बिलासपुर। पति पत्नी के बीच विवाद खत्म होने के बाद भी कड़वाहट के दौर में दर्ज कराई गई एफआइआर गृहस्थी के आड़े आती रही। छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट की सिंगल बेंच ने शीर्ष अदालत के फैसले का हवाला देते हुए आपसी राजीनामा के तहत प्रकरण समाप्त करने का आदेश जारी किया है। इससे दोनों के बीच पांच साल से चला आ रहा विवाद अब समाप्त हो गया है। इस फैसले से उनकी गृहस्थी बच गई है।
कोंडगांव जिले के केशकाल की आबेदा बानो का निकाह वर्ष 2016 में ओडिशा के मोहम्मद अफजल से हुआ था। श्ाादी के दो महीने बाद ही दोनों में झगड़ा होने लगा। वर्ष 2017 में आबेदा ने केशकाल थाने में पति, ननद और सास के खिलाफ जान से मारने का प्रयास, दहेज प्रताड़ना समेत विभिन्न् धाराओं में एफआइआर दर्ज करा दी। जब तक मामला निचली अदालत तक पहुंचा दोनों में सुलह हो गई। फिर भी कानूनी प्रक्रिया नहीं थमी। निचली अदालत ने जमानती धाराएं तो समाप्त कर दीं पर दहेज प्रताड़ना व जान से मारने का प्रयास उसके अधिकार क्षेत्र में नहीं था। लिहाजा इन धाराओं के तहत दर्ज प्रकरण को समाप्त नहीं किया।
पति पत्नी ने संयुक्त रूप से वकील रविंद्र शर्मा के जरिए छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट में याचिका दायर कर दहेज प्रताड़ना और जान से मारने संबंधी धाराओं को समाप्त करने की गुहार लगाई। याचिकाकर्ताओं ने कहा कि उन्हें अपनी गलती का एहसास है। दोनों ने समझौता कर लिया है और नए सिरे से गृहस्थी बसाकर जीना चाहते हैं। मामले की सुनवाई जस्टिस जस्टिस एनके चंद्रवंशी की सिंगल बेंच में हुई। कोर्ट ने पाया कि पुराने विवाद को भुलाकर पति पत्नी आपसी सहमति से गृहस्थी चलाना चाहते हैं। इस पर जस्टिस चंद्रवंशी ने मामला समाप्त करने का आदेश जारी किया है।