कई सालों से मुआवजे के लिए भटक रही दृष्टिहिन वृद्ध महिला
रायपुर। गुढिय़ारी इलाके में भामाशाह वार्ड के अंतर्गत तुलसीनगर में निवासरत दृष्टिहीन वृद्धा के निजी जमीन पर निगम ने सालों पहले पाइप लाइन बिछाकर उसे आम लोगों के सडक़ बना दिया था। जिससे उक्त जमीन महिला के उपयोग के लायक नही रही। महिला ने उक्त जमीन के बदले मुआवजे की मांग निगम से की लेकिन निगम ने प्रावधान नहीं होने की बात कहकर वृद्धा की मांग को अनदेखी कर दिया। पीडि़त महिला ने शासन -प्रशासन से काफी गुहार लगाने के बाद मुआवजे की मांग को लेकर हाईकोर्ट में याचिका लगाई जिसपर कोर्ट ने निगम और जिला प्रशासन को पीडि़ता को मुआवजा देने के निर्देश दिए, बावजूद आज पर्यन्त पीडिता को मुआवजा नही दिया गया है। पीडि़ता पिछले 20 साल से न्याय के लिए संघर्ष कर रही है। पीडि़ता की जमीन पर अब आम रास्ता है और उक्त जमीन पर कई मकानों के मुख्य द्वार खुलते हैं जिसपर लोगों का आना-जाना होता है। पीडि़त दुर्गादेवी गुप्ता ने इस मामले में नगरीय निकाय मंत्री अरूण साव को आवेदन देकर मुआवजा दिलाने की मांग की थी जिस पर मंत्री द्वारा अग्रिम कार्रवाई के लिए संबंधित विभाग को आदेशित किया गया था। विभागीय सचिव द्वारा कलेक्टर को जांच कर कार्रवाई करने के निर्देश दिये गए थे।
कलेक्टर ने एसडीएम से जांच कर वस्तुस्थिति से अवगत कराने को कहा था। एसडीएम के निर्देश पर तहसीलदार ने मौके पर उक्त जमीन की जांच की जिसमें उक्त जमीन पर पाइप लाइन बिछे होने और सडक़ के तौर पर आम रास्ता होना पाया गया। इसके बाद भी आज तक मुआवजा देने पर कोई निर्णय नही लिया गया। इतना ही नहीं निगम जोन 2 के आयुक्त द्वारा यह भी कहा जा रहा है कि उक्त जमीन से पाइप लाइन-सडक़ हटा देते है तुम उस पर कब्जा कर लो। हैरानी की बात यह कि सालों से लोग अब उस जमीन को सडक़ के रूप में इस्तेमाल कर रहे हैं कई घरों के मुख्य दरवाजे उस सडक़ पर खुलते हैं ऐसे में उन परिवारों को आम रास्ता बंद होने से आने जाने के लिए रास्ता नहीं मिलेगा फिर भी जोन अधिकारी का एसा कहना हास्यास्पद है। लोगों ने भी इस पर कड़ी आपत्ति जताई है। इस पर भी जोन अधिकारी द्वारा बस्ती वालों को यह धमकी दी जा रही है कि आने-जाने का रास्ता चाहिए तो भूमि के मालकिन को पैसा दे नहीं तो रोड का पाइप लाइन उखाड़ कर रोड नाली बंद कर देंगे। निगम के अधिकारी लगातार महिला को प्रताडि़त कर रहे हैं।
पीडि़त महिला का कहना है कि उसकी जमीन का लोकहित में उपयोग किया गया है लेकिन इससे उसकी जिंदगी मुश्किल हो गई है। उसे गुजारे के लायक घर की जरूरत है। निगम और प्रशासन को चाहिए कि वह इसकी व्यवस्था करे। मुआवजा नहीं तो कम से कम निगम गरीबों के लिए उपलब्ध कराए जा रहे मकान ही उसे मुआवजे के तौर पर दे दे ताकि उसकी परेशानी का समाधान हो सके। जांच में सारी बातें सत्य होने के बाद भी न्याय नहीं मिलने से निगम व प्रशासन की असंवेदनशीलता झलकती है एसे में सरकार के सुशासन के दावे भी खोखले लगते हैं।