छत्तीसगढ़

शहीद देवेंद्र सेठिया के अंतिम संस्कार के दौरान रोया पूरा गांव

Nilmani Pal
21 April 2024 4:47 AM GMT
शहीद देवेंद्र सेठिया के अंतिम संस्कार के दौरान रोया पूरा गांव
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जगदलपुर। धोबीगुड़ा के जिस घर में रहकर आरक्षक देवेंद्र सेठिया के आने पर आसपास के साथ ही लोगों में खुशी की लहर देखी जाती थी, शनिवार की सुबह उसी घर में जैसे ही आरक्षक देवेंद्र का पार्थिव शरीर पहुँचा सभी की आँखे नम हो गई। हर कोई आखरी बार देवेंद्र को देखना चाह रहा था, हर कोई उससे बात करने की कोशिश कर रहा था, कुछ माह पहले जब दियारी त्यौहार मना कर जा रहा था, तब किसी ने भी नहीं सोचा था कि इसे आखरी बार देख रहे है, हमेशा हँसते मुस्कुराते आने वाला देवेंद्र घर के साथ ही पूरे गाँव के लोगों में आंसू देकर जाएगा।


शुक्रवार को हुए हादसे में देवेंद्र ने अपनी जान गवां दी थी, जिसके बाद शुक्रवार को मेडिकल कालेज डिमरापाल में जवान के पीएम होने के बाद शनिवार की सुबह नया बस स्टैंड 80 बटालियन सीआरपीएफ में जवान को गॉड ऑफ ऑनर दिया गया, जहाँ सीआरपीएफ के आला अधिकारियों से लेकर बस्तर रेंज आईजी पी सुंदरराज भी मौजूद थे, जहाँ जवान को श्रद्धांजलि देने के बाद उसके पार्थिव शरीर को गृहग्राम के लिए रवाना किया गया। बताया जा रहा है कि लोकसभा चुनाव के मद्देनजर बीजापुर जिले के उसूर थाना क्षेत्र के ग्राम गलगम में सीआरपीएफ की पार्टी एरिया डोमिनेशन के लिए निकली थी, इसी दौरान यूबीजीएल ब्लास्ट होने से कॉस्टेबल देवेंद्र के पैर, कमर और हाथ में गंभीर चोट आई, जिसे बेहतर उपचार के लिए जिला अस्पताल ले जाया गया, गंभीर हालत को देखते हुए उसे मेकाज हेलीकॉफ्टर की मदद से भेजा गया, मेकाज पहुँचने से पहले देवेंद्र सेठिया शहीद हो गए। घटना की जानकारी लगते ही परिजनों से लेकर घर परिवार में शोक की लहर छा गई, वहीं जवान के पार्थिव शरीर को मेकाज में रखवाया गया।

शहीद जवान देवेंद्र सेठिया का पार्थिव शरीर जैसे ही गृहग्राम पहुँचा, वैसे ही उसकी माँ अपनी शहीद बेटे को देखने आ पहुँची, माँ को अब भी विश्वास नहीं हो रहा है कि दो माह पहले जिस बेटे को खुशी-खुशी अपने ड्यूटी में जाने दे रही है, अब उससे दुबारा कभी नहीं देख पाएगी, ना ही उसकी आवाज सुन पाएगी।

सोशल मीडिया से लेकर वॉट्सअप में जैसे ही देवेंद्र के शहीद होने की जानकारी परिजनों को लगा, धोबीगुड़ा स्थित घर में लोगों का जमावाड़ा लगना शुरू हो गया, जवान की शहादत की खबर का पता चलते ही गाँव में शोक की लहर छा गई, देर रात से लोगों का जमावाड़ा लगना शुरू हो गया और देवेंद्र को आखरी बार देखने के लिए पूरा गांव आ गया।

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