मृतक के परिजन को मिले 1 करोड़ 52 लाख रूपये, सड़क दुर्घटना में हुई थी मौत
दंतेवाड़ा। जिले में बीते दिन आयोजित नेशनल लोक अदालत में जिला न्यायाधीश के समक्ष प्राप्त प्रकरणों में दो ऐसे प्रकरण मिले, जिनमें वाहन दुर्घटना में मृतक के परिजनों एवं प्रेम विवाह के बाद सामंजस्य न बन पाने की वजह से तलाक हेतु आवेदन दिये गये थे। इन प्रकरणों पर जिला न्यायाधीश, दंतेवाड़ा अब्दुल जाहिद कुरैशी, ने संवेदनशीलता पूर्वक विचार कर न्यायालय के मोटर दुर्घटना दावा प्रकरण में वाहन दुर्घटना के फलस्वरूप मृत्यु के मामले में आवेदकगण ने बीमा कंपनी एसबीई जनरल इंश्योरेंस कंपनी रायपुर के साथ कुल 70 लाख रूपये में समझौता किया। दावा प्रकरण में मृतक स्व. सोमड़ा कवासी की मृत्यु होने पर 11 अप्रैल 2022 को कुल 77 लाख 10, हजार रूपये की क्षतिपूर्ति के लिए पेश किया गया था, जिसमें जिला न्यायाधीश द्वारा उभयपक्ष के साथ प्री-सिटिंग कर समझाइश दिया गया था।
दूसरे प्रकरण में जिला न्यायाधीश दंतेवाड़ा कुरैशी, के न्यायालय के एक अन्य मोटर दुर्घटना दावा प्रकरण में वाहन दुर्घटना के फलस्वरूप मृत्यु के मामले में आवेदकगण से बीमा कम्पनी जनरल इंश्योरेंस कंपनी रायपुर के साथ आज कुल 75 लाख रूपये में समझौता किया गया और मामले का सहजता से निराकरण हुआ। यह दावा अशोक कुंजाम की मृत्यु होने पर 19 जुलाई 2022 को कुल 1 करोड़ 10, लाख क्षतिपूर्ति के लिए पेश किया गया था, जिसमें जिला न्यायाधीश द्वारा उभयपक्ष के साथ प्री-सिटिंग कर समझाइश दिया गया था, जिसके फलस्वरूप आज इस प्रकरण में सफलतापूर्वक राजीनामा सम्पन्न हुआ। इस समझाईश में जिला न्यायाधीश दंतेवाड़ा के अलावा खंडपीठ के सदस्य अशोक जैन अधिवक्ता एवं सामाजिक कार्यकर्ता पवन शर्मा तथा आवेदकगण की ओर से श्री हरिलाल डेगल अधिवक्ता एवं बीमा कम्पनी की ओर से राजेश भदौरिया अधिवक्ता जगदलपुर का भी योगदान रहा है।
शैलेश शर्मा अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश एफटीसी, दंतेवाड़ा के न्यायालय में बीते दिन एक पारिवारिक मामला वर्ष 2022 से लंबित था, जिसमें पक्षकार का विवाह वर्ष 2018 में प्रेम विवाह हुआ था। ये विवाह के बाद तलाक का आवेदन प्रस्तुत किए थे। परंतु आज नेशनल लोक अदालत में जिला न्यायाधीश अब्दुल जाहिद कुरैशी, एवं सुलहकर्ता सदस्यगण तथा आर.एन. ठाकुर अधिवक्ता एवं सामाजिक कार्यकर्ता सुमन प्रभा यादव एवं उक्त पीठासीन अधिकारी शैलेश शर्मा के द्वारा पक्षकारों को समझाइश दिए जाने पर दोनों पति-पत्नी पारस्परिक सहमति के आधार पर अपना प्रकरण वापस लेने के लिए तैयार हो गये और अपने परिवार के उज्जवल भविष्य के लिए साथ-साथ रहना स्वीकार किया। विवाह विच्छेद की याचिका वापस लिये। उनका पारिवारिक विवाद का आज न्यायालय में ही समाधान हुआ और न्यायालय से ही साथ-साथ घर गये और एक परिवार टूटने से बच गया तथा टूटा हुआ परिवार एक हो गया। इसके लिए जिला न्यायाधीश ने उन्हें न्यायालय परिसर में ही पुष्पगुच्छ देकर उनके नये दाम्पत्य जीवन के लिए शुभकामनाएं दिये।