छत्तीसगढ़

शोहरत की बुलंदी भी पल भर का तमाशा है, जिस डाल पे बैठे हो वो टूट भी सकती है

Nilmani Pal
11 Sep 2022 7:11 AM GMT
शोहरत की बुलंदी भी पल भर का तमाशा है, जिस डाल पे बैठे हो वो टूट भी सकती है
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ज़ाकिर घुरसेना/ कैलाश यादव

लगातार पंद्रह साल प्रदेश में राज करने वाले मुख्यमंत्री डा रमन सिंह, नवनियुक्त नेता प्रतिपक्ष नारायण चंदेल, प्रदेशाध्यक्ष अरुण साव पिछले सप्ताह सुर में सुर मिलाते हुए आंदोलनरत कर्मचारियों को कहा कि हमारी सरकार बनते ही केंद्र के समान डीए देंगे। केंद्र के समान महंगाई भत्ता और सातवें वेतनमान को लेकर आंदोलन कर रहे प्रदेश के अधिकारी कर्मचारियों को साधने में जुटे मगर सीएम भूपेश की अपील पर हड़ताल स्थगित होने से अरमानों में पानी फिर गया। रमन सिंह ने हड़ताली कर्मचारियों का समर्थन करते हुए ट्वीट कर कहा, मेरा कर्मचारी भाई-बहनों से आग्रह है। आपको डरने या घबराने की जरूरत नहीं है, भारतीय जनता पार्टी आपके साथ है। यदि सरकार कोई अनुचित कदम उठाएगी तो मिलकर मुंहतोड़ जवाब देंगे। साथ ही हमारी सरकार बनते ही केंद्र के समान डीए देंगे। आपका अधिकार, आपको जरूर मिलेगा। छत्तीसगढ़ के पांच लाख कर्मचारियों और उनके परिवारों के लिए पूरी पार्टी उनके साथ खड़ी है और प्रदेश की दो करोड़ से भी अधिक जनता महंगाई से मर रही है उनके बारे में कुछ भी नहीं सोच रहे हैं। आंदोलन के दौरान जनता काम के लिए परेशान हुई है उसके बारे में सोचना था, आये दिन त्योहारी सीजन में ट्रेने बंद कर दी जाती है, बेतहाशा मंहगाई के लिए केंद्र सरकार को पत्र लिखने के बजाय आंदोलनरत कर्मचारियों को सांत्वना देने में समय बिता रहे है, जबकि कर्मचारी अपनी मांगों को मनवाकर वापस काम पर लौट चुके हैं। जनता में खुसुर-फुसुर है कि जो स्थिति आज छत्तीसगढ़ में भाजपा की है उसे मजबूत करने में और खोई हुई ताकत को वापस लाने जनता की समस्याओं को उठाना पड़ेगा। इस पर मशहूर शायर डा. बशीर बद्र का शेर याद आया-शोहरत की बुलंदी भी पल भर का तमाशा है, जिस डाल पे बैठे हो वो टूट भी सकती है।

छत्तीसगढ़ में मंहगाई दर कम हुई

पिछले दिनों भाजपा युवा मोर्चा द्वारा सीएम हाउस का घेराव करने निकले। जिसमें उनकी प्रमुख मांग बेरोजगारों को रोजगार देने की थी, लेकिन सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकोनॉमी की डेटा के मुताबिक छत्तीसगढ़ में बेरोजगारी दर घटके कम हुई है जो देश में सबसे कम है। जनता में खुसुर-फुसुर है कि भाजपाई ये आंदोलन सिर्फ मूड फ्रेश करने के लिए किये थे या सिर्फ मनोरंजन के लिए समझ में नहीं आ रहा। उनको पहले जनता का मूड तो भांप लेना था, फिर आंदोलन करते तो कुछ फायदा भी मिलता। बहरहाल छत्तीसगढ़ के नेता वही करेंगे जो उन्हें दिल्ली से निर्देश होगा।

ये ईलू इलू क्या ये इलू इलू

लगभग 30-35 साल पहले दिलीप कुमार की एक फिल्म सौदागर आई थी जिसमें एक गाना लोकप्रिय था ये इलू इलू क्या है ये इलू इलू। जब बाग में कोई फूल खिले तो भौरों ने कहा इलू इलू। जब कोई अ'छा लगता है बड़ा प्यारा प्यारा लगता है तो दिल कहता है इलू इलू। इसी प्रकार चुनाव नजदीक आते ही नेताओं ने इसी गाने को अपने अंदाज में गुनगुनाना शुरू कर दिया है।जब चुनाव सिर पर हो तो मतदाता बड़ा प्यारा -प्यारा लगता है, तो दिल करता है रेवड़ी-रेवड़ी। सीएम भूपेश बघेल ने भी भाजपाइयों से पूछ ही लिया ये रेवड़ी-रेवड़ी क्या है। गरीबों, किसानों, मजदूरों,छात्रों को सहूलियत देना क्या रेवड़ी है। तो फिर छत्तीसगढ़ में भाजपा के वरिष्ठ नेताओंं को दरकिनार कर अपनो को अध्यक्ष और नेता प्रतिपक्ष पद बांटना भी इसी का एक पार्ट तो नहीं है। जनता में खुसुर-फुसुर है कि भैया ये राजनीतिक पार्टियों है एक की केंद्र में तो दूसरे की राÓय में सरकार है, किसी को भी कुछ भी बांट सकते है। रेवड़ी हो या पद । क्योंकि चुनाव आसन्न है। इसलिए करेले को रेवड़ी बनाने की कवायद चल रही है।

साला झुकेगा नई ....

कर्मचारी-अधिकारियों की मांगों को लेकर शानदार 12 दिन चलने के बाद सीएम भूपेश बघेल की पुचकारने और घुड़काने वाले अपील कारगर साबित हुई। सीएम ने 2 सितंबर तक काम में लौटने की अपील के साथ यह जोड़ दिया था कि जो नहीं लौटेगा उसका वेतन काटा जाएगा। साथ ही मंत्रियों को कर्मचारी नेताओं को मनाने की जि मेदारी भी सौंपी। इसी बीच 12 वें हड़ताल सरकार के आश्वासन के बाद खत्म हो गया। इससे सरकार को क्या फायदा हुआ या कर्मचारियों अधिकारियों को क्या फायदा हुआ किसी को अब तक पता नहीं है। लेकिन कांग्रेसियोंं फायदा हो गया यह जग जाहिर हो गया है। हड़ताल खत्म होने के बाद कांग्रेसी चौक-चौराहों, पान-चाय ठेला में यह कहते फिर रहे हैं कि साला झुकेगा नहीं। जनता में खुसुर-फुसुर है कि ये बात तो कर्मचारी और अधिकारी संगठन से जुड़े कर्मचारियों और अधिकारियों से पूछना चाहिए जो फेडरेशन के कर्ताधर्ताओं को हड़ताल खत्म करने पर क्यों कोस रहे है।

चुनावी शंखनाद से पहले राजनीतिक दलों ने खोला मोर्चा

विधानसभा चुनाव में अभी एक साल बाकी है, लेकिन छत्तीसगढ़ में दोनों प्रमुख राजनीतिक पार्टियों ने सक्रियता बढ़ा राजनीतिक हवा को तेज कर दिया है। सत्ताधारी दल जहां रिपीट करने के लिए लगातार प्रदेश की जनता के मांगों को पूरा करने से साथ लोकलुभावन योजनाओंं को क्रियान्वित कर रही है वहीं भाजपाई और संघ से जुड़े लोग कांग्रेस सरकार के खिलाफ मोर्चा खोलकर सत्ता में वापसी के लिए हाथ पैर मार रही है। संघ प्रमुख के 7 दिवसीय राजधानी में डेरा जमाने के बाद भाजपा स्व स्फूर्त होकर काम करते दिकाई दे रही है। कही हड़तालियों से मिल रही है तो कहीं वाडऱ्ों का समस्या को लेकर आंदोलन कर रही है। जनता में खुसुर फुसुर है कि यदि समय रहते यही काम सत्ता गंवाने के बाद कर लिए होते तो आज हाड़तोड़ मेहनत नहीं करना पड़ता न ही अध्यक्ष और नेता प्रतिपक्ष बदलना पड़ता।

पुलिस ने बजरंगियों को कर दिया लाल

मामला उज्जैन में महाकाल दर्शन को लेकर है, जहां रणवीर कपूर और आलिया भट्ट को प्रशासन से महाकाल की अनुमति मिली थी, लेकिन उज्जैन पहुंचते ही बजरंगियों ने रणवीर के एक बयान को लेकर महाकाल दर्शन का विरोध करने लगे। Óयादा हंगामा होने पर पुलिस ने बजरंगियों को लाल कर दिया। बजरंगियों को लग रहा ता कि भाजपा सरकार है तो हमारी निकल पड़ेगी। लेेकिन कानून तो कानून होता है भाई? सुरक्षा की दृष्टि से पुलिस ने हंगामा करने वाले बजरंगियों पर लाठी चार्ज कर दिया। जनता में खुसुर-पुसुर है कि

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