छत्तीसगढ़

एड्स मरीजों में 70 से 80 प्रतिशत तक बढ़ जाता है टीबी रोग का खतरा

Nilmani Pal
7 Dec 2022 3:02 AM GMT
एड्स मरीजों में 70 से 80 प्रतिशत तक बढ़ जाता है टीबी रोग का खतरा
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दुर्ग। जानकारी और सावधानी ही इलाज है। यह उद्देश्य लेकर एड्स दिवस के अवसर पर शासकीय माध्यमिक विद्यालय बरहापुर में विद्यार्थियों को एड्स की जानकारी दी गई। इस दौरान स्कूली बच्चों को जानकारी दी गई कि एचआईवी-एड्स पीड़ित मरीजों में टीबी रोग होने की संभावना 70 से 80 फीसदी तक बढ़ जाती है, इसलिए एड्स पर नियंत्रण के लिए शुरुआती दौर में ही जांच व उपचार कराना स्वास्थ्य के लिए लाभदायक होता है। वहीं जनजागरूकता के लिए गांव में रैली भी निकाली गई। एड्स व यौन जनित संक्रमणों की चपेट में आने से लोगों को बचाना जरूरी है। इस उद्देश्य के साथ जिला एड्स नियंत्रण समिति के द्वारा लगातार प्रयास किए जा रहे हैं। सामुदायिक जन-जागरूकता लाने के लिए स्कूल, कॉलेज व छात्रावासों में युवाओं को एचआईवी-एड्स व यौन जनित संक्रमण के बारे में विस्तृत जानकारी दी जा रही है। इसी कड़ी में जिले के धमधा ब्लॉक के बरहापुर गांव में भी एड्स व टीबी रोग से बचाव के लिए जन-जागरूकता कार्यक्रम का आयोजन किया गया।

इस अवसर पर प्रतिज्ञा विकास संस्थान दुर्ग के एचआईवी काउंसलर टीएस एंथोनी ने स्कूली विद्यार्थियों को एड्स रोग के कारण, लक्षण, गंभीरता व बचाव के उपायों से संबंधित जानकारी दी। उन्होंने बतायाः एचआईवी एड्स यौनजनित श्रेणी के अंतर्गत आने वाला एक संक्रामक रोग है जो अधिकांशतः एचआईवी संक्रमित व्यक्ति के साथ असुरक्षित (बिना कंडोम के) यौन संबंध बनाने, संक्रमित रक्त चढ़ाने या संक्रमित इंजेक्शन लगाने की वजह से होता है। वहीं जानकारी के साथ सावधानी ही एड्स से बचाव का कारगर उपाय है। किसी एचआईवी-एड्स पीड़ित में टीबी रोग होने की संभावना 70 से 80 फीसदी तक बढ़ जाती है, इसलिए एड्स से पर नियंत्रण के लिए शुरुआती दौर में ही जांच व उपचार कराना स्वास्थ्य के लिए लाभदायक होता है।

एड्स दिवस पर जागरूकता रैली निकालकर लोगों से अपील की गई कि छुपाने या शर्माने की बजाय अपने स्वास्थ्य की बेहतरी के लिए त्वरित रूप से परामर्श व जांच कराएं, ताकि एचआईवी एड्स व यौन जनित संक्रमण से बचा जा सके।

वहीं टीबी चैंपियन लालेंद्र साहू, राजेश कुमार और खुशबू साहू की टीम ने विद्यार्थियों को टीबी रोग की गंभीरता, लक्षण, कारण व बचाव से जुड़े उपायों की जानकारी दी। लालेंद्र साहू ने बतायाः टीबी अब लाइलाज बीमारी नहीं है, बल्कि समय पर रोग के लक्षणों की पहचान कर इलाज शुरू कराने से टीबी ग्रस्त की जिंदगी बचाई जा सकती है। इसीलिए क्षेत्र में टीबी ग्रस्त लोगों की लगातार काउंसिलिंग की जा रही है। स्वास्थ्य विभाग के द्वारा टीबी रोग से ग्रसित मरीज का उपचार सभी शासकीय चिकित्सालयों व स्वास्थ्य संस्थाओं में निःशुल्क किया जाता है।

यह है एचआईवी-एड्स

ह्यूमन इम्युनोडेफिशिएंसी वायरस (एचआईवी) एक लेंटिवायरस (रेट्रोवायरस का एक उपसमूह) है, जिससे एचआईवी संक्रमण होता है और समय के साथ-.साथ इम्युनोडेफिशिएंसी सिंड्रोम (एड्स) बन जाता है।


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