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पीएचई मंत्री गुरू रुद्र कुमार के विभाग में भ्रष्टाचार और अफसरों की लापरवाही से लक्ष्य का 50 फीसदी कार्य भी पूरा नहीं.
जसेरि रिपोर्टर
रायपुर। केंद्र सरकार की महत्वाकांक्षी जल जीवन मिशन योजना में छत्तीसगढ़ बुरी तरह से पिछड़ गई है। प्रदेश में तय समय में हर घर नल पहुंचाने के लिए विभाग को रोजाना चार हजार घरों में कनेक्शन देना होगा। हालांकि मजदूरों की कमी के कारण यह लक्ष्य पूरा होता नजर नहीं आ रहा है। केंद्र सरकार के दबाव ने जल जीवन मिशन के अधिकारियों को संकट में डाल दिया है। नल पहुंचाने के मामले में छत्तीसगढ़ का देश में 31वां स्थान है, जबकि पड़ोसी राज्यों ने बेहतर प्रदर्शन किया है। अगस्त 2024 तक गांवों के हर घर में नल से जल पहुंचाने का लक्ष्य है। अभी तक केवल 22.50 फीसद ही काम हो पाया है।
पीएचई के आला अधिकारियों ने बताया कि पाइपलाइन बिछाने और टंकियां बनाने की तकनीक को जानने वाले मजदूर नहीं मिल रहे हैं। अब विभाग उन मजदूरों को प्रशिक्षित कर रहा है, जो पहले से प्रोजेक्ट में काम कर रहे हैं। वर्तमान में रोजाना करीब तीन हजार घरों में कनेक्शन पहुंचाने में सफल हो रहे हैं। प्रदेश में 48 लाख 59 हजार 443 घरों तक पेयजल पहुंचाने के लिए पाइपलाइन बिछानी है। अभी तक 10 लाख 93 हजार 138 घरों में ही यह पाइपलाइन बिछ पाई है।
10 हजार करोड़ की निविदा पर विवाद
जल जीवन मिशन में 2020 में निविदा निकाली गई थी, जिसमें 1300 कंपनियों को काम सौंपा गया था। हर कंपनी को लगभग 100 करोड़ रुपये से अधिक का काम दिया गया था। बाद में निविदा को रद करके जिला स्तर पर टेंडर की प्रक्रिया शुरू की गई।
धमतरी और रायपुर सबसे आगे
हर घर नल-जल पहुंचाने के मामले में धमतरी और रायपुर सबसे आगे चल रहे हैं। धमतरी में एक लाख 49 हजार 412 घरों में नल पहुंचाने का लक्ष्य है। यहां 72 हजार 865 घरों में नल पहुंचा चुके हैं, जो कि लक्ष्य का 48.77 प्रतिशत है। इसके बाद रायपुर में एक लाख 84 हजार 66 घरों में नल पहुंचाने का लक्ष्य है। अभी तक 70 हजार 357 घरों तक नल पहुंच चुका है। यहां 38.22 फीसद काम पूरा हो चुका है। जशपुर में 9.92 प्रतिशत और सरगुजा में 11.25 प्रतिशत काम हो पाया है।
मामला बृजमोहन ने विस में उठाया
भाजपा विधायक बृजमोहन अग्रवाल ने जल जीवन मिशन के अंतर्गत प्रदेश भर के गावों में नल कनेक्शन नहीं लगाए जाने का मामला विधानसभा में उठाया। पी एच ई मंत्री ने जवाब में बताया कि 50.10 लाख घरों में नल कनेक्शन दिया जाना था। परंतु अभी तक सिर्फ 24.20 लाख ग्रामीण परिवारों के घरों में नल कनेक्शन दिया गया है। मंत्री ने यह भी स्वीकार किया की वर्ष 2023 में 19,278 ग्रामों में कार्य पूर्ण किया जाना था किंतु अभी तक मात्र 1,670 गांव में शत-प्रतिशत कार्य पूर्ण हुआ है।
भाजपा विधायक बृजमोहन अग्रवाल ने प्रश्न में लोक स्वास्थ्य मंत्री से जानना चाहा कि प्रदेश के कितने जिलों में कितने नल कनेक्शन कितने घर में दिए जाने थे? 22 जून 2023 की स्थिति में कितने घरों में नल कनेक्शन दिए जा चुके हैं? कितने प्रतिशत गांव में कार्य पूर्ण हो जाना था व कितने गांव में कार्य पूर्ण हो गए हैं? कितने गांव में पाइपलाइन बिछा दी गई है और कितने गांव में पानी देना प्रारंभ हो गए हैं? अभी कितने गांव में पानी देना प्रारंभ नहीं हुआ है? कितने ऐसे गांव हैं जहां घरों में स्टैंड लगा हुआ है और पाइप लाइन बिछाए जाने के काम अभी प्रारंभ नहीं हुआ है? ऐसे कितने गांव हैं जहां पानी टंकी बनाई जा चुकी है और पाइप लाइन नहीं बिछाई गई है? प्रदेश के अनुसूचित क्षेत्रों में से कितने परिवारों को कनेक्शन दिया जाना था व अब तक कितने प्रमुख बने कनेक्शन दिए गए हैं? कितने कितने घरों में पानी दिया जाना चालू हो गया है? बताएं।
पीएचई मंत्री ने जानकारी दी है कि प्रदेश में 50.10 लाख ग्रामीण परिवारों के घरों में नल कनेक्शन दिए जाने हैं । 22 जून 2023 की स्थिति में मात्र 24.20 लाख ग्रामीण परिवारों के घरों में नल कनेक्शन दिए गए हैं। जल जीवन मिशन की वार्षिक कार्य योजना 2023 के तहत 19,278 ग्रामों में कार्य पूर्ण किया जाना लक्षित है उनके विरुद्ध मात्र 1,670 गांव में ही शत प्रतिशत काम हो पाया है। 1,0194 गांव में पाइप लाइन बिछाई गई है जिसमें मात्र 6,627 गांव में ही पानी देना प्रारंभ हो गया है। अभी भी जिन गांव में पाइप लाइन बिछाई गई है उसमें 3,567 गांव में पानी देना प्रारंभ नहीं हुआ है। प्रदेश में 445 गांव ऐसे हैं जहां पर घरों में नल का स्टैंड लगा दिया गया है पर उस गांव में पाइप लाइन बिछाने का काम अभी तक प्रारंभ नहीं हुआ है। 22 गांव ऐसे भी हैं जहां पानी की टंकी बनाई जा चुकी है पर पाइप लाइन हो नहीं बिछाई गई है प्रदेश के अनुसूचित घोषित क्षेत्रों में से 25 लाख 65 हजार परिवारों को कनेक्शन दिया जाना है। अभी तक 10 लाख 69 हजार परिवारों को ही कनेक्शन दिया गया है उसमे भी मात्र 6 लाख 67 हजार कनेक्शन में ही पानी चालू हुआ है। विधायक ने कहा है कि प्रदेश सरकार नल जल योजना के नाम पर व्यापक भ्रष्टाचार में लगी हुई है बार-बार टेंडर निरस्त करना और भ्रष्टाचार की बोली बढ़ाना इस सरकार का चेहरा बन गए हैं । हर गरीब को हर घर को नल से पानी मिले या केंद्र सरकार की महत्वकांक्षी योजना है जिससे गरीब लोगों को भी उनके घरों में नल का जल उपलब्ध हो पर छत्तीसगढ़ सरकार गरीबों के इस योजना पर भी डाका डालने से नहीं चूक रही है सिर्फ आदिवासी क्षेत्र की बात करें तो पिछले साढे 4 सालों में सरकार 50त्न भी आदिवासी परिवारों के बीच नल से पानी नहीं पहुंचा पाई है।
अग्रवाल ने कहा है कि इससे और दुर्भाग्य की स्थिति क्या हो सकती है कि जिन गांव में पाइप लाइन बिछाए गए हैं वहां पानी नहीं दी जा रही है घरों में स्टैंड लगा दिया है व उस गांव में पाइपलाइन ही नहीं पूछा है और जहां पानी टंकी बना दिया गया है उन गांव में ही पाइपलाइन नहीं बिछा है या कारनामा तो प्रदेश में सिर्फ और सिर्फ कांग्रेस सरकार ही कर सकती है।
7 हजार करोड़ की गड़बड़ी की जांच ठंडे बस्ते में तीन साल में नहीं आई जांच टीम की रिपोर्ट
जल जीवन मिशन छत्तीसगढ़ में शुरू होने पहले ही विवादों के घेरे में है। पीएचई विभाग से अभी 7 हजार करोड़ रुपए के ठेकों के आबंटन की प्रक्रिया चल रही है(उसमें गड़बड़ी को लेकर शिकायतें मिलने के बाद मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने जांच के आदेश दे दिए थे। जल जीवन मिशन छत्तीसगढ़ में शुरू होने पहले ही विवादों के घेरे में है। पीएचई विभाग से अभी 7 हजार करोड़ रुपए के ठेकों के आबंटन की प्रक्रिया चल रही है(उसमें गड़बड़ी को लेकर शिकायतें मिलने के बाद मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने जांच के आदेश दे दिए हैं। मैदानी इलाकों में राज्य के बाहर की कंपनियों को 6 हजार करोड़ रुपए के ठेके देने का आरोप स्थानीय ठेकेदारों को बस्तर में छोटे ठेके दिए गए, कांग्रेस के घोषणापत्र में उन्हें देने की थी बात महत्वाकांक्षी योजना जल जीवन मिशन छत्तीसगढ़ में शुरू होने पहले ही विवादों के घेरे में है। पीएचई विभाग से अभी 7 हजार करोड़ रुपए के ठेकों के आबंटन की प्रक्रिया चल रही है, लेकिन उसमें गड़बड़ी को लेकर शिकायतें मिलनी शुरू हो गई हैं। इसके बाद मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने जांच के लिए मुख्य सचिव आरपी मंडल की अध्यक्षता में तीन सदस्यीय टीम का गठन किया है। केंद्र सरकार के सहयोग से इस योजना में ग्रामीण क्षेत्र के हर क्षेत्र में पेयजल लाइन पहुंचाई जानी है। जिससे प्रत्येक घर में नल लगाए जा सकें। इसके लिए ठेकों की प्रक्रिया चल रही है। आरोप है कि अकेले करीब 6 हजार करोड़ रुपए का ठेका राज्य की बाहर की कंपनियों को मैदानी इलाकों में दे दिया गया। जबकि प्रदेश के स्थानीय ठेकेदारों को बस्तर और नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में छोटे ठेके दिए गए।
पात्रता से अधिक के काम देने का आरोप : पीएचई विभाग की इस ठेका आबंटन प्रक्रिया को लेकर विरोध के स्वर उठने शुरू हो गए थे। इसके बाद ठेकेदारों सहित कांग्रेस के नेताओं ने भी इसकी शिकायत मुख्यमंत्री से की। ए श्रेणी के ठेके के लिए पात्रता असीमित है, बी के लिए 10 करोड़, सी के लिए 2 करोड़ और डी के लिए एक करोड़ की पात्रता है। बताया जा रहा है कि डी श्रेणी के ठेकेदारों को भी 4 से 10 करोड़ के काम आबंटित कर दिए गए।
शिकायतों पर मुख्यमंत्री बघेल ने जताई है नाराजगी : योजना में शिकायत मिलने को मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने गंभीरता से लिया है। उन्होंने ठेकों में गड़बड़ी के आरोपों पर नाराजगी भी जताई है। शिकायतों को लेकर उन्होंने मुख्य सचिव आरपी मंडल की अध्यक्षता में अपर मुख्य सचिव वित्त और सचिव लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग की तीन सदस्यीय टीम गठित की है। यह टीम ठेका आबंटन को लेकर अपनी जांच कर रिपोर्ट सरकार को सौंपेगी।
घरों में नल लगाने का लक्ष्य अधूरा : छत्तीसगढ़ के ग्रामीण क्षेत्रों में पाइप लाइन के माध्यम से 43.17 लाख घरों में से अब तक 4.82 लाख (11त्न ) घरों में ही पानी की सप्लाई की जा रही है। जल जीवन मिशन के माध्यम से 38.34 लाख घरों में पानी सप्लाई का लक्ष्य है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 15 अगस्त 2019 को जल जीवन मिशन की घोषणा की थी। इसके तहत साल 2024 तक हर घर स्वच्छ पेयजल उपलब्ध कराने का लक्ष्य अधूरा है।
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