परेशान नहीं कर सकते, ये टिप्पणी करते हाईकोर्ट ने खारिज की FIR
बिलासपुर bilaspur news। हाईकोर्ट High Court ने स्पष्ट किया है कि दुर्भावनापूर्ण अभियोजन से व्यक्तियों को परेशान करने की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए। इसी आदेश के तहत याचिकाकर्ता मुनमुन सिंह के खिलाफ दायर एक एफआईआर को खारिज कर दिया गया है।
chhattisgarh news यह मामला मुनमुन सिंह और उनकी चाची चंद्रकांति देवी के बीच पारिवारिक संपत्ति विवाद से जुड़ा हुआ है। मुनमुन सिंह को उनके एक चाचा लालगोविंद सिंह ने गोद लिया था। लालगोविंद के मेडिकल अनफिट होने के बाद मुनमुन ने साउथ ईस्टर्न कोलफील्ड्स लिमिटेड (एसईसीएल) में नौकरी हासिल की थी। 2018 में लालगोविंद की मृत्यु के बाद, पैतृक संपत्ति को लेकर विवाद शुरू हो गया।
इस विवाद के चलते, मुनमुन के एक अन्य चाचा गोविन्द ने उन पर रोजगार और शैक्षिक रिकॉर्ड में धोखाधड़ी का आरोप लगाते हुए कई शिकायतें दर्ज कराईं। बाद में, गोविन्द की पत्नी और मुनमुन की चाची चंद्रकांति देवी के रिये एक एफआईआर दर्ज कराई गई। ट्रायल कोर्ट ने याचिकाकर्ता के खिलाफ आदेश जारी किया, जिसके खिलाफ मुनमुन सिंह ने हाईकोर्ट में क्रिमिनल पिटीशन दायर की।
हाईकोर्ट ने याचिका की सुनवाई करते हुए पाया कि यह मामला दुर्भावनापूर्ण अभियोजन का है और इस प्रकार की शिकायतें व्यक्तियों को परेशान करने के उद्देश्य से दर्ज नहीं की जानी चाहिए। इस आदेश के साथ ही मुनमुन सिंह के खिलाफ दायर एफआईआर को खारिज कर दिया गया है।