छत्तीसगढ़

हाउसिंग बोर्ड के विवादित अधिकारी को नहीं मिली जमानत

Admin2
12 Feb 2021 5:37 AM GMT
हाउसिंग बोर्ड के विवादित अधिकारी को नहीं मिली जमानत
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जिला न्यायालय ने खारिज की जमानत याचिका

पदोन्नति में बंदरबांट, कमतर लोगों को छुटभैया नेताओं के एप्रोच से योग्यता नहीं होने के बाद भी पद देकर अयोग्य को नवाजा गया

मध्यप्रदेश के बंटवारे का फायदा हाउंसिग बोर्ड मेें पहुंचकर एलडीसी पदोन्नत होकर अधिकारी बन गए

पदोन्नति मापदंड की पूरी तरह अवहेलना की

जसेरि रिपोर्टर

रायपुर। हाउसिंग बोर्ड के जनसंपर्क अधिकारी राजेश नायर अपने ही विभागीय संपदा अधिकारी एमएस शेख को प्रमोशन के नाम पर दस लाख मांगा और नहीं देने पर जान से मारने की धमकी देने के साथ शेख से मारपीट के आरोप में जेल में निरूद्ध है। राजेश नायर की जमानत याचिका को षष्टम अपर न्यायाधीश रायपुर के जस्टिस ने खारिज कर दी है।

ज्ञात रहे कि हाउसिंग बोर्ड जब से बना है और छत्तीसगढ़ राज्य बनते ही मध्यप्रदेश से हुए बंटवारे में आए हुए सभी एक से बढ़ कर एक भ्रष्ट और फर्जी डिग्रीधारी और दूसरे डिपार्टमेंट से आए हुए कमतर लोग को हाउसिंग बोर्ड में छुटभैया नेताओं के चक्कर में बड़ी -बड़ी पोस्टों में नवाजा गया.जबकि जिसकी जो योग्यता है उसके अनुसार पद देना था,लेकिन ऐसा नहीं किया गया। इसका परिणाम यह हुआ कि अभिलाषा परिसर बिलासुपर का भारी घोटाला और रायपुर का हिमालयन हाईट्स घोटाला और इंटरनेशनल टाऊनशिप तालपुरी रूआंबांधा का एक हजार करोड़ का घोटाला जिसमें जांच अधिकारी ने स्पष्ट रूप से भ्रष्ट अधिकारियों से रक म वसूलने और विभागीय जांच कर दंडि़त करने का निष्कर्ष निकाला था। उसको भी तत्कालीन भ्रष्ट अधिकारियों ने अपने प्रभाव और कर्मचारी संगठन का उपयोग करते हुए दबा दिया गया । पूरे विश्व में छत्तीसगढ़ हाउंसिग बोर्ड ऐसा विभाग है जो अब तक आपस में ही एक दूसरे को प्रमोशन कर बड़े-बड़े पदों से नवाजते रहे। जबकि उक्त प्रमोशन में यह नहीं देखा गया कि अधिकारी उस स्तर का कार्य करने की योग्यता रखता है या नहीं इसकी डिग्री इस काम के लिए उसको अनुमति देती है कि नहीं इसकी डिग्री की बात तो दूर की रही जांच भी नहीं हुई।

तालपुरी घोटाला कांड जिसमें आवेदक पप्पू फरिश्ता ने आरोपित लोक सेवक के विरूद्ध गृह निर्माण मंडल व्दारा दुर्ग रूआबांधा में निर्मित सिटी तालपुरी के निर्माण के संबंध में लोक आयोग में शिकायत किया था। जांच और समीक्षा उपरांत जांच प्रतिवेदन एवं योजना के संबंध में अद्यतन जानकारी आयुक्त गृह निर्माण मंडल रायपुर को प्रेषित की गई इसी जांच प्रतिवेदन में निष्कर्ष के रूप में जो खामियां पाई गई उन्ही के संबंध में पप्पू फरिश्ता ने शिकायत की थी।

तत्कालीन तालपुरी प्रोजेक्ट में कार्यपालन अभियंता आरोपित लोक सेवक हर्ष कुमार जोशी एवं एन डी पनारिया थे, इन दोनों का दायित्व था कि नियमानुसार भू-अभिन्यास प्रशासकीय स्वीकृति, तकनीकी स्वीकृति प्राप्त करने के बाद ही निविदा आमंत्रण की कार्रवाई करते, लेकिन उन्होंने ऐसा न कर नियम विरूद्ध कार्य किया । आवासीय परियोजना की निविदा अनुबंध की शर्तों को शामिल नहीं किया गया. एनआईटी स्वीकृत किया गया. इस प्रकार ठेकेदार को फायदा पहुंचाने के लिए आरोपित लोकसेवक ने एनआईटी में धारा 3 सी को शामिल नहीं किया।

इस आवासीय योजना में आरोपित लोक सेवकगण ने ठेकेदार को हर प्रकार से अनुचित लाभ दिया है। सिक्युरिटी एडवांस देने के मामले में भी नियम विरूद्ध रूप से टेकेदार को लाभ पहुंचाया गया है। सिक्युरिटी एडवांस देने से पहले ठेकेदार के व्दारा लगाए गए सामान का वेरिफिकेशन नहीं किया गया है। मटेरियल एवं स्टोर का एकाुंट नहीं बनाया गया। तथा मटेरियल के खपत का ब्यौरा भी माप पुस्तिका में नहीं दिया गया। इससे संबंधित लेख प्रदर्श पी 01 के पेज नंबर 48 से 110 तक में है। पेज नंबर 48 के अनुसार प्रपोप्ड अमाउंट से ठेकेदार 44761060 रुपए तथा पेज नंबर 49 के अनुसार प्रपोप्ड अमाउंट से 32500345 रुपए अधिक का भुगतान किया गया। इन दोनों दस्तावेजों में यह भी लिखा है कि यह राशि अनुमानित है। उक्त कार्य से संबंधित माप पुस्तिका एवं सार पुस्तिका उपलब्ध नहीं होने के कारण वास्तविक राशि का बताया राशि का बताया जाना संबव नहीं है। इससे बी यह स्पष्ट है कि आरोपित लोकसेवक एवं इससे संबंधित सभी अधिकारी /कर्मचारीगण या तो बिना माप पुस्तिका बनाए भुगतान किया है या फिर अतिरिक्त भुगतान अनियमित रुप से किए डाने के कारण माप पुस्तिका को छिपा दिया गया जो जांच का विषय है।

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