कांकेर। आज के मशीनरी दौर में भी आदिवासी अंचलों मे पारंपरिक उपकरणों, औजारों का उपयोग आज भी प्रचलन में है। लोग अपने जरूरत के अनुसार इनका उपयोग कर रहें हैं। धान से चांवल बनाने के लिए ढेंकी एवं मूसल का उपयोग हालाॅकि कम हो गया है, लेकिन आज भी प्रचलन में है। इसी प्रकार कोदो-कुटकी से चांवल निकालने के लिए मिट्टी से बने जाॅता का उपयोग किया जाता है। कलेक्टर चन्दन कुमार गत दिवस दुर्गूकोदल विकासखण्ड के ग्राम गोटूलमुण्डा में स्थापित कोदो-कुटकी-रागी (लघु धान्य) प्रोसेसिंग यूनिट का अवलोकन करने पहंुचे थे, तब उन्होंने परिसर में कोदो से चांवल निकालने के लिए मिट्टी से बनाये गये ''जाॅता'' को देखा और खुश होते हुए उसके उपयोग के बारे में ग्रामीणों से जानकारी ली तथा स्वयं भी जाॅता को चलाकर देखा। परिसर में मिट्टी से बने चार नग जाॅता के अलावा, एक ढेंकी भी रखा गया है। इस अवसर पर कलेक्टर चन्दन कुमार ने किसानों के खेत में लगी हुई कोदो एवं रागी की फसल का अवलोकन भी किया।
उल्लेखनीय है दुर्गूकोंदल विकासखण्ड के ग्राम गोटुलमुण्डा में स्थापित लघु धान्य प्रसंस्करण इकाई का संचालन किसान विकास समिति ग्राम गोटुलमुण्डा द्वारा किया जा रहा है, जिसमें आस-पास के ग्राम के लगभग 400 कृषक जुडे हुए हैं जो कोदो-कुटकी एवं रागी का उत्पादन कर रहे हैं। उक्त प्रसंस्करण इकाई की स्थापना 27 जनवरी 2021 को मुख्यमंत्री भूपेश बघेल द्वारा कांकेर प्रवास के दौरान की गई है। किसान विकास समिति के सदस्यों ने बताया कि प्रसंस्करण केन्द्र से प्रसंस्कृत कोदो चांवल एवं रागी को दुर्गूकोंदल एवं कोयलीबेड़ा विकासखण्ड के आंगनबाड़ियों में प्रदाय किया जा रहा है, अब तक लगभग 70 क्विंटल कोदो चांवल एवं 80 क्विंटल रागी प्रदाय किया जा चुका है, जिससे लगभग 02 लाख रूपये की आमदनी समिति सदस्यों को हुआ है।