वाटर पार्कों-मेला के संचालकों नेे नियम-कायदे की उड़ाई धज्जियां
- लोगों की सुरक्षा को लेकर लापरवाही, थर्ड पार्टी बीमा नहीं
- सरकारी खजाने को लुटने संचालकों ने निकाला शार्टकट रास्ता
- वाटर पार्क/मेला बना युवक-युवतियों का लव पार्क
- वाटर पार्कों में मनोरंजन के नाम पर परोसी जा रही फूहड़ता
- चेंजिंग रूम में ताकझांक की आशंका, जांच जरुरी
- प्रेमी-प्रेमिकाओं के लिए मौज-मस्ती का अड्डा
- 2-5 घंटे के उपयोग के लिए आमतौर पर दिया जाता है जो गैर कानूनी है, घोर आपत्तिजनक और युवक-युवतियों को बिगाडऩे का अड्डा
रायपुर शहर के विभिन्न सामाजिक संगठनों ने इस तरह की फुहड़ता युवाओं को आपत्तिजनक स्थिति में लिप्त करने वाली प्रक्रिया और उपलब्ध कराने वाले संस्थानों का जमकर विरोध दर्ज किया और आगे इस हेतु शासन -प्रशासन को ज्ञापन देकर मेला/वाटर पार्क गहन निगरानी और सुरक्षा कानून लागू कराने हेतु दबाव बनाने का मन बनाया है।
मेला /वाटर पार्क में हमेशा हादसे की आशंका बनी रहती है, आगजनी, झूलों में कंरट या दुर्घटना, स्विमिंग पूल में करंट व हादसे व डूबने की घटनाएं होती रहती है। जिसके लिए नागरिक सुरक्षा बीमा नियम के अनुसार होना चाहिए। लेकिन जिला प्रशासन नोटिस देकर अपनी जिम्मेदारी से मुक्त हो गया। जबकि होना यह चाहिए था कि पुलिस विभाग की अनुमति मिलने के उपरांत तहसीलदार स्तर पर वाटर पार्क /मेला स्ेथल में स्थल निरीक्षण कर नागरिक सुरक्षा बीमा और आम जनता के लिए तमाम उपायो की जांच करते और सुरक्षा उपायों को लेकर दिशा निर्देश देते। तमाम सुरक्षा उपाय और बीमा संबधी दस्तावेज जांचने के बाद ही जिला प्रशासन को इन्हे मेंला और वाटर पार्क संचालित करने की अनुमति देनी चाहिए।
जसेरि रिपोर्टर
रायपुर स्थित रायपुरा वाटर पार्क में दुर्घटना संबंधी एक फर्जी खबर सोशल मीडिया में कुछ पत्रकारों के ग्रुप ने वायरल किया था, जिसका खंडन जनता से रिश्ता ने अपने 29 मई के अंक में छापा था, लेकिन इससे कतई यह नहीं हैं कि सभी अखबार वाले या मीडिया कर्मी किसी भी अनैतिक कार्य और जन सरोकार के मामलों को छुपाएंगे या उसका प्रकाशन नहीं करेंगे? छत्तीसगढ़ के कमोबेश सभी पत्रकार बंधु अनैतिक और नागरिक सुरक्षा से जुड़े किसी भी मामले पर किसी भी नोटिस का जवाब देने तैयार है और बगैर किसी भय और डर के हम लगातार इसे जनसरोकार के माध्यम से उजागर करते रहेंगे।
रायुपर। मेला के नाम पर राजधानी में लूट मचा हुआ है। सरकारी करों की चोरी कर करोड़ों का चूना लगा रहे है। वहीं मेला स्थल में सुरक्षा को दरकिनार कर लोगों की जिंदगी से खिलवाड़ किया जा रहा है। मेला में सरकारी नियम के तहत दर्शकों की सुरक्षा व्यवस्था के लिए थर्ड पार्टी इंश्योंरेंस अनिवार्य है, साथ ही मेला में दर्शकों के लिए जो टिकट दिया जाता है उस पर भी मूल्य अंकित होना चाहिए। राजधानी में चल रहे मेले में सिर्फ काउंटर पर 50 रूपए लिखा गया है और टिकट दिया जा रहा है उसमें किसी भी तरह की राशि का उल्लेख नहीं किया जा रहा है। वहीं दर्शकों के टिकट को गेट में खड़े गेटकीपर तुरंत फाड़ कर फेंक देते है। जनता से रिस्ता के रिपोर्टरों की टीम ने व्यक्तिगत मेले में पार्किंग से लेकर हर प्रकार के झूले की टिकट खरीदी और पूरा मेले का निरीक्षण करने के बाद इस तरीके का अव्यवस्थता तथा सरकारी नियमों के विपरीत मापदंड और जीएसटी और अन्य प्रकार के टैक्सों की चोरी की जा रही है। आबकारी मनोरंजन कर के तहत नियम से आधा टिकट दर्शक को देना होता, जिससे मेला मेें किसी तरह की दुर्घटना हो तो वह मुआवजा के लिए क्लेम कर सकता है। लेकिन राजधानी में चल रहे मेले में कानून-कायदे को दर किनार कर मनमानी की जा रही है। दर्शकों की सुरक्षा के लिए कोई भी ठोस उपाय मेला स्थल पर नहीं नजर आता है। फायर सिस्टम सिक्यूरिटी, सरकारी नियम के अनुसार झूला घर, चिडिय़ा घर, सर्कस या किसी भी प्रकार के लाइव कंसर्ट के लिए जहां पर जनता का आवागमन अधिक रहता है थर्ड पार्टी इंस्योरेंश नियम के तहत किया जाना चाङिए था। लेकिन यह जानकारी आई है कि किसी भी पार्टी का थर्ड पार्टी का इंश्योरेंश नहीं कराया जा रहा है। जबकि आकस्मिक दुर्घटना होने पर दुर्घटना ग्रस्त लोगों को मुआवजा और इलाज के लिए खर्चा दोनों ही वहन करने में सरकार कैसे पूरा करेगी। जबकि सार्वजनिक स्थान पर नागरिक सुरक्षा अधिनियम के अंतर्गत पूरे परिसर का सुरक्षा बीमा किया जाता है और जनता के आवागमन के लिए थर्ड पार्टी इंश्योरेंश भी अनिवार्य है। अधिकांश ऐसे दुर्घटनाओं में पीडि़त को जान गंवाने और शरीर गंवाने के उपरांत भी मुआवजे के लिए तरसना पड़ता है और मुआवजा नहीं मिलता है। मेले के आर्गनाइजरों की गैरजिम्मेदारी से मुआवजे की राशि का बोझ जबरन सरकार के गले पड़ता है। जबकि मेला के आर्गनाइजर लोग जनता के पैसे से जनता को सुविधा देने से मुकर जाते है और मेले से मुनाफा अपने जेब में डालते है। मेले के रास्ते को सकरा किया गया जिससे भगदड़ या किसी आपदा की स्थिति में दर्शकों को सुरक्षित निकाला जा सके। यहां मेला संचालकों ने दोहरी कमाई के चक्कर में दर्शकों की सुरक्षा को ताक पर रख दिया है। राजधानी इन दिनों मनोरंजन मेला से सराबोर है। राजधानी वासियों को मनोरंजन का नया साधन मिल गया है। लेकिन मनोरंजन के नाम से राजधानी के युवाओं को नशा और अश्लीलता परोसने में कोई कमी नहीं कर रहे हैं। पार्किंग स्थल पर कमोबेश वहीं लड़के काम करते है जो लगातार जुआ और सट्टा-गांजे के मोहल्ले के एजेंट होते है इसलिए वे अपने काम को सुरक्षित स्थल मान कर मेला स्थल पर भी बखूबी बेफिक्री से इस्तेमाल करते है। राजधानी में लगे मेले में पार्किं ग के नाम पर लूट मेला स्थल में पार्किंग बनाया गया उसमें मनमाना किराया वसूला जा रहा है। गाड़ी पार्क करने के बाद किराए की कीमत ज्यादा होने की बात कहने पर दर्शकों से दुव्र्यवहार किया जाता है। लोगों परिवार के सात वहां जाकर शर्मिंदगी महसूस करने लगे है। पार्किंग में नशेडिय़ों का अड्डा मेला में पार्किंग स्थल पर काम करने वाले लोग पार्किंग में ही जमघट लगाकर गांजा चरस पीते देख सकते है। शहर के सारे गुंडे बदमाश शाम होते ही मेला स्थल में जमाकर होकर धमाचौकड़ी मचा रहे है। शहर के गांजा,शराब तस्करों का सप्लाई का केंद्र बना हुआ है। मेले में परोसी जा रही अश्लीलता मेला देखकर आने वाले लोगों का कहना है कि मेले में मनोरंजन के नाम पर डांस के नाम पर नशा और अश्लीलता परोसी जा रही हैं। मेला स्थल में डांस के नाम पर अश्लीलता फैला रहे है। परिवार वालों के साथ मेला जाने में शर्मिंदगी झेलनी पड़ती है। पुलिस प्रशासन अगर तहकीकात करता है तो मेला संचालकों की असलियत पता चल सकता है कि वहां मेला के नाम पर क्या हो रहा है। मेला संचालकों की दबंगई यह है कि वो हर बात पर कहते फिर रहे है हमने प्रशासन से परमिशन ले लिया है अब सवाल उठता है कि शासन से परमिशन जुआ खिलाने और अश्लीलता फैलाने के लिए दिया है या स्वस्थ मनोरंजन के लिए ?
दोनों जगह मेला ग्राउंड में हमारे प्रतिनिधि ने देखा कि बड़े-बड़े झूले लगाए गए हैं जिसमे सुरक्षा में काफी कमी पाई गई है। आने वाले लोगों की थर्ड पार्टी इंस्योरेंश किया जाता है जो की नहीं है। अगर हादसा हो जाये तो कोई जवाबदार नहीं है। पिछले कुछ साल पहले वीरभद्र नगर का एक युवक इस झूले से गिरकर मौत के मुँह में चला गया था। मेला संचालकों और शासन प्रशासन की ओर से उसके परिवार वालों को किसी भी प्रकार की मदद नहीं दी गई । जीएसटी की चोरी कुछ व्यापारियों ने बताया कि इन मेला स्थलों में अनाप-शनाप दामों में सामानों की बिक्री भी की जा रही है जिसमें जीएसटी की जमकर चोरी की जा रही है। जीएसटी विभाग आंख मूँद कर बैठी है जबकि लोकल व्यापारियों को जीएसटी के नाम से प्रताडि़त भी इनके द्वारा किया जाता है। शराबियों और सटोरियों का मेला मेला स्थल के बाहर शराबियो और गंजेडिय़ों का आतंक बना है शाम होते ही तक नशेडी अपनी गैंग के साथ यहां टू व्हीलर से चक्कर लगाते है, प्रतिदिन शराबी यहां का वातावरण खराब करते है। हर समय यहां शराबियों और सटोरियों का मेला लगा रहता है जुआ सट्टा को लेकर भी मेला ग्राउंड में बहुत से कारनामे हो रहे है प्रशासन का इस ओर अभी एक तक कोई ध्यान नही देना समझ से परे है। शाम 6 बजे के बाद तो इन शराबियों का आतंक देखने लायक होता है। महिला संगठनों और मोहल्ले के लोगो द्वारा पुलिस की व्यवस्था चुस्त दुरुस्त करने की मांग भी की जा रही है लेकिन कोई ध्यान नहीं दे रहा है। वास्तविकता से विपरीत नज़ारा यहां देखने को मिल रहा है। बिजली विभाग मौन मेला के नाम से बिजली की भी चोरी की जा रही है ऐसी जानकारी आ रही है। बिजली विभाग इस पर मौन धारण किये हुए है। जबकि गरीब आदमी अगर बिजली चोरी करते पकड़ में आ जाये तो तुरंत एफआईआर करवाया जाता है और यहां लाखों की बिजली चोरी की जा रही लेकिन कोई देखने वाला नहीं है। बिजली का लोड मिली भगत कर कम लिया गया है। और सरकार के खजाने में डाका डाला जा रहा है। बदत्तमीज़ी और मारपीट पर उतारू मेला स्थल में पार्किंग के नाम पर दादागिरी भी संचालको की चल रही है। स्थानीय छुटभैये नेताओं को भरोसे में लेकर वहीँ के लड़कों से पार्किंग में वसूली भी कराई जा रही है। किसी भी प्रकार के विवाद की स्थिति में लड़के बदत्तमीज़ी और मारपीट पर उतारू हो जाते हैं। पार्किंग के आड़ में सटटा भी खिलाया जा रहा है। पुलिस को भनक तक नहीं लग रही है या पुलिस की मिली भगत से सब हो रहा है सोचने का विषय है। -जनता से रिश्ता को एडीएम एनआर साहू ने बताया कि मेले संचालकों को नोटिस जारी किया जा रहा है। वहीं एडिशनल एसपी तारकेश्वर पटेल ने बताया कि मैं टीम भेजकर वहां की सुरक्षा व्यवस्था का निरीक्षण कराता हूं।
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