छत्तीसगढ़

बरसात में धुल गई प्रधानमंत्री ग्रामीण सड़क योजना की सड़कें...

Nilmani Pal
28 Oct 2021 5:02 AM GMT
बरसात में धुल गई प्रधानमंत्री ग्रामीण सड़क योजना की सड़कें...
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  1. 25 सालों से जमे अधिकारी का खेल, ठेकेदार कर रहे घटिया निर्माण
  2. सूचना के अधिकार के जबाव में सड़कों का निर्माण टेंडर और धरातल पर अलग-अलग
  3. सड़क की लंबाई टेंडर में कुछ और निर्माण स्थल पर लगाए गए बोर्ड पर कुछ और
  4. सड़क निर्माण में घटिया सामग्री का उपयोग
  5. क्रशर गिट्टी, बोल्डर, मुरुम और स्लैग का माप दंड के अनुरूप उपयोग नहीं
  6. आस-पास के पहाड़ और वन भूमि से मुरुम अवैध रूप से निकाला गया
  7. नोडल अधिकारियों को सेट कर घटिया निर्माण पर पर्दा -
    केन्द्र सरकार ने इस भ्रष्टाचार और घोटालों को रोकने के लिए एक देख-रेख समिति बनाई, लेकिन छत्तीसगढ़ में इस समिति को कोई निगरानी कार्य नहीं सौपा गया। इस योजना में कार्य कर रहे की अधिकारी सालों से एक ही स्थान पर जमे हुए हैं, जिनके कभी ट्रांसफर हुए भी वे कुछ ही महीने में पुन: उन्ही इलाकों में पदस्थ हो गए। पीएमजीएसवाई के अंतर्गत बनायी गई सड़कें बहुत कम समय में खराब होने व गुणवत्ताहीन निर्माण की शिकायते लगातार ग्रामीण राज्य सरकार के साथ केन्द्र सरकार से भी कर रहे हैं। पीएमजीएसवाई के तहत केन्द्र को सड़कों के निर्माण में घटिया सामग्री उपयोग किए जाने सहित कार्यों की खराब गुणवत्ता से संबंधित कई गंभीर शिकायतें मंत्रालय को मिली हैं। कई बार निविदा तथा ठेका प्रबंधन एवं गुणवत्ता नियंत्रण सहित कार्यक्रम के जिम्मेदार लोगों पर कार्रवाई करने के लिए राज्य सरकार को आदेशित भी किया गया तथा राज्यों से ये अपेक्षा की गई है कि वे ऐसे मामलों पर सख्त कार्रवाई करें। बावजूद अधिकारी शिकायतों पर परदा डालकर ठेकेदारों को मनमाने ढंग से काम करने की छूट देकर भ्रष्टाचार का मौका दे रहे हैं। सड़कों की मानिटरिंग के लिए पहुंचने वाले पीएमजीएसवाई के नोडल अधिकारियों को भी ये अधिकारी सेट कर कमीशनखोरी में लगे हैं और घटिया निर्माण पर परदा डालकर ठेकेदारों के साथ सांठगांठ कर भ्रष्टाचार को अंजाम दे रहे हैं।

रायपुर। छत्तीसगढ़ में हजारों किलोमाटर की पक्की सड़कें प्रधानमंत्री सड़क योजना के तहत बनाई गई हैं। जिसमें सारे नियम-कायदों को ताक पर रखकर गुणवत्ताहीन सड़कों का निर्माण किया गया है। सड़क निर्माण में न तो ग्रेडिंग किया गया है और न लेबल मिलाया गया है। जिससे नवनिर्मित सड़कें उबड़-खाबड़ हैं और धसने लगी हैं। सड़क निर्माण में अधिकारियों की मिलीभगत से ठेकेदारों ने भारी लापरवाही की है। गरियाबंद जिले में जिस तरह की सड़कों का निर्माण हुआ कमोबेश पूरे राज्य में इस योजना के तहत सड़कों का यही हाल है। सरकार और विभाग ने जहां बजट जारी कर टेंडर की प्रक्रिया के बाद अपनी आंखें मूंद लीं वहीं मैदानी स्तर पर तैनात अधिकारियों ने ठेकेदारों के साथ मिलकर योजना की राशि की जमकर लूट की और यह बदस्तूर जारी है। गरियाबंद के देवभोग ब्लाक में जिस अधिकारी ने पिछले 25 सालों से अपने पांव जमा रखे हैं उसने न सिर्फ अपने अधिकार क्षेत्र में अपितु राज्य के दूसरे क्षेत्रों में भी अपना दबदबा बना रखा है उसके संरक्षण में अधिकारी-टेकेदार भ्रष्टाचार का खुला खेल खेल रहे हैं। सरकार-मंत्री से बेखौफ उक्त अधिकारी का जादू उच्चाधिकारियों पर भी ऐसा चलता है कि विभाग में उसने अपना सिक्का जमा लिया है।

स्तरहीन सड़कों का निर्माण

प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना के अंतर्गत सड़क निर्माण कार्य में ठेकेदार व प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना के अधिकारियों द्वारा जमकर भ्रष्टाचार कर स्तरहीन निर्माण सामग्री का उपयोग कर सड़क निर्माण कराया जा रहा है। प्रदेश में हर जगह सड़कें बनायी गई एवं पांच साल के मेंटनेन्स सहित संविदा की पूर्ति भी गई है, किन्तु भ्रष्टाचार के कारण सड़कें केवल नाम मात्र के लिए ही निर्मित की गई, जिसमें भारी भ्रष्टाचार हुआ। गुणवत्ताहीन सड़क निर्माण से कुछ महीनों में ही सड़कों पर दरारें आ रहीं हैं और जगह-जगह धंसने भी लगी हैं। योजना के तहत बनी सड़कों का कमोबेश पूरे प्रदेश में एक जैसा हाल है। अधिकारियों ने इस योजना को तिजोरी भरने का माध्यम बनाकर ठेकेदारों को घटिया निर्माण करने का लाइसेंस दे दिया है। जो सड़कें वर्तमान में बन रही हैं उसकी गुणवत्ता निर्माण स्थलों का निरीक्षण कर जांचा जा सकता है वहीं कुछ साल बनी सड़कों की दुर्दशा घटिया निर्माण की कहानी खुद ही बयां कर रही हैं। पांच साल तक सड़कों के मेंटनेंस की जिम्मेदारी भी ठेकेदार पूरा नहीं कर रहे हैं। राज्य निर्माण के साथ ही जब से योजना शुरू हुई है अधिकारियों की मिलीभगत से ठेकेदारों ने जमकर कमाई की है। राज्य सरकार और लोक निर्माण विभाग भ्रष्टाचार की शिकायतों को संज्ञान में लेने की जगह ठेकेदारों और कमीशन खोर अधिकारियों को उपकृत कर रहा है। सड़क घोटालों को छुपाने के लिए राज्य सरकार मरम्मत के लिए भी टेंडर जारी कर उन्हें कमाई का मौका देती है जिससे करोड़ों रुपए का नुकसान हो रहा है।

बरसात में धूल गई घुमरापदर से खोकमा सड़क

गरियाबंद जिले के ही खोकमा-घुमकापदर सड़क के निर्माण में भारी अनियमितता की गई है। सड़क के लिए वर्कआर्डर 7 जुलाई 2020 को जारी हुआ लेकिन साइन बोर्ड में कार्य शुरू होने की तिथि 26 जून 2020 दर्शाया गया है। वर्क आर्डर और बोर्ड में दर्शाई गई सड़क की लंबाई में अंतर है। वहीं एमबी में सड़क की गुणवत्ता पर भी सवाल उठाए गए हैं। सड़क की फिलिंग नहीं की गई। मुरूम की जगह सड़क के किनारे के ही पहाड़ी जमीन के मिट्टी का उपयोग किया गया। सड़क में गिट्टी-बोल्डर भी तय मापदंड के अनुरूप नहीं डाले गए। घटिया निर्माण के चलते पहली ही बारिश में सड़क का ज्यादातर हिस्सा धूल गई और बजरी उखडऩे के साथ जगह-जगह गड्ढे भी हो गए। बावजूद सड़क की गुणवत्ता की न तो जांच कराई जा रही है और न ठेकेदार पर किसी तरह की कार्रवाई की गई यहां तक मेंटनेंस के लिए भी दबाव नहीं डाला जा रहा है।

ईई-ठेकेदारों की मिलीभगत

गरियाबंद संभाग में प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना में व्यापक भ्रष्टाचार को वहां सालों से पदस्थ कार्यपालन यंत्री प्रत्यक्ष रूप से बढ़ावा दे रहे हैं। ठेकेदारों के साथ सांठगांठ कर कमीशनखोरी के कारण ही इलाके में घटिया सड़कों का निर्माण किया जा रहा है। उक्त अधिकारी का मंत्री और सचिव स्तर पर पकड़ व पहुंच होने के कारण ठेकेदार बेधड़क बेखौफ घटिया निर्माणकर सरकारी पैसों का बंदरबाट कर रहे हैं। उक्त अधिकारी स्वयं को बीमार बताकर अपनी जिम्मेदारियों को इतिश्री कर लेते हैं। जबकि संभाग में योजना के क्रियान्वयन के लिये सबसे जिम्मेदार अधिकारी होने के नाते भ्रष्टाचार विहिन निर्माण कार्य सुनिश्चित करना उनका दायित्व है। सरकार और विभाग स्तर पर ऐसे अधिकारियों को लगातार उपकृत किया जाना भी अचंभित करता है।

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