सरगुजा। सरगुजा संभाग में हसदेव के जंगलों की कटाई का विरोध अब सामाजिक रूप से भी दिखने लगा है। पिछले दिनों बिलासपुर में हुए एक विवाह समारोह में भी हसदेव की चिंता सार्वजनिक हो गई। विवाह की रस्मों के बीच दूल्हा-दुल्हन ने 'सेव हसदेव' और 'हसदेव बचावा' जैसे संदेश लिखे पोस्टर दिखाए। बिलासपुर के तखतपुर में भिलौनी निवासी उमेश कौशिक की शादी 11 मई को थी। बिलासपुर के पास हरदी कला की भगवती कौशिक से उनकी शादी थी। जयमाल की रस्म के बाद जब घराती-बराती दोनों पक्षों के लोग एक साथ बैठे थे तभी उमेश और भगवती ने एक-एक पोस्टर उठा लिया। उनके साथ चार-पांच साथी भी ऐसी ही तख्ती लेकर मंच पर आ गए। उस पर हसदेव जंगल को उजड़ने से बचाने का संदेश लिखा था। एकबारगी तो लोगों को बात समझ में नहीं आई। जैसे ही उनकी नजर संदेश पर पड़ी सभी तालियां बजाने लगे।
इधर परसा कोल ब्लॉक प्रभावित गांवों में धरना अब भी जारी है। ग्रामीणों का कहना है कि जब तक सरकार इस परियोजना को वापस नहीं लेती वे लोग नहीं जाएंगे। हसदेव अरण्य बचाओ संघर्ष समिति का आरोप है कि उनके गांव और जंगल को फर्जी ग्राम सभा के आधार पर कोयला खनन के लिए आवंटित किया गया है। उन लोगों ने इसके लिए कोई सहमति नहीं दी है। वे लोग अपने जंगल को कटने नहीं देंगे। अपने गांवों को उजाड़ना उन्हें मंजूर नहीं। हसदेव क्षेत्र के ये आदिवासी पिछले साल अक्टूबर में 300 किलोमीटर पैदल चलकर रायपुर आए थे। यहां उन्होंने मुख्यमंत्री और राज्यपाल से मुलाकात कर गुहार लगाई।