छत्तीसगढ़

महिला आयोग के कर्मचारी को धमकी देने वाले को मिली सजा

Nilmani Pal
14 Dec 2022 7:24 AM GMT
महिला आयोग के कर्मचारी को धमकी देने वाले को मिली सजा
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रायपुर। राज्य महिला आयोग में आज कई मामलों की सुनवाई हुई। आज एक प्रकरण में आयोग के निर्देश का पालन पूर्व और वर्तमान थाना प्रभारी खरोरा द्वारा नही किया गया है। थाना प्रभारी द्वारा आयोग के नोटिस पर आज तक पक्षकार के प्रकरण में उपस्थित नही हुए हैं और ना ही अनावेदकगणों को उपस्थित कराए हैं। आज की सुनवाई में अनावेदकगण अनुपस्थित है। आयोग द्वारा डीजीपी को पत्र प्रेषित कर दोनो जिम्मेदार पुलिस अधिकारी जो आयोग के निर्देशों का पालन नही करने तथा महिला के प्रकरण को निराकरण करने में दोनो अक्षम साबित हुए हैं। इसलिए उनके विरुद्ध कड़ी कार्यवाही करने का पत्र भेजा जाएगा। साथ ही इस प्रकरण में अनावेदकगणों की उपस्थिति एएसआई के माध्यम से उपस्थिति कराने हेतु एसपी को पत्र भेजा जाएगा जिससे इस प्रकरण का निराकरण हो।

एक अन्य प्रकरण में अनावेदक ने आयोग के काउंसलर को सुनवाई हेतु सूचना देने पर अनावेदक ने पुरुष आयोग से बोल रहा हूं कहकर आयोग की काउंसलर को धमकाया था। जिसकी लिखित शिकायत को इस प्रकरण के रिकॉर्ड में रखा गया है। काउंसलर के मोबाइल रिकॉर्डिंग सुनने के बाद अनावेदक ने काउंसलर से आयोग के समक्ष माफी मांगी और भविष्य में इस तरह की धमकी नही देने की बात कही है। इस पूरे प्रकरण में अनावेदक पति द्वारा आवेदिका को प्रकरण वापस लेने के लिए दबाव व धमकी लगातार दिया जा रहा है। जिसे आयोग स्वयं महसूस किया है, अनावेदक पति ने स्वीकार किया कि वह दूसरी औरत रखा है जिसका बच्चा भी हो गया है और वह नागपुर के एक निजी अस्पताल में है। अनावेदक ने स्वीकार किया कि वह बिना तलाक लिए दूसरी औरत के साथ रह रहा है इस स्तर पर आयोग ने आवेदिका के भाई को निर्देश दिया गया कि वह तत्काल नागपुर के निजी अस्पताल में जाकर अनावेदक के दूसरी औरत और उसके बच्चे का जन्म प्रमाण पत्र पता करे। आयोग द्वारा इस प्रकरण को आगामी सुनवाई में अनावेदक की दूसरी महिला को आयोग में उपस्थित कराने के निर्देश दिए गए हैं जिससे इस प्रकरण का निराकरण किया जा सकेगा।

एक अन्य प्रकरण में आवेदिका का कथन है कि विभागीय अनुमति के बाद विधिवत समिति बनाकर पैसा जमा किया है। इसके बावजूद एक फर्जी आवेदन पर आवेदिका के खिलाफ जांच समिति बनाकर आवेदिका को परेशान किया जा रहा है। जब कि शिकायतकर्ता का नाम उल्लेखित नही है। जांच समिति का गठन अपने आपमे संदिग्ध हो जाता है। अनावेदक का कथन है कि उच्च अधिकारियों का आदेश के कारण गठन किया था। इस पूरे मामले में आयोग द्वारा डीईओ को आयोग कार्यालय में उपस्थिति के बाद इस प्रकरण का निराकरण किया जा सकेगा। इसी तरह एक अन्य प्रकरण में पति पत्नी के मध्य आयोग द्वारा काउंसिलिंग करवाया गया। अनावेदक पति हैदराबाद में नौकरी करता है। आवेदिका महिला बाल विकास विभाग में सुपरवाइजर के पद पर कार्यरत है। पति पत्नी साथ में रहने के लिए शर्ते तैयार किया है। आयोग द्वारा इस प्रकरण को 6 माह की निगरानी में रखते हुए दोनो को अपने सम्बंध सुधारकर अपने परिवार में अच्छा सामंजस्य स्थापित करने की समझाइश दिया गया है।

एक अन्य प्रकरण में आवेदिका ने कहा कि दोनो पक्षों के मध्य आपसी सुलह हो गयी है। आयोग की ओर से इस प्रकरण को नस्तीबद्ध करते हुए 6 माह की निगरानी में रखा गया है। जिससे आवेदिका को किसी भी प्रकार से अनावेदक प्रताड़ित न कर सके।


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