छत्तीसगढ़

नशा पैसा और दादागिरी की जोर आजमाइश हत्या का परिणाम

jantaserishta.com
15 Feb 2021 5:54 PM GMT
नशा पैसा और दादागिरी की जोर आजमाइश हत्या का परिणाम
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  • बंद शूटकेस की गुत्थी

इस खबर को सबसे पहले फोटो सहित जनता से रिश्ता न्यूज़ वेबसाइट ने 07 बजकर 28 मिनट में प्रकाशित की

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। रायपुर। राजधानी में आज शाम कुएं में मिली बंद शूटकेस की गुत्थी को पुलिस अब सुलझाने लगी है। रायपुर शहर में अपराध और नशे की वजह से चर्चा में रहा ही है, मगर इस बार जो हत्या हुई उसने शहर के पुलिस विभाग को भी हिलाकर रख दिया। चंडी नगर स्थित कुएं में मिली लाश की शिनाख्त हो गई है, WRS कॉलोनी के जतिन राय के रूप में युवक की पहचान की गई है, मृतक की उम्र 20 साल है। मृतक का नाम जतिन रॉय है जो कि 9 फरवरी से लापता था। खमतराई थाना में गुम इंसान के नाम से रिपोर्ट भी दर्ज की गई थी। विभागीय सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक मर्डर मामले में दोस्त ही निकला मृतक का हत्यारा, गायब होने के दिन ही कर दी हत्या। और लाश को ठिकाने लगाने के लिए दोस्तों ने ही लाश को चंडीनगर के पास कुएं में सूटकेस में बंद करके फेक दिया। पुलिस ने इस मामले में प्रदीप नायक को संदेही के रूप में हिरासत में लिया है। जल्द ही इस मामले में कोई बड़ा खुलासा हो सकता है। इस संबंध में खम्हारडीह थाना प्रभारी ममता अली शर्मा ने कहा कि मामले की लगातार जांच की जा रही है। मृतक युवक की पोस्टमार्टम रिपोर्ट आने के बाद मामले को खमतराई थाना ट्रांसफर किया जाएगा।

चण्डीनगर इलाका गंजेड़ियों के लिए मशहूर
चंडीनगर के लोगों का इतिहास कुछ उलझा हुआ सा है। इस नगर के बारे में आस-पास के लोगों ने बताया कि इस मौहल्ले में पुलिस बहुत कम आती है। यहां का माहौल कुछ ठीक भी नहीं है। गंजेड़ियों का सबसे बड़ा अड्डा बना हुआ है चंडीनगर। मुबंई की स्लम बस्ती जहां घर-घर अपराध और अपराधियों का बसेरा है। जहां दिन के उजाले में काले कारनामों को बेखौफ अंजाम दिया जाता है, जहां सिर्फ अपराध ही पैदा होता है और फलता-फूलता है। ठीक उसी के नक्शे कदम में राजधानी रायपुर में एक बस्ती पूरी तरह धारावी के रंग में रंग चुकी है। यहां किसी का नियंत्रण आज तक नहीं हो पाया है। हम बात कर रहे है राजधानी के कुख्यात अपराधिक क्षेत्र खम्हारडीह इलाके के चंडीनगर की। जहां गांजा, चरस, अफीम, ड्रग्स, हुक्का, शराब, सिरप, नशीली दवाई बहुत आसानी से मिल जाता है। सरकार की तमाम योजनाओं की सुविधाएं इस गरीब बस्ती वालों को मिलने के बाद भी न तो यहां की तस्वीर बदली और न ही यहां के लोगों की तकदीर बदली। बस एक ढर्रे पर जिंदगी घिसटती जा रही है। राजधानी पुलिस और समाज सेवी संगठन यहां हजारों शिविर और जागरूकता कार्यक्रम आयोजित कर चुके है, लेकिन कहीं कोई सुधार की गुंजाइश नजर नहीं आने पर अब पुलिस और समाज सेवी संगठनों ने उसे उसके हाल पर छोड़कर हाथ जोड़ लिया है। देवार बस्ती में छोटी सी बात पर मर्डर होना मामूली बात है।
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