छत्तीसगढ़

जनता का फोन नहीं उठाने की बीमारी प्रदेश के शासकीय अधिकारियों में है

Nilmani Pal
9 Oct 2021 9:14 AM GMT
जनता का फोन नहीं उठाने की बीमारी प्रदेश के शासकीय अधिकारियों में है
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रायपुर। जनता के सेवक जनता के लिए उपलब्ध सुविधाओं के लिए समय सीमा पर कार्य नहीं होने के कारण आम जनता को बड़ी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है. आम जनता को सरकार के मंशा के अनुरूप सारी सुविधा ऑनलाइन उपलब्ध होनी चाहिए सरकार की मंशा है, कि आम जनता कम से कम दफ्तरों के चक्कर मारे और सभी सरकारी काम नियमित रूप से जल्द से जल्द निपटारा हो सके इसी मंशा के अनुरूप सरकार अधिकांश कार्यक्रम को ऑनलाइन वेब पोर्टल पर समर्पित किया और सरकारी डायरी एवं कैलेंडर में अधिकारी के फोन नंबर प्रकाशित किए. लेकिन अधिकारियों के मनमानी चलते हैं जनता के बनाए हुए कानून को दरकिनार करते हुए सरकार के आदेश की अवहेलना ही करते हुए अधिकारी लोग अपने दायित्व को पूरा नहीं कर रहे है. जनता से संवाद कायम करने का पहला कर्तव्य अधिकारियों का होता है, लेकिन अधिकारी गण तहसील स्तर से लेकर जिला प्रशासन और पुलिस अधिकारी यहां तक कि सचिव स्तर के अधिकारी भी फोन उठाने की तोमत तक नहीं करते ,फोन को ब्लैक लिस्ट में डाल देते हैं उनको स्विच ऑफ करके व्हाट्सएप पर डाल देते हैं या फिर फोन को अधिकांश समय छुपा हुआ फोन बनाकर रखते हैं, जिससे आम जनता को बहुत तकलीफ का सामना करना पड़ रहा है अधिकारियों ने मोबाइल फोन ले तो लिया है मोबाइल नंबर भी दिए जाते हैं वेबसाइट में दिए जाते हैं सरकार की डायरी में दिए जाते हैं लेकिन सरकार की डायरी में दिए गए नंबर पर कॉल करने पर अधिकारी फोन उठाना मुनासिब नहीं समझते। अधिकारी के मनमानी के चलते छत्तीसगढ़ शासन के अधिकांश कार्यालय में अधिकारियों के अड़ियल रवैया के कारण आम जनता को परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. सही तरीके से जानकारी उपलब्ध कराना सरकार की कार्यक्रमों की और योजनाओं को लागू करना अधिकारियों का परम फर्ज होता है. लेकिन अधिकारी गण अपनी मस्ती में मस्त फोन उठाना दूर जनता का काम करने से भी कतराते हैं. आम जनता से फोन पर बात नहीं करते तहसीलदार से लेकर टी आई स्तर के अधिकारी तक फोन नंबर अगर सेव है तो ही फोन को रिसीव करते हैं. डिप्टी कलेक्टर, एडीएम, एडिशनल कलेक्टर, कलेक्टर, एसपी, आईजी और सेक्रेटरी स्तर के अधिकारी अनजान फोन उठाने के लिए कतराते हैं और फोन उठाने के लिए यह समझते है कि वे जनता पर बहुत एहसान कर रहे हैं, फोन में सही जानकारी उपलब्ध नहीं करा ना फोन में कार्य के बारे में और शासकीय काम के बारे में भी किसी प्रकार की बातचीत नहीं करना अधिकारियों का घमंड गुरुर सर चढ़कर बोल रहा है. फोन उठाने के लिए भी अपनी तोहीन समझने वाले अधिकारी गण की छत्तीसगढ़ प्रदेश में बुरी तरीके से यह बीमारी फैल रही है. मुख्यमंत्री को इसे संज्ञान में लेकर अपने सरकार के विकास कार्यों और जनता के हित में किए गए कार्यों को बराबर ढंग से जनता के बीच में संवाद कायम हो इसलिए अधिकारियों को निर्देश देकर फटकार लगानी चाहिए। नया नियम बनाकर स्पष्ट आदेश देना चाहिए कि अधिकारी गण जनता का फोन उठाएं और जनता से संवाद कायम करें, ताकि सरकार के द्वारा किए गए कार्यक्रमों की जानकारी आम जनता तक सुलभ हो सके.

दूरदराज से जब जनता शासकीय ऑफिस पहुंचती है तो पता चलता है कि अधिकारी दौरे में या छुट्टी में है फोन लगाने पर या तो फोन बंद रहता है या तो कवरेज एरिया से बाहर रहता है या तो अधिकारी फोन नहीं उठाते दूरदराज से आई ग्रामीण जनता को आने जाने का भाड़ा भी वाहन करना पड़ता है जिसमें आर्थिक बोझ पड़ता है और पूरा दिन समय खराब होता है गरीब जनता के जबरन पैसे और समय खर्च होते हैं फालतू में. शनिवार और रविवार (अवकाश) के दिनों में कोई भी शासकीय अधिकारी चाहे जनता को कितनी भी परेशानियां हो लेकिन शासकीय अधिकारियों ने फोन नहीं उठाने का नियम बनाकर रख लिया है.

  1. आम जनता का अधिकारियों को फोन रिसीव करना तोहीन के बराबर
  2. जनता का फोन जब अधिकारी उठाते ही नहीं है तो शासन डायरी और वेबसाइट जनता का करोड़ों रूपया फूंककर क्यों बनाते हैं
  3. सरकार की मंशा है जनता केअधिकांश काम ऑनलाइन सरकारी दफ्तर जाए बिगर हो अधिकारीगण पालन क्यों नहीं करते
  4. पूरे प्रदेश में अधिकारियों की फोन नहीं उठाने की बीमारी सर चढ़कर बोल रही है लोकतंत्र के बिल्कुल विपरीत है यह
  5. दलाल सेटिंग वाले नेता और अधिकारी और कमीशन खोर दोस्तों का फोन काल बजते ही उठता है.
  6. जनता का फोन नहीं उठाने की बीमारी सिर्फ प्रदेश के शासकीय अधिकारियों में ही है.
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