'जनता से रिश्ता' की खबर का असर- बांठिया अस्पताल में मरीजों की भर्ती पर 14 दिनों का बैन
रेमडेसिविर की कालाबाजारी, आगजनी, शव को बंधक की खबर पर स्वास्थ्य विभाग की ताबड़तोड़ कार्रवाई, गिरफ्तारी, नोटिस
जसेरि रिपोर्टर
रायपुर। राजधानी के सबसे कुख्यात अस्पतालों में शामिल बांठिया अस्पताल की कारगुजारियों को जनता से रिश्ता ने प्रमुखता से उठाया था। ताजा मामला कोरोना मरीज की बांठिया अस्पताल में इलाज के दौरान मौत के बाद पैसे के लिए शव को बंधक बनाने को जनता से रिश्ता ने प्रशासन के संज्ञान में लाया, जिस पर सीएमएचओ ने नोटिस देकर मरीज की इलाज की रिपोर्ट मांगी और बांठिया हॉस्पिटल में मरीज़ों भर्ती पर 14 दिनों के लिए बैन लगाया। इसके पहले भी बांठिया अस्पताल में इलाज के नाम पर हो रहे लूटमार को प्रशासन के संज्ञान में लाया गया। जनता से रिश्ता लगातार जनसरोकार की खबरों को प्रमुखता से स्थान देकर शासन-प्रशासन के संज्ञान में लाते रहा है।
कुछ दिन पूर्व बांठिया अस्पताल में एक कोविड मरीज़ की इलाज के दौरान मौत हो गई। जिसके बाद अस्पताल प्रबंधन ने मृतक के परिजनों से कलेक्टर के द्वारा जारी रेट लिस्ट से भी ज्यादा दाम लिया गया। इस मामले का पूरा खुलासा जनता से रिश्ता ने प्रमुखता से अपने समाचार पत्र और न्यूज़ वेबसाइट में किया। इस खबर का असर देखने को मिला है। बांठिया अस्पताल में भर्ती मरीज़ के परिजनों ने जनता से रिश्ता को बताया कि बांठिया अस्पताल प्रंबंधन एक दिन में 25 हज़ार बेड चार्ज और आईसीयू चार्ज लेता है। मरीज़ को भर्ती कराने से पहले नगद रुपए जमा कराने पड़ते है।
डॉ बांठिया ने ये कहा
बांठिया अस्पताल के संचालक डॉ बांठिया ने मीडिया के वीडियो कैमरे के सामने बताया कि उनके द्वारा कलेक्टर से जारी किए रेट लिस्ट से जितने ज्यादा रकम लिए गए उनको वो वापस करते है। इसका प्रमाण जनता से रिश्ता के पास भी मौजूद है। जिला चिकित्सा अधिकारी डॉक्टर मीरा बघेल ने बताया कि वेबसाइट और अख़बारों में ख़बर है, जो दस्तावेज़ ख़बरों में प्रस्तुत किए गए हैं, वो प्रमाणिक नहीं लगते हैं। इसलिए बांठिया हॉस्पिटल को नोटिस जारी कर दो दिन के भीतर स्पष्टीकरण मांगा गया है। मरीज़ से इलाज संबंधी और बिल से संबंधित तमाम मूल दस्तावेज़ जिला चिकित्सा के कार्यालय में पेश करना होगा। दस्तावेज़ और इस स्पष्टीकरण ग़लत पाए जाने पर कड़ी कार्रवाई की जाएगी।
अस्पतालों में आजगनी या वहां चल रहे अमानक दवाइयों और अनाप-शनाप इलाज, लापरवाहियों के बाद भी शव को बंधक बनाकर पैसा वसूलने के मामले में जनता से रिश्ता ने प्रमुखता से उठाया, जिस पर शासन -प्रशासन में फौरी कार्रवाई की है। इसके पहले कोरोनाकाल में रेमडेसिविर की कालाबाजारी की खबरों को जनता से रिश्ता ने ही उजागर किया। शासन-प्रशासन ने संज्ञान में लिया और खाद्य एवं औषधि विभाग के साथ स्वास्थ्य विभाग के सीएमएचओ ने दोषी अस्पताल प्रबंधन को नोटिस जारी कर जवाब मांगने के साथ 14 दिनों के लिए अस्पताल को सस्पेंड किया। वहीं बांठिया अस्पताल सहित राजधानी के दर्जनों निजी और सरकारी अस्पतालों में चल रहे लूटमार को सरकार और स्वास्थ्य प्रशासन के संज्ञान में लाया, उसके बाद लगातार स्वास्थ्य विभाग और खाद्य और औषधि प्रशासन अस्पतालों की मनमानियों पर अंकुश लगाने की ताबड़तोड़ कार्रवाई की। जनता से रिश्ता की खबर के बाद स्वास्थ्य प्रशासन ने मरीजों की इलाज की सूची और लिखेदवाइयों की प्रिसक्रिप्शन की रिपोर्ट मंगाई है, जिसके कारण मौत और विवाद की स्थिति निर्मित हुई थी।
राजधानी अस्पताल में हुए अग्निकांड के 16 दिन बाद पुलिस ने अस्पताल के संचालक डॉक्टर सचिन मल और डॉक्टर अरविंदों को गिरफ्तार किया है। टिकरापारा थाने में इनके खिलाफ गैर इरादतन हत्या का केस दर्ज है। 16 दिनों तक पुलिस से छिपने और बचने में कामयाब रहे इन डॉक्टर्स को अब जाकर पुलिस ने पकड़ा है। उस हादसे में अपने परिजनों को खो चुके घर वालों को डर है कि कहीं फिर पैसे और रसूख की ताकत से ये छूट न जाएं। हादसे में जलकर मरे रमेश साहू के भाई प्रिय प्रकाश ने कहा कि कोई भी कानून से ऊपर नहीं है। कानून में जो भी सजा इन जैसों के लिए है, मेरी सरकार से गुजारिश है कि वो इन्हें मिले, ये बिना सजा पाए कहीं छूट न जाएं। कोरोना वार्ड में भर्ती 1 जिंदा जला, 4 की दम घुटने से मौत, अस्पताल में नहीं थे आग बुझाने के कोई उपाए और इमरजेंसी एग्जिट हादसे में अपने परिजनों को खो चुके घर वालों को डर है कि कहीं फिर पैसे और रसूख की ताकत से ये छूट न जाएं।
राजधानी अस्पताल में हुई आगजनी में अपने भाई को खोने वाले प्रिय प्रकाश साहू ने कहा कि यहां के डॉक्टर्स हाई प्रोफाइल लाइफ स्टाइल जीते हैं। एक तरफ तो सरकार ने कोविड मरीजों के उपचार के लिए रेट तय कर रखे हैं मगर इसके बाद भी एक हफ्ते के लिए ढाई लाख, 4 लाख का पैकेज यहां बताया जाता है। अस्पतालों में जगह न मिलने के अभाव में लोग इनके अस्पताल में इनकी मुंहमांगी कीमत देकर अपने मरीज का इलाज करवा रहे थे।
पचपेड़ी नाका इलाके में राजधानी नाम के कोविड अस्पताल में 17 मई की दोपहर आग लगी। इसकी वजह अब तक शॉर्ट सर्किट को बताया जा रहा है। प्रारंभिक जांच में अस्पताल में आग बुझाने के कोई इंतजाम, इमरजेंसी एग्जिट और वेंटिलेशन का प्रॉपर इंतजाम नहींं मिला है। रात के वक्त जिला कलेक्टर डॉक्टर एस भारतीदासन और सीनियर एसएसपीअजय यादव घटनास्थल पर पहुंच गए थे। हादसे के बाद 19 मरीजों के दूसरे अस्पताल और 10 को यशोदा अस्पताल भेजा गया। हादसे के फौरन बाद मृतकों के परिजनों के लिए सरकार ने 4-4 लाख रुपए का मुआवजा देने का ऐलान किया है।
जांच से जुड़े अफसर कर रहे टाल मटोल
पिछले 16 दिनों से फायर डिपार्टमेंट भी इस हादसे की जांच कर रहा है। सूत्रों की मानें तो कई बड़ी खामियां भी इस अस्पताल की सामने आई हैं, जैसे अस्पताल में फायर सेफ्टी के उचित उपाय न होना, परमिशन के बिना बिल्डिंग बनाना जैसी बातें सामने आ रही हैं। मगर अस्पताल के इन खामियों पर खुल कर बात करने के लिए कोई अफसर तैयार नहीं है। एक अधिकारी ने कहा कि इस तरह की जानकारी मीडिया को नहीं दी जाती मैं कुछ नहीं बता सकता। इतना कहकर फोन काट दिया।