
पार्षद के भतीजे की हत्या का मामला
जसेरि रिपोर्टर
रायपुर। बिरगांव के पार्षद इकराम अहमद के भतीजे वाहेजुद्दीन मोहम्मद उर्फ बाबू की हत्या का प्रयास घटना के सात दिन पहले तीन बार किया गया था, जिनमें आरोपित असफल रहे थे। चौथी बार की योजना में वे सफल हुए और वाहेजुद्दीन को मारकर दफना दिया। षड्यंत्रकर्ता करीम खान के कहने पर फिरोज और विश्वनाथ ने वारदात को अंजाम दिया। पुलिस ने हत्या के तीनों आरोपितों को दो दिन की पुलिस रिमांड पर लिया है। आशंका है कि वारदात में दो से तीन और आरोपित शामिल थे। मृतक का मोबाइल फोन अब तक पुलिस के हाथ नहीं लगा है। उसके मिलने के बाद कई राज खुल सकते हैं। वाहेजुद्दीन 25 सितंबर की शाम को घर से मिकला था, जिसके बाद नहीं लौटा। घर वालों को पहले लगा कि वापस आ जाएगा। वाहेजुद्दीन के चाचा इकराम उसे रोज 15 से 20 मैसेज कर वापस आने को कह रहे थे, लेकिन दूसरी ओर से कोई जवाब नहीं आ रहा था। चिंता बढऩे पर खुद इकराम खोज शुरू कर दी। रोज देर रात तक खोजने के बाद निराशा ही हाथ लगती थी।
मिली जानकारी के अनुसार घटना 25 सितंबर को आरोपित फिरोज से वाहेजुद्दीन की फोन पर बात हुई। उसने शाम लगभग छह बजे गांजा पीने की बात कहते हुए डब्ल्यूआरएस कालोनी के पास बुलाया। वाहेजुद्दीन वहां पहुंचा तो पहले नशा किया, जिसके बाद आरोपितों ने चाकू से 15 से 20 वार किए। फिर पहले से खोदकर रखे गड्ढे में दफना दिया। पुलिस की आंखों में धूल झोंकने के लिए और मृतक के स्वजन का भरोसा बनाए रखने के लिए आरोपित करीम खान पार्षद इकराम के साथ कुछ दिनों तक रोज वाहेजुद्दीन को ढूंढने के लिए निकलता था। इलाके में लगे दर्जनों सीसीटीवी फुटेज उन्होंने साथ में बैठकर देखे। वाहेजुद्दीन के न मिलने पर वह अफसोस जताया करता था।
मिली जानकारी के अनुसार वाहेजुद्दीन का एक नाबालिग से प्रेम प्रसंग था। इसे लेकर आरोपित करीम ने वाहेजुद्दीन को कई बार समझाया, लेकिन वह नहीं माना। इस पर आरोपितों ने उसकी हत्या करने की योजना बनाई।
बिरगांव का डान करीम खान ने इकलौते चिराग को बुझा दिया
पुलिस की लापरवाही का खामियाजा माता-पिता को भुगतना पड़ा
वाहजुद्दीन खान की मौत के मामले में पुलिस की बड़ी लापरवाही उजागर हुई है। घटना के एक सप्ताह बाद अपहरण और गुमशुदगी की नामजद रिपोर्ट के बाद भी पुलिस द्वारा कार्रवाई नहीं करना एक प्रकार से पुलिस विभाग की लापरवाही ने पूरे पुलिस कहकमे की किरकिरी कर दी है। सत्तारूढ़ पार्टी के एक कद्दावर नेता पूर्व मंत्री और विधायक के बेहद करीबी कांग्रेस नेता के भतीजे की हत्या ने पुलिस विभाग की पोल खोल दी है। जनता से रिश्ता पिछले कई सालों से सट्टा, नशा और अन्य असामाजिक और अवैधानिक कार्यो के खिलाफ प्रमुखता से समाचार प्रकाशित कर शासन-प्रशासन को आगाह करते आ रहा है । लेकिन विभाग के कान में जूं नहीं रेंगी, ऐसा मालूम पड़ता है। वजीहुद्दीन की गुमशुदगी के बाद परिवार वालों ने तुरंत थाने में शिकायत दर्ज कराई थी और संदिग्ध लोगों का नाम भी पुख्ता कारणों सहित बताया था लेकिन कारर्वाई के नाम पर मात्र खानापूर्ति कर इतिश्री कर लिया गया। बिरगांव के लोगों और परिजनों का कहना है कि अगर वक्त पर पुलिस ने पूरे मामले को गंभीरता से कार्रवाई की होती तो शायद आज वाजिहुद्दीन आज जिन्दा होता। पुलिस अफसर इस मसले पर जवाब नहीं दे पा रहे हैं। कांग्रेस के कद्दावर नेता को थाने आना पड़ा, तब इस मामले की तफ्शीस चालू की गई । तब तक बहुत देर हो चुकी थी । अगर पुलिस समय रहते संदिग्धों पर कार्रवाई करती तो यह दिन उनके घर वालों नहीं देखना पड़ता। और जिनके ऊपर परिजनों ने संदेह व्यक्त किया था वही कातिल निकला।
पुलिस के झूठे आश्वासन की भेंट चढ़ गया बेटा
लोगों ने यह भी आरोप लगाया की पुलिस के झूठे आश्वासन के वजह से उन्होंने अपना जवान बेटा खो दिया है। कार्रवाई के नाम पर बिरगांव पुलिस सिर्फ झूठा आश्वासन देती रही। लोगों को इसका मलाल है।