छत्तीसगढ़

पुलिस चाहती है सट्टा बंद हो, लेकिन छुटभैयों के कारण नहीं हो पाती सख्ती

Nilmani Pal
4 Feb 2022 5:40 AM GMT
पुलिस चाहती है सट्टा बंद हो, लेकिन छुटभैयों के कारण नहीं हो पाती सख्ती
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  • नेताओं के संरक्षण के चलते थानों से छूट जाते है सटोरिए
  • सफेदपोश नेता दो मुंहे सांप जो सत्ता और पुलिस पर फैला रखा है फन

जसेरि रिपोर्टर

रायपुर। जनता से रिश्ता विगत कई सालों से सट्टा, जुआ, नशे के खिलाफ सामाजिक सरोकार का निर्वहन करते हुए लगातार समाचार छापते आ रहा है। पुलिस प्रशासन की लगातार कार्रवाई के बावजूद भी सट्टा रुकने का नाम नहीं ले रहा है। वजह सिर्फ छुटभैये नेताओं की दखलंदाजी है। पुलिस कार्रवाई करना चाहती है लेकिन छुटभैये नेता उनके किये धरे पर सटोरियों को छुड़ाकर पानी फेर रहे हैं। एक थाने के स्टाफ ने बताया कि सटोरियों पर पुलिस कार्रवाई तो कर रही है, लेकिन नेतागिरी के आगे पुलिस बेबस और लाचार है।

सट्टा नंबर वाला चार्ट उपलब्ध कराते है सटोरिए

सट्टे के इस खेल को बढ़ावा देने सटोरिए ग्राहकों को मुफ्त में स्कीम देखने सट्टा नंबर वाले चार्ट उपलब्ध करा रहे हैं। इसका गुणा भाग कर ग्राहक सट्टे की चपेट में बुरी तरह से फंस कर पैसा इस अवैध कारोबार में गंवा रहा है। शहर में बढ़ रहे अपराध पर अंकुश लगाने की पुलिस प्रशासन की लाख कोशिशों के बाद भी सट्टा-जुआ, अवैध नशीली दवाओं का कारोबार रुकने का नाम नहीं ले रहा है। राजधानी में पुलिस को गुंडे-बदमाशों के साथ सटोरियों और जुआरियों का फड़ लगाने वालों के साथ इन्हें संरक्षण देने वाले छुटभैया नेताओं से रोज जूझना पड़ता है। राजधानी में सट्टा-जुआ और नशे के कारोबारियों पर हाथ डालते ही राजनीतिक दबाव बनना शुरू हो जाता है। पुलिस अपराध नियंत्रण करने के लिए तरह-तरह के प्रयोग करने के साथ जागरूकता अभियान भी चला कर देख चुकी है। लेकिन अवैध कारोबार की चुनौती कम नहीं हो रही। अवैध कारोबार में राजनीतिक संरक्षण ही पुलिस के काम में सबसे बड़ा बाधक है।

शहर खुलेआम सट्टा और जुआ का खेल चल रहा है। शाम होते ही सट्टा लगना शुरू हो जाता है और देर रात तक चलता है। राजधानी का नामी सटोरिया जो कालीबाड़ी, नेहरू नगर, गांधी नगर में अपना सट्टा कारोबार फैलाए हुए है। मुख्य सटोरिया शहर में नहीं होते बाहर से ही अपने गुर्गो के माध्यम से वे सट्टे का सञ्चालन करवाते हैं। उसके गुर्गे शहर में उसकी कुर्सी के आड़ में कारोबार को अंजाम देते हैं। पुलिस की कार्रवाई होती है तब मुख्य सरगना तो नहीं परन्तु छोटे-छोटे गुर्गे दबोच लिए जाते हैं और मामूली धारा लगने के कारण आसानी से छूट भी जाते है और फिर उसी काम में लग जाते हैं।

नेतागिरी हावी

सट्टा और जुए के अड्डेबाज सत्ता से जुड़े नेताओं के साथ मिलकर झक सफेद खादी के कुर्ता पायजामा पहनकर पुलिस को जेब में रखने का दम भर रहे है। इन्ही नेताओं की इच्छा शक्ति के आगे पुलिस प्रशासन और सरकार में बैठे नुमाइंदे नतमस्तक हैं । देखना यह है कि आखिर पुलिस प्रशासन कब तक छुटभैया नेताओं का दबाव झेलते रहेगी। कभी न कभी तो पुलिस का स्वाभिमान जागेगी ही ? राजधानी में काले कारोबार का जाल पूरी तरह बिछ चुका है, सट्टा-जुआ, नशीली दवाई का कारोबार अबाध गति से फल-फूल रहा है। शहर की पुलिस किसी भी स्तर में अपने कानूनी अधिकार के अंतर्गत कार्य नहीं कर पा रही है, किसी भी प्रकार की कार्रवाई करने पर पुलिस के ऊपर छुटभैय्या नेताओं के द्वारा भारी दबाव डाला जाता है, जिससे पुलिस अब कानून व्यवस्था के अलावा किसी और पक्ष की ओर ज्यादा ध्यान नहीं देती है। लोगों के शिकायत पर पुलिस द्वारा सट्टा और जुआ के संबंधित ठिकानों में दबिश देकर गिरफ्तारी की कार्रवाई की जाती है, लेकिन 2 दिन के बाद सब सामान्य उसी तरीके से चलने लगता है। पकड़े गए सटोरियों पर मामूली धारा लगती है जिससे वे आसानी से छूट जाते हैं या फिर छुटभैये नेताओं द्वारा थाने स्तर से सटोरियों को छुड़ा कर ले जाते है इसलिए कि वे उन्ही के आदमी होते हैं। राजधानी में सट्टा और जुआ रायपुर में तीव्र गति के साथ नौनिहालों के साथ युवा पीढ़ी को मजबूती के साथ जकड़ लिया है। इस कारोबार की असल जड़ छुटभैय्या नेता है जो अपने राजनीतिक हित को साधने के लिए रातोरात करोड़पति बनने की लालच के चलते शहर को सट्टे और जुए और नशे के कारोबार में युवाओं को धकेल दिया है। पूरे शहर में हर गली मोहल्ले में अड्डो का संचालन या संरक्षण किसी ना किसी राजनीतिक पार्टी के छुटभैया नेता के अधीन संचालित हो रहा है।

सट्टा-जुआ हर गली मोहल्ले में

सट्टा-जुआ पर पुलिस लगातार कार्रवाई कर रही है। मगर छुटभैये नेताओं के दबाव के आगे मजबूर हैं। अनैतिक कारोबार के खात्मा के लिए नया कानून कड़े नियम लाने होंगे। जिससे आपराधिक तत्वों को पुलिस और कानून व्यवस्था का खौफ हो, तभी राजधानी में अमन-चैन बरकरार रह सकती है। कालीबाड़ी, नेहरूनगर, समता कालोनी, रामकुंड आश्रम के पास ईदगाह भाठा अश्वनी नगर के आसपास, देवेंद्र नगर ब्रिज और टिम्बर मार्केट के पास, गुढि?ारी, गोगाव, माना, सिविल लाइन आकाशवाणी के पीछे नाला के पास , रामसागर पारा की गली, स्टेशन रोड, पंडरी, मोवा, ताजनगर, कटोरा तालाब, शंकरनगर, तेलीबांधा, चंगोरा भाटा, टिकरापारा, स्टेशन रोड, जेल रोड की ओर जाने वाली सड़क पर आपको खुलेआम सट्टा लिखते लोग मिल जाएंगे।

सट्टे से परिवार हो रहा बर्बाद

खाईवालों के चक्रव्यूह में लोग इस कदर फंस चुके हैं कि इससे उबर नहींं पा रहे हैं। शहर में एक दो नहीं बल्कि चार खाईवाल लंबे समय से सट्टा संचालित कर रहे हैं। छुटभैय्या नेताओं और खाईवालों की मिलीभगत से यह अवैध कारोबार शहर सहित आस-पास के आउटर इलाकों में पूरी तरह से चरम पर है। रायपुर शहर में देखा जाये तो हर मोहल्ले में सट्टा-पट्टी लिखा जा रहा है। सट्टे से लोग खून पसीने की कमाई को भी गवां रहे हैं। कई परिवार सट्टे से बर्बाद हो चुके हैं। सट्टा, जुआ, हुक्काबार डांस पार्टी बार पर नकेल कसने के लिए कड़ा से कड़ा कानून जनप्रतिनिधियों और पुलिस अधिकारियों की कमेटी में सहमति बनाकर सदन में पेश कर पारित करना चाहिए। राज्य में कड़ा से कड़ा कानून लाना ही एक मात्र विकल्प है, जिससे आने वाली पीढ़ी सट्टा जुआ, नशे से डरे और कड़े कानून के कारण अवैध कारोबार से दूर रहे।

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