरे बासी गर्मी से बचाने में राहत भी मिलती है। बोरे बासी के साथ प्याज और आम के आचार जिसे अथान कहा जाता है, उसे भी साथ में खाने की एक व्यंजन भी है।
बोरे बासी की विशेषता
बोरे बासी गर्मी के दिनों में शरीर को ठंडा रखता है। पाचन शक्ति बढ़ाता है। त्वचा की कोमलता और वजन संतुलित करने में भी यह रामबाण है। बोरे बासी में सारे पोषक तत्व मौजूद होते हैं।
क्या है यह बोरे बासी
बोरे बासी छतीसगढ़ का प्रमुख और प्रचलित व्यंजन है। बोरे बासी का मतलब होता है रात के पके चावल को रात को भिगो कर या सुबह भिगो कर खाना या सुबह के पके चावल को दोपहर में खाना। इसमें स्वादानुसार नमक मिलाया जाता है। फिर सब्जी, प्याज, आचार, पापड़, बिजौरी इत्यादि के साथ खाया जाता है। कई बार लोग केवल नमक और प्याज से बासी खाते हैं।