छत्तीसगढ़

चाहिए क्या तुम्हे तोहफे में बता दो वरना हम तो बाजार के बाजार उठा लाएंगे

jantaserishta.com
25 Aug 2023 5:44 AM GMT
चाहिए क्या तुम्हे तोहफे में बता दो वरना हम तो बाजार के बाजार उठा लाएंगे
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ज़ाकिर घुरसेना/ कैलाश यादव
मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के जन्मदिन के दिन ही उनके सलाहकार सहित कई लोगों के यहां ईडी का छापा पड़ गया था भूपेश बघेल ने ने प्रधानमंत्री को जन्मदिन का तोहफा मानकर धन्यवाद दिया और 75 सीट जीत कर रिटर्न गिफ्ट देने का वादा किया है। गिफ्ट का आदान प्रदान तो होता ही है यह सदियों से भी चलन में है लेकिन अब ऐसा लगता है कि राजनैतिक गिफ्ट के रूप में अब रूपये पैसे सोना चांदी के बदले कुर्सी, पद प्रतिष्ठा दिया जाने लगेगा। किसी को राज्यसभा तो किसी को मंत्री पद वगैरह वगैरह। बहरहाल जनता में खुसुर फुसुर है कि सोना चांदी के रूप में गिफ्ट तो अपने पास दे सकते हैं लेकिन पद प्रतिष्ठा और कुर्सी के लिए जनता के बीच जाना पड़ेगा उनके हक़ में काम करना पड़ेगा तभी रिटर्न गिफ्ट दिया जा सकता है। वैसे भी भूपेश के बात में दम तो दिख रहा है क्योकि छत्तीसगढ़ की जनता के लिए उन्होंने अच्छा काम किया है। शायर अता तुराब ने ठीक ही कहा है- चाहिए क्या तुम्हे तोहफे में बता दो वरना हम तो बाजार के बाजार उठा लाएंगे।
सर मुंडाते ही ओले
बेरोजगारों का कोई सुनने वाला नहीं है लगता है पांच छह सालो से पेंडिंग पड़े पुलिस भर्ती का बात जोह रहे कर्णधारो का मामला अब फिर अधर में लटकता नजऱ आ रहा है। कई सालों से दौड़ धूप के बाद इंटरव्यू के लिए पहुंचे है तो अब मामला हाईकोर्ट में जा पंहुचा है। अजीबोगरीब मामला है परीक्षा व्यापम ने लिया था और रिजल्ट पुलिस विभाग ने जारी किया। रास्ते में पहला ब्रेकर लोग इसे ही मान रहे हैं। जनता में खुसुर फुसुर है कि बेरोजगारों के साथ सिर मुंडाते ही ओले पडऩे वाली बात हो गई है।
मेयर ढेबर मास्को में
रायपुर के मेयर ढेबर इन दिनों मास्को की सड़को में धूल कहते दिख रहे हैं। अब वापस रायपुर आने के बाद उनसे पूछा जायेगा कि मास्को की सड़को में धूल मिला या स्वच्छ हवा। अब ऐसा लग रहा है कि रायपुर वालो को भी मास्को जैसा सड़क और वातावरण मिलेगा। मेयर ढेबर इन दिनों मास्को की ट्रांसपोर्ट एंड रोडवेज इंफ्रास्ट्रक्टर डेवलपमेंट विभाग द्वारा आयोजित इंटरनेशनल परिवहन संगोष्ठी में भाग लेने मास्को गए हुए हैं। इसी तरह भाजपा शासन काल में छत्तीसगढ़ गृह निर्माण मंडल के तत्कालीन अध्यक्ष महोदय ऑस्ट्रेलिया जाकर आए थे और उसी अनुरूप मकान बनाये जो बिके नहीं और जो बिक गए वो जर्जर हालात में पहुंच गए हैं। जनता में खुसुर फुसुर है कि भईया जैसा देश वैसा भेष।
हालात बद से बदतर
राजधानी के अधिकांश गार्डनों में निगम द्वारा जिम बनाया गया है ताकि लोग मॉर्निग वॉक के बहाने जिम में भी समय देकर निरोग रहे काफी तादात में लोग आने भी लग गए थे लेकिन उन्हें क्या मालूम कि गार्डनों में लगे ओपन जिम के ज्यादातर उपकरण इस्तेमाल के लायक नहीं है अगर इस्तेमाल किये तो घर न जाकर सीधे अस्पताल जाना पड़ेगा। जनता में खुसुर फुसुर है कि सड़क भी अभी चलने लायक बचा नहीं है जाएं तो जाएं किधर।
नौकरी में क्या रखा है
पिछले दिनों पुलिस विभाग के एक एएसआई को ऑन लाइन सट्टा महादेव एप के कर्ताधर्ताओं से संपर्क का आरोप लगा। इसका दावा ईडी ने किया। ईडी का यह भी दवा है कि महादेव ऐप का तार दुबई से जुड़ा हुआ है। साथ ही इसमें राजनीतिज्ञों का नाम भी जोड़ा जा रहा है। खैर ये सब जांचना उनका काम है लेकिन कम तनख्वाह और छोटी मोटी नौकरी के सामने दुबई की चकाचौंध दुनिया को देख हर कोई फिसल ही जाता है वैसे भी आज से कुछ सालो पहले भाजपा शासनकाल में एक सिपाही के लड़के की शादी भी धूमधाम से दुबई के एक होटल में हुई थी। जनता में खुसुर फुसुर है कि इन लोगों का एक ही उद्देश्य हो गया है मारो तो हाथी लूटो तो खजाना।
चुनाव मतलब किसानो की चिंता
भाजपा किसान मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष राजकुमार चाहर का आगमन छत्तीसगढ़ की पावन धरा में हुआ। रायपुर आते साथ ही उन्होंने किसानो के प्रति हमदर्दी जाहिर की। उनके मुताबिक 18 लाख किसानो को सम्मान से वंचित किया गया। अब वे किसानो को सम्मान दिला कर ही रहेंगे। जनता में खुसुर फुसुर है कि किसानो की इतनी ही चिंता है तो साहब धान का समर्थन मूल्य ही चार हजार करवा दीजिये वैसे भी आपका कहना है धान खरीदी का 80 परसेंट भुगतान केंद्र सरकार करती है वहां तो आप ही हैं।
छत्तीसगढ़ को फिर सम्मान
छत्तीसगढ़ में चुनाव का बिगुल फुंक चूका है ऐसे में नेताओ की आमद रफ़्त बढऩा स्वाभाविक है। काफी तादात में भाजपा विधायक यहाँ आकर प्रत्येक विधान सभा में जाकर भूपेश सरकार की कमियां बताकर वोट मांगेंगे। वहीँ दूसरी ओर भाजपा शाषित राज्य उत्तरप्रदेश में छत्तीसगढ़ सरकार की महती योजना मुख्यमंत्री मितान योजना को पुरुस्कार दिया गया है , अब चुनाव प्रचार हेतु आये विधायक महोदयों को समझ नहीं आ रहा है कि सरकार की क्या खामी निकालें।
गड्ढों के दिन फिरने वाले हैं
पिछले दिनों नगर निगम के सामान्य सभा में लोक निर्माण विभाग के प्रमुख ज्ञानेश शर्मा ने बता कि रायपुर शहर में कुल 1661 गढ्ढे हैं। ये बहुत अच्छी बात है चलो किसी जिम्मेदार ने तो गढ्ढा तो गिना। अभी तक तो गढ्ढों रोड ढूंढते थे अब रोड में किसी ने गढ्ढा ढूंढा, ज्ञानेश शर्मा पुरुस्कार के हक़दार हैं। बाजू में नया रायपुर है जहां जी 20 सम्मलेन के लिए करोडो खर्चा कर फिर से सजाया गया है थोड़ा ही सही नजरे ईनायत पुराने रायपुर में हो जाये तो गढ्ढों के दिन भी फिर सकते हैं। जब घूरे के दिन फिर सकते हैं तो गढ्ढों के क्यों नहीं।
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