रायपुर। प्रदेश कांग्रेस संचार विभाग के प्रमुख शैलेश नितिन त्रिवेदी ने मोदी सरकार के किसान विरोधी काले काननों की असलियत उजागर करते हुये कहा है कि किसी भी विवाद की स्थिति में किसान बिल किसान को किसी न्यायालय की शरण में जाने की अनुमति नहीं देता है। किसी भी विवाद की स्थिति में अनुविभागीय दंडाधिकारी फैसला करेगा और यह फैसला स्वीकार नहीं होने पर किसान को केंद्र सरकार के संयुक्त सचिव के पास जाना होगा। 2 एकड़ का कोई किसान इन बड़ी-बड़ी कंपनियों के सुसज्जित कानून विभागों के सामने किसी एसडीएम के सामने अपना पक्ष कितनी मजबूती से रख पाएगा या दिल्ली यात्रा करके केंद्र सरकार के संयुक्त सचिव के समक्ष उसकी इन कंपनियों के आगे क्या स्थिति होगी यह स्पष्ट है। किसान की फसल खरीदने वाला एक कॉन्ट्रैक्ट बनाएगा और अगर किसान ने उस अनुबंध की शर्तों का पालन नहीं किया तो अनुविभागीय दंडाधिकारी किसान पर 5 लाख तक जुर्माना कर सकता है। एयरटेल या जिओ के अनुबंधों के सामने जो आपकी स्थिति होती है वही किसान की इन कंपनियों के आगे होने वाली है हम में से कितने लोग इन कंपनियों से अनुबंध के मुताबिक कोई सेवा प्राप्त करने में सफल होते हैं। चिप्स बनाने वाली कंपनियों ने पंजाब के किसानों के साथ अनुबंध किया और बाद में किसानों के आलू को इस आधार पर रिजेक्ट कर दिया कि आलू का आकार और रूप वैसा नहीं है जैसा होना चाहिए आलू जमीन में उगते हैं और उन्हें किसी ढलाई के द्वारा नहीं बनाया जाता। निजी खरीददारों से पंजाब मंडी बोर्ड द्वारा लिया जाने वाला 8.5 प्रतिशत पर और हरियाणा मंडी बोर्ड द्वारा 6 प्रतिशत कर लिया जाता है जो अब किसानों की उपज खरीदने वाली इन निजी कंपनियों को नहीं देना होगा इन राज्यों के राजस्व की क्षति होगी।