छत्तीसगढ़

चिटफंड कंपनी की प्रॉपर्टी की जानकारी एसपी ने कलेक्टर को भेजी

Nilmani Pal
14 Nov 2021 5:46 AM GMT
चिटफंड कंपनी की प्रॉपर्टी की जानकारी एसपी ने कलेक्टर को भेजी
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  1. दो और चिटफंड कंपनियों की संपत्ति होगी कुर्क
  2. दिव्यानी और बीएन गोल्ड चिटफंड कंपनी के खिलाफ दर्ज है एफआईआर

जसेरि रिपोर्टर

रायपुर। चिटफंड कंपनियों में डूबे पैसे लोगों को भले ही लोगों को वापस नहीं मिल पा रहे हैं लेकिन प्रशासन की ओर से लगातार ऐसी कंपनियों की प्रॉपर्टी कुर्क की जा रही है। दिवाली के पहले दो चिटफंड कंपनियों की डेढ़ करोड़ की संपत्ति कुर्क करने के बाद रायपुर एसपी ने फि र 2 नई कंपनियों की संपत्ति को कुर्क करने का प्रस्ताव कलेक्टर को भेज दिया है।

एसपी की ओर से जानकारी दी गई है कि दिव्यानी और बीएन गोल्ड चिटफंड कंपनी के खिलाफ एफआईआर दर्ज हुई है। इन कंपनियों में हजारों लोगों ने करोड़ों निवेश किया है। दोनों चिटफंड कंपनियों की रायपुर में करीब 2 करोड़ के संपत्ति की जानकारी मिली है। यह सभी प्रॉपर्टी लोगों के निवेश किए गए पैसों से ही खरीदी गई है। इसलिए इन्हें कुर्क किया जाना चाहिए।

एसपी के प्रस्ताव पर कलेक्टर एक-दो दिन में दोनों चिटफंड कंपनियों की संपत्ति कुर्क करने का आदेश जारी करेंगे। राजधानी में अब तक 16 चिटफंड कंपनियों की 8 करोड़ से ज्यादा की संपत्ति कुर्क की जा चुकी है। इन दो कंपनियों की संपत्ति कुर्क होने के बाद रायपुर प्रशासन के पास 10 करोड़ से ज्यादा की संपत्ति नीलाम की जा सकेगी। हालांकि रायपुर में अभी एक भी चिटफंड कंपनी की संपत्ति नीलाम नहीं की गई है। लगभग सभी कंपनियों ने नीलामी के विरोध में कोर्ट में याचिका दायर कर दी है। इस पर अंतिम फैसला नहीं आने की वजह से संपत्तियों की नीलामी नहीं हो पाई है।

रायपुर में ही 2.25 लाख से ज्यादा आवेदन: करीब दो माह पहले चिटपंड कंपनियों में जिन लोगों के पैसे डूबे हैं, उनसे आवेदन मंगाए गए थे। पैसे कब और कितने कितने जमा किए? इसका पूरा रिकार्ड मांगा गया। लोगों ने पैसे मिलने की उम्मीद पर अपने आवेदन के साथ चिटफंड कंपनी से संबंधित एक-एक दस्तावेज जमा किए। इसके लिए इतनी भीड़ उमड़ी कि केवल रायपुर जिले में ही 2.25 लाख से ज्यादा लोगों की अर्जियां जमा हो गईं। सबसे ज्यादा आवेदन रायपुर तहसील में ही जमा कराए गए। रायपुर के अलावा आरंग, खरोरा, अभनपुर समेत कई तहसीलों में आवेदन डंप कर हैं। इसके लिए जिन अफ सरों को नोडल बनाया गया है उनका कहना है कि जब तक इस मामले में राज्य सरकार से स्पष्ट निर्देश नहीं मिल जाते आगे की कार्यवाही नहीं की जा सकती है। शासन के आदेश की प्रत्याशा में अब तक अब तक न तो आवेदानों की कंप्यूटर में इंट्री की गई है और न ही उन्हें इलाके और कंपनी के अनुसार छांटा गया है। आवेदनों की गिनती के अलावा कुछ नहीं किया गया । तहसील कर्मचारियों का कहना है कि इन सभी आवेदनों की छंटाई के बाद इन्हें थानों में भेजा जाएगा। थाने के माध्यम से प्रापर्टी का पता लगाकर उन्हें सूचना भेजी जाएगी। ये पूरी प्रक्रिया कब और कैसे पूरी की जाएगी? इसमें कितना समय लगेगा मंत्रालय के अफ सर ही बता सकते हैं।

कुर्की के बाद भी निवेशकों को नहीं लौटा रहे रकम, नशा-गांजा तस्करी बेकाबू

डीजीपी बदलने के बाद सरकारी गलियारों और अफ सरशाही में इस बदलाव को लेकर चर्चा जारी है। इसमें यह बात सामने आई कि राजधानी समेत प्रदेश के कई प्रमुख जिलों में विधायक-सांसद ढीली पुलिसिंग की लगातार शिकायतें कर रहे थे। ये शिकायतें सट्टा-जुआ, चाकूबाजी जैसे अपराध बढऩे और नशा-गांजा तस्करी बेकाबू होने की तो थी ही, चिटफंड मामले में फरार डायरेक्टरों की गिरफ्तारी और लोगों के पैसे वापस नहीं मिलने को लेकर सरकार ज्यादा गंभीर थी। चर्चा यह भी है कि सीएम भूपेश बघेल ने डीजीपी को बदलकर आईएएस-आईपीएस लॉबी को यह इशारा कर दिया है कि उनके तेवर अब और सख्त होंगे तथा ऐसी कोई भी बात जिससे सरकार की छवि प्रभावित हो रही हो, उसके जिम्मेदारों को महत्वपूर्ण जिम्मेदारियों से तुरंत अलग कर दिया जाएगा। हाल के दिनों में सीएम बघेल को पूरे प्रदेश भर से शिकायतें मिल रही थी कि पुलिस के कामकाज में बदलाव नजर नहीं आ रहा है। ये शिकायतें विधायक-सासंदों के साथ आम लोग भी करते रहे हैं। डेढ़ साल के कोरोना काल के बाद सीएम बघेल ने कई जिलों के पुलिस अधीक्षकों को ताकीद की थी कि सुधार होना चाहिए। सुधार नहीं आया तो उन्होंने हाल में दो चरणों में दर्जनभर एसपी भी बदले। लेकिन माना जा रहा है कि पुलिसिंग में कोई बदलाव नहीं आया। इसी तरह, कुछ जिलों में गैंगवार के साथ कवर्धा और जशपुर में गुटीय तनाव के मामले भी आ गए। इसे लेकर सीएम बघेल काफी नाराज थे और 10 दिन पहले सभी जिलों के कलेक्टर-एसपी को राजधानी बुलाकर क्लास ली थी। इसमें उन्होंने डीजीपी अवस्थी तथा सभी एसपी को पुलिसिंग सुधारने के लिए नए टारगेट भी दिए थे, ताकि कार्यशैली में बदलाव आए। इसके बावजूद दस दिनों मे कोई बदलाव नजर नहीं आया। इस बीच, यह शिकायतें भी ऊपर तक पहुंचीं कि कुछ जिलों में रेट तय कर थानेदार पोस्ट किए जा रहे हैं। यही बातें सब मिलाकर पुलिसिंग में बड़े बदलाव का कारण बनीं।

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