भिलाई। प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्व विद्यालय सेक्टर 7 स्थित अंतरदिशा भवन के पीस ऑडिटोरियम में चल रहे दो दिवसीय योग तपस्या कार्यक्रम "व्यक्त से अव्यक्त की ओर" के अंतिम दिन के समापन पर वरिष्ठ राजयोग शिक्षिका एवं इंटरनेशनल मोटिवेशनल स्पीकर ब्रह्माकुमारी गोपी दीदी लंदन ने बताया देह की स्मृति से ही हमें चिंता, तनाव भय उत्पन्न होता है | हमें विदेही बन परमात्मा को याद करने का अभ्यास करना है ,यही योग है| अपने को अपसेट नहीं आत्मिक स्थिती में सेट होकर कर्म करो |आपने संस्कार परिवर्तन के बारे में बताते हुए कहा की अलबेलापन और आलस्य के कारण कल से करेंगे करके टाल देते है, वो कल कभी आता नहीं है| हमारे पुराने संस्कारों को अभी से नये संस्कारो से रिप्लेस कर दो | श्रेष्ट संस्कारों से मन सहित मानव शरीर को बल मिलता है| ईगो और अटेचमेंट भाई बहन है जिसके मिलने से अभिमान शुरू हो जाता है| अभिमान किसी को अच्छा नहीं लगता पर यह रावण का और कलयुगी संस्कार है| अभिमान से टकराव होता है| राजयोग के अभ्यास से नम्र बनना है, नम्रचित्त बने बिगर ज्ञान जीवन में धारण नहीं हो सकता| राजयोगी माना स्वराज्य अधिकारी बन कर कर्मईर्न्द्रियों से कर्म करना| इस सृष्टि में निम्मित भाव धारण कर मै पन के प्रेशर को कम करो, प्रसन्न रहो, प्रसन्नता छायादार वृक्ष के समान सभी को अच्छी लगती है |
अफ्रीका के नेरौबी सेवाकेंद्र से आई ब्रह्माकुमारी कानन दीदी ने कहा की स्वमान में रहकर सम्मान देना ये भारत की खूबी है| परमात्मा हमारा आदि मध्य अंत जानता है| इसलिए साक्षी है सदा, हमें भी साक्षी दृष्टा का अभ्यास करना है | हमें हमारी डिक्शनरी से लेकिन,परन्तु,परचिन्तन,परदर्शन शब्द समाप्त करने है | न किसी से कम्पेयर न कॉम्पीटिशन न क्रिटिसाइज़ करना है| सारा विश्व एक दुसरे के सहयोग से चलता है| हमें जीवन में निर्माणचित्त,सरल एवं निस्वार्थ प्यार को अपनाना है| आपने दिन में 5 बार मन के संकल्पों की ट्रेफिक कण्ट्रोल करने के लिए मेडिटेशन कराया| भिलाई सेवाकेंद्रो की निदेशिका ब्रह्माकुमारी आशा दीदी ने दोनों बहनों का आभार व्यक्त किया जो की प्रथम बार छतीसगढ़ उसमे भी भिलाई आये| इस योग तपस्या कार्यक्रम का सर्व भिलाई सेवाकेंद्रो सहित पाटन,जामगांव,नंदनी अहिवारा,डॉन्डीलौहारा,दल्ल्ही राजहरा,बेमेतरा,उतई,मनेन्द्रगढ़,नवागढ़,बेरला के ब्रह्मा वत्सो ने लाभ लिया|