बैजनाथपारा के पैतृक बाशिंदों की तथाकथित गुंडे-बदमाशों से जीना मुहाल
हम ही स्टाल लगवाते है औऱ हम ही वसूलेंगे, हमें कोई रोक नहीं सकता
रातभर कानफोड़ू साउंड सिस्टम बजते रहने से मोहल्लेवासी हलाकान
तालिबानी हुकूमत के आगे नतमस्तक है बैजनाथपारा निवासी और प्रशासन
रायपुर। बैजनाथपारा में खुलेआम पायजामा छाप नेता अपनी ताक़त और बलबूते में जगह-जगह नानवेज और बिरियानी होटल का स्टॉल लगवाकर उन लोगों से हज़ार पंद्रह सौ रुपये प्रतिदिन वसूली कर रहे है। बैजनाथपारा के बीच सडक़ में ठेला और दुकान लगवा कर आने जाने वालों के लिए मुश्किल खड़ा कर रहे है। इसी तरह के हालात बैजनाथपारा में कई जगहों पर देखा जा सकता है। मोहल्ले के निवासी कई बार थाने में इस मामले की शिकायत भी करते है तो कोई सुनवाई नहीं होती है। कमोबेस यही हालात पूरे बैजनाथपारा में देखने को मिलता। वहां के नाड़ा पायजामा छाप नेता लोग ज़बरन वसूली और खाने-पीने की सामग्री मुफ़्त में रंगदारी के साथ लेते हैं और उन्हें कुछ बड़े नामचीन रसूखदार नेता संरक्षण देते हैं । बैजनाथपारा में रात 11 बजे पुलिस की आखिरी गश्त के बाद वहां पर गुंड़ों का राज चलता है। रात के दो बजे तक गुंडों -बदमाशों का तांडव नाच खुलेआम चलता है । बैजनाथपारा में पैतृक रहवासी जो मोहल्ले में परिवार वाले के साथ रहते है उनका रात की नींद और दिन सुकून छुमंतर हो गया है। बैजनाथपारा में दिन और रात एक बराबर हो गया है जितनी भीड़ दिन में रहती है उससे दोगुनी भीड़ रात में हो जाती है। वहां रहने वाले संभ्रांत परिवार वालों को घर से बाहर निकलना मुश्किल हो जाता है। बैजनाथपारा में रात दिन कानफोड़ूू म्यूजिक़ तेज आवाजों में बजाया जाता है । रात भर वहां पर संदिग्ध लोगों का आना जाना लगा रहता है। वैध-अवैध धन्धे का बैजनाथपारा प्रमुख अड्डा है जहां से गांजा, चरस, अफीम, सिरप की सप्लाई और निष्पादन किया जाता हैं । बैजनाथपारा में प्रमुख रूप से नॉनवेज स्टाल और बिरियानी होटलों में असामाजिक तत्वों की धमाचौकड़ी मची रहती है।
गुंडे तत्वों के जमावाड़ा रात के दो बजे तक रहता है जिसके कारण पूरे शहर के शराबी कबाबी युवा सस्ते नॉनवेज के चक्कर में बैजनाथपारा की ओर खींचे चले आते हैं। बैजनाथपारा के निवासियों का बहुत बुरा हाल है अब अपनी प्रॉपर्टी बेच कर अन्य जगहों पर जाने के लिए मजबूर है और प्रॉपर्टी खऱीदने के लिए माफिय़ा अपने गुर्गों और दादाओं के माध्यम से उसे औने-पौने भाव में लेने या जबरदस्ती बेचने के लिए मजबूर करते है। वहां के तथाकथित भू-माफिया फिर दावा करते हैं कि उस प्रॉपर्टी को मनमाने भाव में ही किराया पर चढ़वाते हैं और फिर उस पर कब्जा कर उस प्रापर्टी धीरे से बेच देते हैं या वहीं पर दुकान निर्माण कर अपना हक होने मुजाहिरा करते है।