जसेरि रिपोर्टर
रायपुर। राजधानी में वीकेंड पार्टी का दौर हर शनिवार-रविवार को गुले-गुलज़ार हो रही है, मीडिया में लगातार खबरें आने बावजूद वीआईपी रोड और शहरभर के बड़े होटलों और पब्स में खुलेआम अवैध नाइट पार्टियां चल रही है। प्रशासन के बिना अनुमति के छुटभैय्या नेताओं के संरक्षण में होटल, क्लब संचालक बेखौफ इन पार्टियों का आयोजन कर रहे है। जिसमें समय सीमा खत्म होने के बाद भी शराब और हुक्के परोसे जाते है। पार्टी के आयोजन कर्ताओं और होटलों के संचालकों को इलाके के पुलिस थानों से भी संरक्षण मिल रहा है। इसका पुख्ता सुबूत जनता से रिश्ता के पास मौजूद है। शहर भर के बड़े होटलों में अवैध रूप से शराब परोसा जा रहा है, जिसकी जानकारी पुलिस को भी होती है मगर इस पर कोई सख्त कार्रवाई नहीं की जाती है। वीकेंड पार्टियों में शराब, ड्रग्स, म्यूजिक, नाच-गाना का कॉकटेल होता है। ये पार्टियां बड़े गुपचुप तरीके से आयोजित की जाती हैं और इसमें वे ही लोग शरीक होते हैं, जिन्हे बुलाया जाता है। और इस तरह की पार्टी में कपल की और बैचलरों की एंट्री फीस ली जाती है।
नशा कब होगा खत्म : नशे का कारोबार कब होगा बंद? युवा पीढ़ी नशे के दलदल से आखिर कब बाहर निकलेगी? आज नशा पूरी शहर के लिये चुनौती बना हुआ है। काफी पाबंदी के बाद भी लोग इसकी आगोश में आते जा रहे हैं। जिसका सीधा असर युवाओं पर साफ पड़ता दिख रहा है। नशे की समस्या से रायपुर भी अछूता नहीं रहा है। बल्कि यहां तो नशे के व्यापार में महिलाओं का नाम भी खुलकर सामने आ रहा है। शहर में गांजा, अफीम आदि नशे का कारोबार तेजी बढ़ रहा है। जिससे युवा पीढ़ी की गिरफ्त में आती जा रही है। नशे का सेवन कर रहे युवा नशे में डूबते जा रहे हैं। राजधानी में नशे की पार्टी का क्रेज़ एक बार फिर से युवाओं के सिर चढकर बोल रहा है। युवाओं में वीआईपी रोड की महंगी होटलों में नजऱे जमी हुई है। और हर दिन यहा हज़ारों युवा यहा पार्टी करने आते है। ड्रग्स, अफीम और डोडा का कारोबार जोर-शोर से चले जा रहा है। वही वीआईपी रोड की होटलों में नशे की पार्टी का आयोजन होने लगा है। शनिवार और रविवार की वीकेंड के मौके पर युवाओं ने रात-भर जमकर पार्टी की और नशे में मदहोश होकर झूमते रहते है। सिर्फ होटलों नहीं बल्कि रेस्टोरेंटो, ढाबों और क्लबों में भी नशे की पार्टी आयोजित की जाती है।
वीकेंड पार्टी में जाम छलकाते युवा : ये वीकेंड पार्टी यूं ही चलेगी, धूम मचा ले, गेट ऑन द डांस फ्लोर, तमंचे पे डिस्को। जी हां, वीकेंड की पार्टी के जश्न के मौके पर हर तरफ इसी तरह के गीत गूंजते रहे। होटल या रेस्तरां की पार्टी हो या फिर घर की पार्टी, हर जगह युवा थिरकते हुए नजर आते है। जश्न के रंग को बेरंग होने से बचाने के लिए पुलिस ने भी सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए थे। कोई होटलों और रेस्टोरेंटों में आयोजित पार्टियों में अवैध शराब पहुंचाया जाता है। शाम होते-होते अपने कामों को निपटा लोग सड़कों पर, फार्म हाउस, रेस्तरां, पब में जुटने लग जाते है। वीआईपी रोड की होटलों में जश्न का दौर तेज होता जा रहा है।
विकेंड और संडे पार्टी हमेशा सुर्खियों में रहा : वीआईपी रोड के होटलों और क्लबों में विकेंड और संडे पार्टी हमेशा सुर्खियों में रहा है। जहां पुलिस वाले भी सुरक्षा व्यवस्था के नाम पर आयोजकों के साथ पार्टी में शामिल होकर होटलों में रात की पार्टियों को रंगीन कर रहे है। ड्रग पैडलरों और ड्रग सप्लायरों ने राजधानी को नशे की गर्त में ढकेल दिया है।
तेलीबांधा क्षेत्र के आसपास और वीआईपी रोड के होटलों और ढाबों, कैफों और क्लबों में वीकेंड और संडे की सुबह तक रंगीन मिजाज लोगों को पार्टी आबाद होती रही। ढाबों के बाहर खुलेआम दारू पिलाई जाती है। और कैफे में युवाओं को हुक्का परोसा जाता है। वीआईपी रोड के आसपास पुलिस की गश्त भी बाकायदा होती रही। रात भर चली नशे की पार्टी में शामिल होने वालों ने और आयोजकों ने महामारी अधिनियम की धज्जियां उड़ा कर रख दिया।
वीआईपी रोड में राते हो रही रंगीन
पुलिस की सख्त कार्रवाई के बावजूद भी वीआईपी रोड के हर होटलों में शनिवार और रविवार को नशे की पार्टियां रुकने का नाम नहीं ले रही है। वीआईपी रोड के होटलों और क्लबों में विकेंड और संडे पार्टी हमेशा सुर्खियों में रहा है। ड्रग पैडलरों और ड्रग सप्लायरों ने राजधानी को नशे की गर्त में ढकेल दिया है। तेलीबांधा क्षेत्र के आसपास और वीआईपी रोड के होटलों और ढाबों, कैफों और क्लबों में विकेंड और संडे की सुबह तक रंगीन मिजाज लोगों को पार्टी आबाद होती रही।
मिलता ऑफर
राजधानी के बड़े होटलों में इस तरह की पार्टियों का चलन बढ़ गया है, जिसमें कई तरह की ऑफर भी दिए जाते है। जिसमें खासकर युवतियों को ऑफर दिया जाता है कि दो सहेलियों के साथ चार लोगों को फ्री इंट्री और युवकों को आफर दिया जाता है कि एक के साथ एक फ्री। नशा शराब में होता तो नाचती बोतल, किंतु बोतल नाचे या नहीं, ड्रिंक तो करना है। ड्रिंक भी छोटे-मोटों का काम है, वाकई में स्वर्ग चाहिए तो अफीम, ब्राउन शुगर, विक्स जैसे बड़े नशीले पदार्थ स्वर्ग तो दिखा देते हैं।
और नर्क भी। जब इनकी आदत लत में तब्दील होने लगती है तो घर-परिवार वाले परेशान हो जाते हैं। किसी तरह इसका नशेड़़ीपन छूट जाए की चिंता सताए रहती है। अस्पताल में बॉटलों पर बॉटलें चढऩे लगती हैं और एक समय ऐसा आता है, जब शरीर के पिंजरे से आत्मारूपी पंछी स्वतंत्र हो जाता है। इस बीच में नशेड़ी युवा, किशोर या युवती खुद परेशानी झेलते हैं तो ज्यादा परेशानी घर वालों को होती है।
नशा ना करना हाई प्रोफाइल सिंबाल
नशा न करना आज के दौर में मॉडर्न युवा पीढ़ी की नजरों में बैकवर्ड समझा जाता है। जो पार्टी-शार्टी या क्लब या ब्याह-शादी, बर्थडे वगैरह में ड्रिंक नहीं लेता वह पिछड़ी सोच का व्यक्ति होता है। कभी ऐसा भी होता है कि इस तरह के आयोजनों में यदि कोई लड़की या महिला शामिल होकर आउट हो जाए यानी ज्यादा ड्रिंक कर ले तो काफी छिछालेदरी हो जाती है। ऐसे मौके पर नशाखोरी को प्रेस्टिज का प्वॉइंट बनाने वाले खुद अपने साथ कितना बड़ा धोखा करते हैं। युवा पीढ़ी पर नशीले पदार्थों की पकड़ लगातार मजबूत हो रही है। युवतियों में भी ड्रग्स स्टेटस सिंबल बन जाने से इस बुराई की समाप्ति और भी मुश्किल होती जा रही है। स्कूल-कॉलेज भी नशे से अछूते नहीं रहे।
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