
- साढ़े 19 करोड़ विकास शुल्क वसूलने की तैयारी, गोलबाजार में काम करने का स्कोप ही नहीं
- 125 वर्ष गांधी बाजार को नया स्वरूप और मालिकाना हक देने के प्रस्ताव तैयार
- 125 साल पहले आबंटित भूखंड पर व्यापारी ने स्वयं के खर्च से निर्माण किया
- अब नगर निगम को उस निर्माण का हर फ्लोर का अलग-अलग 27 करोड़ रुपये चाहिये
- जो प्रदेश में कहीं नहीं लगता विकास शुल्क 1000 रु प्रति स्कवेयर फीट प्रति तल भी
- कोरोना काल में व्यापारियों की रोजी रोटी पर भारी संकट
कुछ व्यापारियों ने नाम नहीं छापने के शर्त में बताया कि भूपेश बघेल सरकार की योजना लाभदायक है लेकिन कुछ व्यापारी और नेता नहीं चाहते की भूपेश बघेल और उनकी सरकार का नाम रोशन हो
जसेरि रिपोर्टर
रायपुर । नगर निगम ने 125 वर्ष पुराने गोल बाजार (गांधी बाजार)को नया स्वरूप देने और वर्तमान काबिजों को मालिकाना हक देने संबंधी प्रस्ताव तैयार कर व्यापारियों के समक्ष प्रस्तुत किया है एवं 5 फरवरी तक तत्संबंधी दावा आपत्तियां मंगाई थी। गोल बाजार के व्यापारियों ने हमेशा ही, हर मंच पर मालिकाना हक दिए जाने का स्वागत किया है । किन्तु नगर निगम के प्रस्तुत प्रस्ताव को देखकर सभी व्यापारी हतप्रभ, किंकर्तव्यविमूढ़ और मानसिक रूप से अत्यन्त परेशान हैं और अपने भविष्य को लेकर चिंतित भी।
गोल बाजार के व्यापारियों ने बताया कि नगर निगम इन ढेरों मदों में व्यापारियों से पैसा वसूलना चाहता है । यदि किसी व्यापारी की 150 स्कवेयर फीट की भूतल एवं प्रथम और द्वितीय तल दुकान चिकनी मंदिर चौक से एडवर्ड रोड होते हुये सदर बाजार मिलान बिन्दू मुख्य मार्ग पर है तो-1-जमीन की गाईड लाइन दर रु.10084 प्रति वर्ग फीट गुणा150 फीट कुल=15,12,600 2-निर्माण लागत की दर (जबकि निर्माण नगर निगम द्वारा नहीं किया गया)अ-भूतल की निर्माण लागत दर 1544 प्रति वर्ग फीट गुणा 150 फीट =231600, ब- प्रथम तल की निर्माण लागत दर 1390 प्रति वर्ग फीट गुणा 150 फीट-208500, स-द्वितीय तल की निर्माण लागत दर 1235 प्रति वर्ग फीट गुणा 150 फीट = 185250, 3- विकास शुल्क-भूतल, प्रथम तल, दिव्तीय तल का कुल निर्मित क्षेत्रफल 150 फीट तीन तल-450 फीट गुणा 1000 प्रति वर्गफीट के हिसाब से कुल राशि 450000, 4- कुल मूल्यांकित राशि (विकास शुल्क छोडकऱ) का 2 प्रतिशत अतिरिक्त 42,759, 5- इस प्रकार कुल नगर निगम द्वारा मांगी गई राशि=26,30,709इस पर 10 से 12 प्रतिशत स्टाम्प शुल्क या रजिस्ट्री चार्ज एवं अन्य विधिक खर्च अतिरिक्त होगा मतलब लगभग साढ़े 29 लाख रुपये। 315,685 29,46,394 ।
इसी प्रकार मालवीय रोड के व्यापारियों को इसी साइज की दुकान का देना होगा 30 लाख रुपये और तीसरी सडक़ जिसकी गाइड लाइन की दर नगर निगम ले रही है वो है पेटी लाइन से बंजारी रोड होते हुये मालवीय रोड मिलान बिन्दु तक वाले व्यापारियों को देना होगा लगभग 28 लाख रुपये। मजे की बात यह है कि मुख्य मार्ग और अंदर की दुकानों के रेट में प्राय: बहुत अंतर होता है जबकि निगम बीस मीटर अंदर तक की दुकानों से मुख्य मार्ग का पैसा मांग रही है जो कि अंदर के दुकानदारों के साथ नाइंसाफी है ।
4- नगर निगम द्वारा व्यापारियों के साथ आयोजित बैठकों से प्रतिध्वनित होता है कि नगर निगम व्यापारियों के 125 साल से काबिज और अपनी गुजर बसर करने और अपने साथ लगभग 8-10 हजार स्टाफ के परिवारों के निर्वहन की जिम्मेदारी को किसी खातिर में नहीं ला रहा है । व्यापारियों से इस भाषा में बात की जा रही है जैसे वे अतिक्रमणकारी हों । जबकि हम नगर निगम द्वारा निर्धारित रिपीट नगर निगम द्वारा निर्धारित किराया दशकों से नियमित पटाते आ रहे है । यह बात अलग है कि यही नगर निगम अतिक्रमण कर बनाई गयी झुग्गी-झोपडयि़ों के वासियों को ससम्मान आवास की चाबियाँ उत्सव कर नि:शुल्क प्रदान करता है। आजादी के बाद 70 सालों में व्यापारियों ने दिया ही है आज तक उनके लिए कोई स्कीम नहीं आई। हर दो-तीन साल में या चुनाव आने पर किसान का कर्जा माफ हो जाता है, सम्मान निधि मिलती है, सैकड़ों प्रकार की सब्सिडी मिलती है। बीपीएल को मुफ्त या 1-2 रुपये में राशन मिल जाता है, व्यापारियों को क्या मिलता है? कोरोना काल में पूरा देश आर्थिक रूप से संकट ग्रस्त है । अन्यथा न लिया जाय तो महासंघ लिखने का साहस कर रहा है स्वयं नगर निगम का कहना है कि निगम की आर्थिक स्थिति सुधारने हेतु गोल बाजार के व्यापारियों को मालिकाना हक दिया जा रहा है तो फिर हम व्यापारी उससे परे कैसे हैं ।हमारी आर्थिक स्थिति भी दयनीय है।
बैंक दिलाने का सब्जबाग
व्यापारियों को बैंक लोन दिलाने का दिलासा भी दिया जा रहा है । अधिकांश छोटे व्यापारियों के पास पैन कार्ड ही नहीं है तो बैंक लोन कैसे मिलेगा । इसके बाद बैंक व्यापारी के विगत वर्षों के इनकम टैक्स रिटर्न के आधार पर लोन की राशि निर्धारित करता है और सबसे बड़ा प्रश्न लोन अपनी मूल राशि का लगभग दोगुना ही पटाना पड़ता है यह तथ्य किसी से छुपा हुआ नहीं है। आज नगर निगम के पास मौका है व्यापारियों के लिए कुछ करने का, आपकी जानकारी के लिये बता देने उचित होगा कि नगर निगम को गोल बाजार की जमीन राज्य शासन ने मात्र 1रुपये में दी है जिसका नगर निगम 125 करोड़ रुपये बनाने का स्वप्न देख रहा है।
_नगर निगम प्रचारित कर रहा है कि गोल बाजार से 125 करोड़ का राजस्व प्राप्त होगा जबकि केवल 579 व्यापारियों की लिस्ट प्रस्तुत की गयी है आसान शब्दों में लिखा जाय तो औसतन प्रत्येक व्यापारी पर 21-22 लाख और रजिस्ट्री शुल्क मिलाकर 25-26 लाख का बोझ पड़ रहा है ।और गोल बाजार के व्यापारी कौन हैं - चाकू, छुरी में धार लगाने वाले, टेलर, छोटे कपड़ा व्यापारी, फुटकर अनाज व्यापारी, रंगोली विक्रेता, जड़ी बूटी दुकानदार, पान विक्रेता, रस्सी विक्रेता, मिट्टी से बने बर्तन मटका आदि, दौना पत्तल, अगरबत्ती और शादी सामान बेचने वाले व्यापारी जिनका धंधा साल के कुछ ही महीने चलता है । एक लेन तो सिर्फ चूड़ी बेचने वालों की है जिसे चूड़ी लेन कहा जाता है ।
व्यापारियों की प्रमुख मांगे
गोल बाजार के व्यापारियों ने निगम प्रशासन रायपुर से मांग की है कि केवल भूमि की रजिस्ट्री की जाय। निर्मित ढांचा की कीमत न ली जाय । विकास शुल्क शासन के नियमानुसार अन्य जगहों के अनुसार लिया जाय तथा अलग-अलग निर्माण के लिए अलग-अलग तय किया जाय, स्टाम्प ड्यूटी में छूट प्रदान की जाय । 10 वर्षों तक सम्पत्ति कर से छूट प्रदान की जाय ।
पीढिय़ों से काबिज दुकानदारों के लिये नियमों को शिथिल कर अतिरिक्त छूट प्रदान की जाय । रजिस्ट्री होने के बाद विकास के नाम पर दुकानों को तोड़ा नहीं जाय । व्यापारी महासंघ ने शासन-प्रशासन से मांग कि है कि हमारी मांगों का तत्काल निराकरण अन्यथा आंदोलन के लिए बाध्य होंगे।