छत्तीसगढ़

घाघ पियक्कड़ भी नहीं ताड़ पाते असली और नकली शराब का फर्क

Admin2
13 Feb 2021 5:37 AM GMT
घाघ पियक्कड़ भी नहीं ताड़ पाते असली और नकली शराब का फर्क
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ठेकेदारी बंद हुई तो शराब कारोबारी बनाकर खपा रहे मिलते जुलते नाम वाले शराब 

सिंडिकेट शराब कारोबार पर हावी, गिरोह बनाता और बेचता है नकली देशी-विदेशी

जसेरि रिपोर्टर

रायपुर। असली बोतल में नकली शराब और मनमानी कीमत। चौकिए नहीं ! राजधानी में देशी या विदेशी शराब भी डुप्लीकेट बनता और बिकता भी है। आने वाले दिनों में होली के अलावा अप्रैल महीने से लेकर आने वाले साल तक डुप्लीकेट शराब का बाजार गरम रहने वाला है। खास बात यह है कि डुप्लीकेट शराब भी कई प्रकार के होते हैं। राजधानी में एक तरफ अपराध बढ़ रहा है। वहीं दूसरी तरफ शराब के कारोबारियों ने नकली शराब को भी अपना खुला धंधा बना लिया है। रायपुर शहर में इतनी भट्टियां है, जहां शराब बिकती है। लेकिन अब शराब में भी नकलीपन आने लगा है। शराब के कारोबारी आजकल अपने मुनाफे के लिए नकली शराब भी बेचने लगे है। नकली शराब को भट्टी में खरीदने वाले लोग आज के समय में ओवररेट के भी शिकार होते जा रहे है। जिससे शराब की कीमत दोगुनी हो जाती है।

कही जहर तो नहीं पी रहे आप

यदि लोग लाइसेंसी दुकान से देशी शराब खरीद रहें हों तो सावधान होकर शराब के स्वाद पर ध्यान दिया करें। हो सकता है कि दुकानदार लोगों को शराब के नाम पर जहर पकड़ा दे। क्योंकि जिले में कई शराब की दुकानों पर नकली शराब बिक रही है। नकली शराब का कारोबार सिर्फ जिले तक नहीं है, बल्कि आसपास के कई जिलों में फैला हुआ है। नकली शराब के व्यापारी कबाड़ की दुकानों से अंग्रेजी शराब की खाली बोतलें खरीदते हैं।

शहर में नकली शराब की बिक्री

रायपुर शहर में शराब की बड़ी बिक्री होती है, लेकिन इसके अंदर शराब कैसी है, इसकी बारीकी से जांच किसी ने भी नही की। आशंका जताई जा रही है कि संबंधित ठेकेदारों से जारी रैपर और बोतल की बनावट की कापी करके इसमें अवैध शराब रिफलिंग की गई है। शराब और बोतल को सील कर जांच के लिए भेजा जाए। लगता है, अवैध शराब की रिफलिंग की जाती है। जिस बोतल में शराब है, वह प्रतिमाह 10 से 12 लाख लीटर जिले की दुकानों पर आपूर्ति होती है और कहीं से भी कोई शिकायत नहीं है।

रात 10 बजे के बाद ब्लैक मार्केटिंग

शहर के अंदर दुकान का शटर बंद और सड़क पर शराब से मार्केट के गलियारों तक ब्लैक मार्केटिंग चालू। खासकर रात 10 बजे के बाद विदेशी शराब के शौकीनों की बेचैनी बोतल नहीं मिलने पर बढ़ जाती है। ऐसे में शहर के रामकुंड एरिया अन्य इलाकों में चोरी-छिपे शराब के डुप्लीकेट बोतल धड़ल्ले से बेचे जाते हैं। ब्रांडेड बोतलों की ओरिजनल कीमत की अपेक्षा मनमानी कीमत पर खरीदते हैं।

इन ब्रांड्स की भी मिलती नकली शराब

गोवा, मसाला, मैकडॉवल्स, ब्लेंडर्स प्राइड, इम्पीरियल ब्लू, ओल्ड मोंक, रॉयल स्टेग, रॉयल चैलेंज जैसे ब्रांड की नकली शराब फैक्ट्री में बनाई जाती है। पुलिस भी इन मामलों में खामोश है। ब्रांडेड बोतलों के सील्ड ढक्कन, क्यूआर कोड, रैपर, गत्ते मुहैया कराते है।

बार कोड स्कैन, मुहर भी असली

फॉर सेल डिफेंस, फॉर सेल यूपी ओनली जैसा लिखा हुआ रहता है। कुछ मुहर तारीख वाली भी हैं। बार कोड तक स्कैन हो रहा है। कुल मिलाकर नकली शराब खरीदने पर कोई शक नहीं कर सकता।

नकली शराब में भी ओवर रेटिंग

शहर में शराब बेचने की छूट के बाद रायपुर में ओवर रेट पर शराब बेचने का सिलसिला शुरू हो गया है। छुटभैय्या नेताओं से मिलीभगत से निर्धारित रेट से 50 से 200 रुपये अधिक में शराब बेची जा रही है। अधिक कीमत पर शराब बेचकर मदिरा प्रेमियों से दो दिन में ही पांच करोड़ रुपये से अधिक वसूल लिए गए। अधिक कीमत लेने पर कई शराब दुकानों में मदिरा प्रेमी सेल्समैन से उलझते देखे गए। शिकायत के बाद भी आबकारी का अमला नहीं पहुंचता। बवाल मचने पर कहीं-कहीं की शराब दुकानें समय से पूर्व बंद करा दी गईं। रायपुर एक दिन में करीब 30 करोड़ रुपये की शराब बिकी होती है। शराब दुकानों पर पहुंची लोगों की भीड़ ने बताया कि ओवररेट पर देसी-अंग्रेजी शराब बेचीं जा रही है। 60 रुपये की देसी शराब 100 रुपये में और 1200 रुपये की अंगे्रजी शराब की बोतल 1400 रुपये में बेची जा रही है। जो नकली भी है और शहर के लोगों के लिए नुकसान देह भी है। और अकेले रायपुर में लगभग 4.50 करोड़ रुपये की शराब बिक्री होती है।

कैसे बनती नकली देशी और विदेशी शराब

शहर में डुप्लीकेट विदेशी शराब बनाने में पानी में स्प्रिट, कलर, एसेंस आदि का इस्तेमाल किया जाता है। इसके अलावा ओरिजनल शराब की एक बोतल से छह बोतल भी बनाए जाते हैं। इसमें ओरिजनल एक बोतल से चार से छह बोतलों में थोड़ी-थोड़ी शराब डाली जाती है। फिर उसमें पानी, क्लब सोडा से लेकर स्प्रिट आदि की थोड़ी-थोड़ी मात्रा मिला दी जाती है। दूसरी ओर महुआ में यूरिया, सड़े हुए फल अन्य केमिकल मिला कर देसी शराब बनाया जाता है। महुआ में खाद मिला कर उसे एक दिन तक छोडऩे के बाद आग की भ_ी पर चढ़ा दिया जाता है। फिर उसे देसी शराब का रूप दिया जाता है। यूरिया महुआ को कुछ ही घंटे में गला देता है।

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