- बिल्डर वन का वन के नाम से सड्डू नाले के पास घास जमीन पर अतिक्रमण, रेरा भी खामोश
- छोटे बिल्डरों को नोटिस जारी कर सकते है तो बड़े बिल्डरों पर कृपा दृिष्ट क्यों
- राजधानी के आसपास 40 किमी तक बिल्डरों ने बिछाया जाल
- 150 अवैध कालोनियां नगर निगम के रिकॉर्ड में,110 पर कार्रवाई
- कोरोनाकाल में खाद और बीज से हलाकान किसानों को कर्ज देकर खेत में कर लिया कब्जा
- कोरोनाकाल में बिल्डरों ने औने-पौने दाम पर कृषि जमीन की खरादी की
- रेरा की गाइड लाइन की अनदेखी कर जानबूझ कर नहीं कराया पंजीयन
- बड़े-नामी बिल्डरों को सिस्टम का भी साथ: सरकारी जमीन पर गेट बनाने को ले कर निगम और संबधित विभाग छोटे कब्जाधारी को नोटिस भेजता है लेकिन जब बड़े बिल्डरों द्वारा सरकारी जमीन पर कब्जे की बात आती है तो सारा सिस्टम मूकदर्शक बन जाती है।
जसेरि रिपोर्टर
रायपुर। बिल्डरों ने कोरोनाकाल के पिछले दो सालों में तेजी से अपने प्रोजेक्टों में इजाफा किया है। बिल्डरों ने रेरा में बिना पंजीयन कराए मोवा सड्डू, टाटीबंध भाटागांव, खमतराई, रावनभाटा, तेलाबांधा, रिंग रोड, धमतरी-महासमुंद रोड, बलौदाबाजार रोड दुर्ग-भिलाई रास्ते में सड़क किनारे जमीनों का हथिया लिया है। राजधानी के आसपास 40 किमी तक कोटवारी और सरकारी घासभूमि पर कब्जा करने के साथ किसानों को कर्ज देकर उनके जीन की पावर ऑफ अटर्नी के साथ बी-वन, बी-टू, नक्शा खसरा लेकर बिल्ंिडग तानने का काम किया। नियम कानून को ताक में रखकर सरकारी जमीन से लगे जमीन को किसानों से औने-पौने दाम पर खरीद कर बिना रेरा में पंजीयन कराए धड़ाधड़ प्लाटिंग और निर्माण कार्य शुरू कर दिवाली से पहले और दिवाली के बाद तक मकान-दुकान खरीदने विज्ञापन कर लोगों को आकर्षक उपहार देने का लालच दे रहे है। पिछले तीन सालों में किसानों को घेरने का ही काम किया। किसानों की मजबूरी का फायदा उठाते हुए कृषि जमीन खरीद लिया है। प्रोजेक्ट तानने का काम शुरू होगा। कोरोना काल में किसान खाद-बीज यूरिया की कमी से हलाकान थे, ऐसे में बिल्डरों ने राजधानी में कोरोना काल में किसानों से ऐसी जमीनों को खरीदा जो सरकार जमीन से लगा या जुड़ा हुआ है। कृषि जमीन को डायवर्सन कराए बिना ही प्लाट और बिल्ंिडग बनाने का काम शुरू कर दिया है। कोरोनाकाल का फायदा सबसे अधिक बिल्डरों ने ही उठाया। क्योंकि सरकारी अमला टीकाकरण और आक्सीजन सप्लाई, दवाई की व्यवस्था करने में व्यस्त या आइसोलेट थे, इसलिए आउटर में ताबड़तोड़ अवैध प्लाटिंग की गई। शिकायतें बढ़ीं तो नगर निगम के जोन दस्तों ने अवैध प्लाटिंग को रोकने के लिए ढाई माह में सब मिलाकर करीब 110 कार्रवाइयां कीं।
शहर के एक नामचीन बिल्डर का कारनामा
मेग्नेटोमाल के सामने कोटवारी जमीन, सड्डू नाला की घास जमीन, कबीर नगर हाउसिंग बोर्ड के पीछे की जमीन सहित शहर के बेस कीमती जमीन पर एक बड़े बिल्डर ने कब्जा जमा लिया है। लोगों ने इसकी शिकायत रेरा और पुलिस में की है लेकिन कार्रवाई के नाम पर वहीं ढांक के तीन पात। सरकार हमारी हम सरकार के नारे को चरितार्थ कर रहे है । वहीं पंडित मोती लाल नेहरू वार्ड क्र्रमांक 8 में एक बिल्डर व्दारा शासकीय सड़क में अवैध रूप से लोहे का बड़ा गेट तथा दीवाल का निर्माण करा लिया है जिसकी शिकायत आसपास के रहवासियों ने जोन आयुक्त जोन क्रमांक 9 नगर पालिक निगम को की है, जोन आयुक्त व्दारा उपरोक्त बल्डर को 19 नव. को धारा 322/323 के तहत नोटिस जारी कर तत्काल हटाने का आदेश दिया था परंतु आज दिनांक तक उक्त बिल्डर व्दारा अवैध कब्जा नहीं हटाया गया जिसकी भी शहर में चर्चा है। यदि कोई संकट आ जाए तो इस अनाधिकृत गेट के कारण एम्बुलेंस और फायर ब्रिगेड की गाड़ी भी नहीं जा सकेगी। जिससे जनहानि की आशंका व्यक्त की जा रही है।
कोरोना काल में राजधानी के 70 में आउटर के तीन दर्जन से ज्यादा वार्डों में अवैध प्लाटिंग और कब्जे का खेल धड़ल्ले से चला। अनलॉक होने के बाद अचानक लोगों की शिकायतें शुरू हुईं कि प्लाट लिया था, नक्शा पास नहीं होता, बुनियादी सहूलियतें नहीं हैं, प्लॉट अवैध बताया जा रहा है। तब नगर निगम ने सभी 10 जोन के तोडफ़ोड़ दस्तों को सक्रिय किया। इन दस्तों ने बुलडोजर और मजदूर ले जाकर लगभग 110 जगह अवैध प्लाटिंग की सड़कें काट दीं, बाउंड्री भी तोड़ीं। निगम रिकार्ड के अनुसार ही नवंबर 2020 से जनवरी 2021 तक 500 एकड़ से ज्यादा में हो रही अवैध प्लाटिंग पर कार्रवाई की गई है। लगभग सभी जगहों पर प्लाटिंग हो गई थी और सड़कें भी बना दी गई थीं। इन सभी जगहों पर प्लाटिंग करने वालों ने लोगों से बयाना लेकर जमीन भी बेच दी। निगम की कार्रवाई के बाद फिलहाल वहां पक्के निर्माण होने बंद हो गए, लेकिन अवैध प्लॉट कुछ कम रेट की वजह से धड़ल्ले से बिक रहे हैं। अवैध प्लाटिंग में फर्जीवाड़ा करने वालों पर प्रशासन का कोई खौफ नहीं है।
बाउंड्रीवॉल पर लगाया चेतावनी बोर्ड
अवैध प्लाटिंग पर दो माह से कार्रवाई में जुटा नगर निगम चेतावनी बोर्ड भी लगा रहा है। इन पर लिखा है कि अवैध कालोनी में घर का नक्शा पास नहीं होगा, सड़क-पानी-बिजली नहीं मिलेगी। लेकिन कई बोर्ड ऐसी दीवारों पर लगे हैं, जो अवैध प्लाटिंग के दायरे में हैं और दीवार सुरक्षित है।
बोरियाखुर्द में निगम ने करीब 10 एकड़ की अवैध प्लाटिंग पर कार्रवाई की। निगम के बुलडोजर ने वहां बाउंड्रीवॉल नहीं तोड़ी लेकिन मुरुम से बनी सड़क काट दी।
मठपुरैना में रावतपुरा कॉलोनी के आसपास निगम ने अवैध प्लाटिंग के खिलाफ कई कार्रवाइयां कीं। वहां कई जगह चेतावनी बोर्ड भी लगा दिए। लेकिन अब वहां न तो बोर्ड बचे हैं, न काटी गई सड़कें। चारों तरफ पक्के मकान बन रहे हैं। पता ही नहीं चल रहा कि कौन सा प्लॉट अवैध है।
वॉलफोर्ट सिटी-विनायक सिटी के आसपास प्लाटिंग
भाठागांव में वॉलफोर्ट सिटी और विनायक सिटी के आसपास निगम ने कई एकड़ में अवैध प्लाटिंग रोकी और सड़कों को जेसीबी से खोद डाला। लेकिन लगभग सभी जगह सड़क दोबारा बना दी गई। अब वहां प्लाटिंग के लिए चूने की लाइन डाल दी गई। प्लाट देखनेवाले पहुंच भी रहे हैं।
अवैध प्लॉटिंग में खरीदे गए मकान की रजिस्ट्री फर्जी साबित किया जा सकता है। कृषि या कमर्शियल जमीन को बिना डायवर्सन के ही खरीद ली तो जब तक डायवर्सन नहीं होगा मकान नहीं बन सकते। अवैध प्लाटिंग में मकान बनाने नक्शा पास नहीं होता, क्योंकि जमीन का ले-आउट टाउन प्लानिंग या निगम से एप्रूवल नहीं है। निगम से मकान का नक्शा पास नहीं होता है तो बैंकों से लोन नहीं मिलेगा। अवैध प्लॉटिंग में खरीदे प्लॉट को बेचते हैं और खरीदने वाला दस्तावेजों को सर्च कराता है तो दस्तावेज वैध नहीं मिलते। अवैध प्लॉटिंग वाले किश्तों में जमीन का सौदा करते हैं, ऐसे में न तो जमीन और न ही पैसा मिलता है।
चंगोराभाठा के पास 10 एकड़ अवैध प्लाटिंग,सरोना में शीतला तालाब के पास 40 हजार वर्गफीट पर,चाणक्य कॉलेज के पास डूमरतालाब में 40000 वर्गफीट पर,चंगोराभाठा के आसपास 10 एकड़ जमीन पर अवैध प्लाटिंग
दुर्गा विहार में कामरेड मुखर्जी वार्ड में 2 एकड़ जमीन में,कबीर नगर में अविनाश आशियाना के पास 1 लाख वर्गफीट,बोरियाखुर्द में ही लगभग 9 एकड़ निजी जमीन पर प्लाटिंग,रायपुरा में गोकुलधाम रेसीडेंसी के पास 35 हजार वर्गफीट में,रावतपुरा कॉलोनी फेस-2 में लगभग 5 एकड़ निजी जमीन में, महामाया मंदिर के मदर्स प्राइड स्कूल के पास ढाई एकड़ में,पुरानी धमतरी रोड में किंग्सटाउन के पास 2 एकड़ का प्लाट,न्यू गोंदवारा शराब दुकान के पास दो एकड़ जमीन पर प्लाटिंग किया गया।
लेआउट पास नहीं, खेत में ही प्लाट काटकर बिक्री
अवैध प्लॉटिंग करने वालों को इस बात की जानकारी होती है उनकी जमीन कृषि या कामर्शियल है। उसे आवासीय के रूप में बेचने के लिए डायवर्सन जरूरी है। तहसील दफ्तर में डायवर्सन के लिए रजिस्ट्री के दस्तावेज और आवेदन देकर डायवर्सन हो सकता है। इसका खर्च भी ज्यादा नहीं है। फिर भी, मुनाफा कम न हो, इसलिए खेत में ही प्लाट काटकर बिक्री।
नियमों के अनुसार किसी प्लाट के चार भाग करने यानी चार प्लॉट बनाकर बेचने पर टाउन प्लानिंग से लेआउट पास करवाना जरूरी होता है। लेआउट में ही दर्शाया जाता है कि सड़क कहां-कितनी चौड़ी होगी, बिजली खंभे और सीवरेज सिस्टम कैसे बनेगा? इसका खर्च भी बहुत कम है। लेकिन लेआउट पास करवाने के बजाय खुद ही नक्शा बनाकर काट रहे हैं प्लाट।
रेरा से भी दूरी पंजीयन नहीं
नए नियमों के साथ अब हर कॉलोनाइजर, बिल्डर या प्लॉटिंग करने वालों को रेरा में पंजीयन करवाना अनिवार्य है। रेरा में जमा कराए गए ब्रोशर के आधार पर ही काम करवाना होता है। लेकिन जमीन के कई कारोबारी रेरा में पंजीयन ही नहीं करवाते क्योंकि रजिस्ट्रेशन होते ही रेरा सारे प्रोजेक्ट की निगरानी शुरू कर देता है। हर सुविधा देने में खर्च ज्यादा होगा, इसलिए पंजीयन नहीं।
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