भू-माफिया ने गन्ने की फसल और बाड़ उजाड़ा, न्याय के लिए भटक रहा किसान
रायपुर (जसेरि)। समूचे छत्तीसगढ़ में भू-माफिया सक्रिय हैं जो किसानों की जमीनों को धोखे से हड़प कर फर्जी दस्तावेज तैयार कर दूसरों को बेच रहे हैं। किसानों को जब तक भू-माफिया के षडयंत्रों की जानकारी मिलती है तब तक उनकी जमीन कई लोगों को बेची जा चुकी होती है। कवर्धा जिले में भी यह खेल जोरों से चल रहा है। भू-माफिया विभागीय और प्रशासनीक लोगों से मिलकर फर्जी दस्तावेज तैयार कर किसानों की जमीन हड़प रहे हैं। ऐसा ही मामला ग्राम इंदौरी में भी सामने आया है। जहां पारिवारिक विवाद के चलते सालों से कब्जाधारी के नाम जमीन का नामांतरण नहीं होने का फायदा उठाकर भू-माफिया ने किसान की जमीन कई लोगों के नाम बिक्री कर रिकार्ड में भी खरीददारों के नाम दर्ज करा लिया। किसान को इस बात की खबर तब हुई जब एक खरीददार ने जमीन पर कब्जा करने के लिए उसके गन्ने की फसल और कटिले तार की बाढ़ को उजाड़ दिया।
ग्राम इंदौरी के पीडि़त किसान ढेलऊ सतनामी ने जनता से रिश्ता को बताया कि इंदौरी में मुख्य सड़क के पास उसके कब्जे की जमीन है जिस पर वह गन्ने की फसल ले रहा था। जून 2022 में कुछ लोगों ने जमीन को अपना बताकर फसल और मकान को क्षतिग्रस्त कर दियाा और तार के बाड़ को भी जगह-जगह से काट दिया। जिसकी शिकायत पुलिस अधीक्षक से की गई लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई। जमीन पर कब्जा करने के लिए उसे बार-बार धमकी दी जा रही है। उक्त जमीन ही उसके जीविकोपार्जन का साधन है। पीडि़त ने बताया कि खसरा नंबर 673 और 672 पर उसका दशकों से कब्जा है। उसने बताया कि उक्त जमीन उसके बड़े भाई तिजऊ की लगानी जमीन थी। उसकी एक बेटी थी। जिसे उसने अपने जीते-जी कुछ जमीन व रुपए दे चुके थे। 1985 में यह जमीन उसने अपने मौत के बाद अपने दो भाई ढेलउ और दुकलहा को सौंपने की वसीयत कुछ ग्रामीणों के समक्ष स्टांप पर की थी। तिजऊ की मौत के बाद उसकी बेटी और दामाद ने उक्त जमीन पर अपना हक बताया और आधिपत्य लेने की कोशिश की जिसके बाद मामला तहसील कोर्ट में पहुंचा जहां तहसीलदार ने प्रकरण की सुनवाई के बाद ढेलऊ के हक में जमीन का नामांतरण करने का आदेश दिया। इसके बाद दूसरे पक्ष ने मामले में अपील की जिसके बाद आधिपत्य के लिए जिला कोर्ट फिर व्यवहार न्यायालय, फिर जिला कोर्ट और हाईकोर्ट तक केस चलता रहा लेकिन नतीजा शून्य रहा। इस दौरान 1995 सै लैकर 2020 तक पीडि़त किसान के कब्जे वाले जमीन का दूसरे पक्ष के लोगों ने भू-माफिया और प्रशासनिक साठंगांठ से कई लोगों से सौदा किया। किसान को इस बात की खबर तब हुई जब उसके काबिज बाली जमीन पर कब्जा करने की नियत से कुछ लोगों ने बुल्डोजर चलाकर उसकी गन्ने की फसल और मकान को उजाड़ दिया। इसके बाद जब जानकारी ली गई तो रिकार्ड देखने पर पता चला कि उक्त जमीन को कई बार अलग-अलग लोगों ने अलग-अलग लोगों को बेचा है।
किसान का कहना है कि जब जमीन का नामांतरण ही नहीं हुआ और मामले लगातार कोर्ट में चलता रहा है फिर जमीन का सौदा कैसे हो गया और रिकार्ड में बेचने और खरीदने वालों का नाम कैसे चढ़ गया। उसका कहना है कि सड़क के किनारे होने से जमीन की कीमत करोड़ों में है जिसके कारण जमीन को हड़पने के लिए षडय़ंत्र किया गया है। 1985 से उक्त जमीन पर उसका कब्जा है, उसके पूर्व उस जमीन पर उसके बड़े भाई तिजऊ का कब्जा था जिसके दस्तावेज और पर्ची भी उसके पास मौजूद है। पीडि़त किसान ने अपनी जमीन बचाने के लिए प्रशासन से गुहार लगाई है।