छत्तीसगढ़

न रुकी वक्त की गर्दिश, न जमाना बदला, पेड़ सूखे तो परिंदों ने ठिकाना बदला

Nilmani Pal
29 April 2022 5:41 AM GMT
न रुकी वक्त की गर्दिश, न जमाना बदला, पेड़ सूखे तो परिंदों ने ठिकाना बदला
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ज़ाकिर घुरसेना/ कैलाश यादव

ऐन शादी विवाह के समय और बच्चों के छुट्टी के समय में अचानक छत्तीसगढ़ से होकर गुजरने वाली लगभग दो दर्जन ट्रेनों को रद्द कर दिया गए रेल प्रशासन को छत्तीसगढ़ की जनता को होने वाली परेशानी से कोई सरोकार नहीं है क्योंकि छत्तीसगढ़ की जनता ने प्रदेश में भाजपा एक्सप्रेस को रोक दिया है, कही इसी का खामियाजा जनता भुगत तो नहीं रही है। हालांकि मुख्यमंत्री ने रेल प्रशासन को इसके परिचालन शुरू करने पत्र जरूर लिखा है। भाजपा के सांसद समझ नहीं पा रहे कि ये क्या हो रहा है। जनता पूछ रही है कि केंद्र में आपकी सरकार है तो फिर छत्तीसगढिय़ों के साथ अचानक भीषण गर्मी और शादी विवाह के सीजन में ऐसा सौतेला व्यव्हार क्यों हो रहा है रायपुर के सांसद सुनील सोनी ने जरूर कोशिश की रेल मंत्री से बात करने लेकिन दुर्भाग्य से मंत्री जी ने उनका फोन उठाना ही मुनासिब नहीं समझा। जनता में खुसुर फुसुर है कि जिसकी जितनी जरुरत होती है उसकी उतनी ही अहमियत होती है। इस पर किसी ने ठीक ही कहा है कि न रुकी वक्त की गर्दिश, न जमाना बदला, पेड़ सूखे तो परिंदों ने ठिकाना बदला।

भूपेश फिर बाजीगर साबित हुए

मुख्यमंत्री की घुड़की से रेलवे मंत्रालय को अपने निर्णय को बदलना पड़ा। और ऐसा होने से छत्तीसगढ़ की जनता के हृदय में भूपेश बघेल का सम्मान बढ़ गया है। मुख्यमंत्री भूपेश ने साफ शब्दों में कहा था कि यह अमानवीय निर्णय है इस पर यदि रेल मंत्रालय ने निर्णय नहीं बदला तो रेल और कोयला रोकने से भी कांग्रेस सरकार नहीं हिचकेगी। 22 ट्रेनों के परिचालन बंद करने पर छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री ने जनता की परेशानी को लेकर रेल मंत्रालय के खिलाफ मोर्चा खोलते ही आनन-फानन में रेल मंत्रालय को अपने निर्णय पर विचार कर ट्रेनों का परिचालन करना पड़ा। जनता में खुसुर-फुसुर है कि जनता जनार्दन तो चुनाव के भगवान है, इसलिए दोनों पार्टी आने वाले चुनाव को देखते हुए जनता जनार्दन को प्रसन्न करने के लिए कोई भी मौका नहीं छोडऩा चाहती है। लेकिन भूपेश बघेल इस मामले में भी बाजीगर निकले।

नक़ल के लिए भी अकल होना

छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की महत्वाकांक्षी न्याय योजना का अनुसरण करते हुए उत्तरप्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने भी किसानों से गोबर खरीदने की बात कही है। मध्यप्रदेश में यह योजना लागू हो चुकी है। पहले भाजपाइयों ने इस योजना का मजाक बनाया था, लेकिन प्रधानमंत्री मोदी के द्वारा इस योजना की तारीफ करने के बाद सब इस योजना को अपने प्रदेश में लागू करने लग गए। बहरहाल हर सूरत में लोगों को फायदा मिलना चाहिए। जनता में खुसुर-फुसुर है कि सरकारों को जनोपयोगी योजनाओं का अनुसरण करना ही चाहिए, लेकिन सही ढंग से हो तो ही अच्छा है। ऐसा कोई काम न हो जाए जिससे जनता के बीच छवि उज्जवल होने के बजाय छवि धूमिल हो जाये। इसी तरह का वाक्या मध्यप्रदेश और दिल्ली में देखने को मिला योगी जी की बुलडोजऱ वाली योजना को मध्यप्रदेश में लागू कर हंसी का पात्र बन गए, हुआ ये कि एक हादसे में अपना दोनों हाथ कटा चुके सख्श को पत्थर फेंकने और अपराध में शामिल होने के आरोप में खरगोन में उसका घर और दुकान तोड़ दिया गया उसी प्रकार जहांगीरी दिल्ली में केजरीवाल जी भी बांग्लादेशी और रोहिंग्या बताकर लोगों के घरों और दुकानों में बुलडोजऱ चलवा दिए। और यह भी बोल गए कि इन लोगों को भाजपा ने बसाया है दंगे करवाने को। किसी ने ठीक ही कहा है कि नक़ल के लिए भी अकल की जरुरत पड़ती है। जनता में खुसुर-फुसुर है कि मुखौटा से कोई वैसा नहीं बन सकता, इसके लिए प्रशासनिक योग्यता के साथ काम करने निष्पक्षता जरूरी है न कि नेतागिरी।

किसानों पर मेहरबान केजरीवाल

दिल्ली के मुख्यमंत्री केजरीवाल जी इन दिनों काफी प्रसन्न और आक्रामक मुद्रा में भी हैं। पंजाब में मिली सफलता से गदगद केजरीवाल अब कर्नाटक, हिमाचल और गुजरात के अलावा छत्तीसगढ़ में भी नजऱ गड़ाए हुए हैं। पिछले दिनों कर्नाटक में किसानों को सम्बोधित करते हुए तीन कृषि कानून को लेकर उनके द्वारा किये गए आंदोलन की तारीफ कर भाजपा पर जमकर बरसे। उन्होंने किसानों से कहा की उन्होंने केंद्र सरकार को बहुत समझाया कि अन्नदाताओ से मत उलझो लेकिन अहंकार में चूर सरकार ने उनके बात को तवज्जो नहीं दिया। उन्होंने भरी सभा में कहा कि दंगाई चाहिए तो भाजपा को वोट दो और स्कूल अस्पताल चाहिए तो मुझे वोट दो। जनता में खुसुर फुसुर है कि जनता अब अपना भलाई देख रही है। छत्तीसगढ़ में अभी हाल में हुए खैरागढ़ चुनाव परिणाम को देखते हुए एक पाठक ने वाट्सअप में लिखा कि जब आटा गीला हो जाये तो चीला बना लो और जब चुनाव जीतना हो तो जिला बना दो।

शाकाहारी वर्सेस मांसाहारी

शाकाहारी और मांसाहारी के बाद पिछले दिनों देश में हलाल और झटका भी मुद्दा बना हुआ था। पिछले साल राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण में यह बताया गया कि तीन में से दो भारतीय मांसाहारी हैं। सर्वेक्षण में यह भी जानकारी मिली कि देश के उत्तरी और मध्य भाग में ज्यादा लोग शाकाहारी हैं और बाकी लोग मांसाहारी। अब सवाल ये उठता है कि बेवजह लोग इसको मुद्दा क्यों बना लिए है जबकि सरकारी आंकड़ों के मुताबिक लगभग हर साल हलाल मीट के निर्यात से देश को लगभग तीस हजार करोड़ रूपये की विदेशी मुद्रा की प्राप्ति होती है। जनता में खुसुर-फुसर है कि सरकार को सरकारी राजस्व चाहिए या लोगों का निवाला गिनना चाहिए। मीट निर्यात से सरकार को जो बेनिफिट मिल रहा है। वो भी उन मांसाहारी लोगों की मेहनत से मिल रहा है। तो इसको खाने में हर्जा क्या है, सरकार विचार करे।

प्रशांत किशोर हार गए कांग्रेसियों से

धाकड़ कांग्रेसियों की मौजूदगी में कांग्रेस प्रवेश से एक कदम दूर चुनाव रणनीति के जादूगर कहे जाने वाले प्रशांत किशोर एक सप्ताह तक कांग्रेस में प्रवेश के लिए बैठक पर बैठक करते रहे, इस कवायद को धाकड़ कांग्रेसियों ने इतना कंटीला बना दिया कि प्रवेश से पहले ही प्रशांत किशोर को कांटे चुभने लगे थे। चुनावी रणनीतिकार की सारी रणनीति धरी की धरी रह गई। जनता में खुसुर-फुसुर है कि बाबा ये कांग्रेस है, ये वो समुद्र है जो उसकी गहराई नापने की कोशिश करता है तो वो डूब ही जाता है। लगभग एक पखवाड़े से मेगा प्लान पर चली बैठक के माध्यम से पीके का प्लान कांग्रेस के प्लान के आगे छोटा साबित हो गया। कांग्रेसियों संगठनात्मक ठांचे में उथल-पुथल मचाने की आजादी देने के इंकार करने के साथ सोनिया गांधी ने पीके के प्रस्ताव को ठुकरा कर कांग्रेस को टूटने से बचा लिया।

सीएम के दौरे से पहले पुलिस विभाग थोकबंद तबादले

तीन वर्ष से एक जगह पर डटे 253 निरीक्षकों को बदलकर सरकार ने संकेत दे दिया है कि सरकारी विभाग के कर्मचारियों को सौ फीसद परफारमेंस देना ही होगा। जिन-जिन थाना प्रभारियों के थाना क्षेत्र में अपराध बढ़े थे, या जुआ-शराब और सट्टा के कारोबार में रोक नहीं लगने के कारण सरकार ने एक बड़ा निर्णय लेते हुए थोक में तबादले कर पुलिस महकमा को संकेत दे दिया है कि अपराध पर नियंत्रण की दिशा में काम नहीं करने पर संबंधित थाना क्षेत्र के टीआई को ही जिम्मेदार माना जाएगा। जनता में खुसुर-फुसुर है कि ये पुलिस वाले है भैया, समुद्र की रखवाली करने भी चले जाएंगे तो लहर गिनने पर भी रोक लगा सकते है। बस मन में इच्छा शक्ति होनी चाहिए।

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