अपहरणकर्ताओं को कोर्ट ने सुनाई सजा, व्यवसायी के बेटे का किया था अपहरण
भिलाई। 20 अगस्त 2019 की बात है। 4 साल के मौलिक साहू को को स्कूल जाते वक्त अपहरण कर लिया गया। अपहरण करने वाले कोई और नहीं। बच्चे के पिता के दोस्त थे। आरोपी साथी ने अपनी पत्नी समेत अन्य लोगों के साथ वारदात को अंजाम दिया था। इस मामले में पुलिस ने आरोपियों को गिरफ्तार किया। कोर्ट ने इस मामले में फैसला सुनाया है। कोर्ट ने मौलिक के पिता के दोस्त और मास्टरमाइंड राजू उर्फ राजकुमार साहू निवासी धनोरा, रुकेंद्र उर्फ रुपेंद्र सिन्हा निवासी मगरलोटा, रुकेंद्र की पत्नी बबीता और हेमू साहू निवासी धनोरा को दो-दो साल की सजा सुनाई। सभी पर दो- दो हजार का अर्थदंड भी लगाया गया। गिरोह में शामिल कुंदन साहू निवासी धनोरा को कोर्ट ने साक्ष्य के अभाव में दोष मुक्त कर दिया। यह फैसला बुधवार को न्यायाधीश डॉ. प्रभा पचौरी की कोर्ट ने सुनाया।
लोक अभियोजक छन्नू प्रसाद साहू ने बताया कि मामला 20 अगस्त 2019 का है। आरोपियों ने वैन से स्कूल जा रहे आरामील व्यवसायी चंद्रशेखर साहू के बेटे मौलिक का दिन दहाड़े सुबह 8.30 बजे कदम प्लाजा के पास से अपहरण कर लिया गया। मोबाइल लोकेशन और सीसीटीवी फुटेज के आधार पर आरोपी राजकुमार को गिरफ्तार किया गया। इसके बाद पुलिस ने बाकी आरोपियों को पकड़ लिया। मामले को विचारण के लिए कोर्ट में पेश किया। मास्टरमाइंड ने घटना वाले दिन दोस्त रुकेंद्र और हेमू के साथ चेहरे पर नकाब बांधकर मौलिक के वैन के पास पहुंच गए थे। वैन चालक कमलेश को बातों में उलझाया और कुत्ते का एक्सीडेंट करने का झांसा दिया। इसी दौरान मास्टरमाइंड वैन में बैठी केयर टेकर दिव्या से मौलिक को छीन लिया। इसके बाद तीनों मौलिक का अपहरण करके फरार हो गए। 17 घंटे के अंदर पुलिस ने आरोपियों को डिटेल और सीसीटीवी फुटेज की मदद से गिरफ्तार कर लिया था।
तब मामले का खुलासा करते हुए दुर्ग रेंज के आईजी हिमांशु गुप्ता ने बताया था कि इस मामले का मास्टरमाइंड राज कुमार मौलिक साहू के पिता चंद्रशेखर साहू का न सिर्फ अच्छा दोस्त था। बल्कि वो घर कभी कभी वाहन चलाने का काम भी करता था। खास दोस्त होने की वजह से उसे चंद्रशेखर द्वारा पिछले दिनों 1 करोड 20 लाख रुपये की पुस्तैनी जमीन बेचने की भी जानकारी थी। तभी से आरोपी ने अपराध की योजना तैयार करनी शुरू कर दी थी। पुलिस ने तब बताया था कि, आरोपी ने करीब डेढ़ महीने से अपहरण की साजिश रच रहा था। इसी क्रम में 20 अगस्त को अपहरण की घटना को अंजाम दिया गया। इस मामले का फरार आरोपी चार अपने साथियों से दूरी बनाए रखा हुआ था और तमाम जानकारी उपलब्ध करा रहा था। बच्चे का अपहरण राजकुमार ने अपने साथी रुकेंद्र सिन्हा, हेमू साहू के साथ मिलकर किया.
हेमू ने स्कूल वैन चालक से विवाद किया। राजकुमार ने बच्चे को इसी दौरान उठा लिया और पहले से ही अपाचे बाइक को चालू कर रखे रुकेंद्र के साथ तीनों भाग गए। फिर कुछ दूरी के बाद उन्होंने हेमू को उतार दिया और वे विभिन्न स्थानों से होते हुए दुर्ग की सीमा से लगे राजनांदगांव जिले के मगरलोटा पहुंच गए। जहां रुपेंद्र की पत्नी बच्चे की देखरेख के लिए पहले से ही तैयार थी। बता दें कि अपहरणकर्ताओं द्वारा बच्चे को लेकर भागने के बाद स्कूल वैन के ड्राइवर ने बच्चे के पिता चंद्रशेखर साहू को घटना की जानकारी दी थी। इसके बाद चन्द्रशेखर साहू ने पुलिस को इसकी जानकारी दी। पुलिस भी मौके पर पहुंची और मामले की जांच में जुट गई। खुलासा करते हुए तब पुलिस ने बताया था कि, मिली जानकारी के मुताबिक बच्चे के पिता चन्द्रशेखर साहू ने एक साल पहले ही करीब 4 करोड़ रुपये की जमीन बेची थी। आशंका जताई जा रही थी कि अपहरणकर्ताओं को इसकी जानकारी पहले से थी. पैसे की लेनदेन के लिए ही उन्होंने मौलिक साहू का अपहरण किया था, लेकिन पुलिस के दबाव के चलते वे बच्चे को छोड़कर भाग गए।