छत्तीसगढ़

जज बोले - जींस-टी शर्ट पहनने और किसी पुरुष के साथ घूमने से महिला के चरित्र पर उंगली उठाना गलत

Nilmani Pal
6 May 2022 10:48 AM GMT
जज बोले - जींस-टी शर्ट पहनने और किसी पुरुष के साथ घूमने से महिला के चरित्र पर उंगली उठाना गलत
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छत्तीसगढ़। छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने बच्चे की कस्टडी को लेकर प्रस्तुत अपील पर महत्वपूर्ण फैसला देते हुए कहा है कि समाज के कुछ शुतुरमुर्ग मानसिकता वाले सदस्यों के दिए गए चरित्र प्रमाण पत्र के आधार पर महिला का चरित्र तय नहीं किया जा सकता। जस्टिस गौतम भादुड़ी और जस्टिस संजय एस अग्रवाल की डिवीजन बेंच ने कहा कि जींस-टी शर्ट पहनने और किसी पुरुष के साथ घूमने से महिला के चरित्र का आंकलन करना गलत है। इस टिप्पणी के साथ ही कोर्ट ने महिला को उसके बच्चे को कस्टडी में देने का आदेश दिया है। हाईकोर्ट ने फैमिली कोर्ट महासमुंद के आदेश को रद्द कर करते हुए बच्चे को उसके पिता से मिलवाने की शर्त पर उसकी मां को सौंपने का आदेश दिया है।

दरअसल, इस मामले में पिता ने अभिभावक अधिनियम 1890 की धारा 25 के तहत फैमिली कोर्ट में एक आवेदन प्रस्तुत कर बच्चे को संरक्षण में लेने की मांग की थी। बच्चा उसकी तलाकशुदा पत्नी और अपनी मां के साथ रहता था। इससे पूर्व पति और पत्नी के बीच विवाह को भंग करने वाली तलाक के आदेश में बच्चे की कस्टडी मां को दी गई थी। फैमिली कोर्ट में दिए अपने आवेदन में बच्चे के पिता ने आरोप लगाया था कि उसके बच्चे की मां किसी दूसरे पुरुष के संपर्क में रहती है। इससे बच्चे पर बुरा असर पड़ेगा। इस आधार के साथ ही आवेदन में महिला के पहनावे पर भी सवाल उठाए। पति ने यह तर्क दिया कि यदि बच्चे को उसकी कस्टडी में रखा जाता है, तो बच्चे के दिमाग पर बुरा प्रभाव पड़ेगा।

शराब और धूम्रपान आदि के सेवन के आरोप पर हाईकोर्ट ने टिप्पणी करते हुए कहा है कि जब महिला के चरित्र की हत्या के लिए हमला किया जाता है तो एक सीमा रेखा निर्धारित करना महत्वपूर्ण है। इस मामले में गवाहों के बयान से पता चलता है कि वे महिलाओं की पोशाक जैसे जींस और टी-शर्ट पहनना और किसी पुरुष सदस्य के साथ चलने से चरित्र का आंकलन करते हैं। कोर्ट ने कहा कि इससे हमें डर है कि अगर इस तरह की गलत कल्पना को महत्व दिया गया तो महिलाओं के अधिकार और स्वतंत्रता की रक्षा के लिए एक लंबी कठिन लड़ाई होगी। कोर्ट ने स्पष्ट किया है कि अगर पूरी बात यह दिखाने के लिए है कि पत्नी के चरित्र के कारण, बच्चे पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा तो ऐसे मामलों में सबूत एकदम पुख्ता होनी चाहिए।

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