अस्थायी कोटवार नियुक्ति का अधिकार तहसीलदार को, बोले संभागायुक्त...
बिलासपुर। संभागायुक्त महादेव कावरे ने आज कार्य में उपेक्षा व लापरवाही बरतने के कारण कोटवार मेघराम से संबंधित प्रकरण में न्यायालय अनुविभागीय अधिकारी राजस्व राजनांदगांव द्वारा पारित आदेश को विधिसम्मत नहीं होने के कारण निरस्त करते हुए अपीलार्थी भरत लाल आत्मज कार्तिक राम बंजारे की अपील को स्वीकार करते हुए नायब तहसीलदार घुमका के आदेश को यथावत रखा है।
उल्लेखनीय है कि कार्य में उपेक्षा एवं लापरवाही बरतने के कारण नायब तहसीलदार घुमका जिला राजनांदगांव ग्राम बहेराभांठा को पदच्युत किया गया था। जिसपर कोटवार मेघराम ने अपने पुत्र रामसुख को ग्राम बहेराभांठा को कोटवारी कार्य के लिए नियुक्त करने हेतु नायब तहसीलदार घुमका को आवेदन किया गया था। इसके लिए नायब तहसीलदार घुमका द्वारा ईस्तहार का प्रकाशन भी कराया गया था। प्रकरण में उभयपक्ष की सुनवाई कर उनके चरित्र संबंधी प्रमाण पत्र थाना घुमका से आहुत किया गया। ग्राम पंचायत बहेराभांठा के द्वारा अपीलार्थी भरत लाल बंजारे पिता कार्तिक राम बंजारे को कोटवार नियुक्त करने के संबंध में सर्वसम्मति से प्रस्ताव पारित कर प्रस्तुत किया गया। जिसके आधार पर एसडीएम राजनांदगांव ने भरत लाल को अस्थायी कोटवार नियुक्त करने का आदेश पारित किया गया। जिस आदेश के विरूद्ध उत्तरवादी रामसुख ने अपील प्रस्तुत की थी। जिसमें उभयपक्ष को सुनवाई के बाद 9 अक्टूबर 2020 को नायब तहसीलदार घुमका के आदेश को निरस्त करने का आदेश पारित किया गया।
संभागायुक्त श्री महादेव कांवरे ने इस संबंध में न्यायालय अनुविभागीय अधिकारी राजस्व के पारित आदेश को विधिसम्मत नहीं होने से निरस्त किया और अपीलार्थी भरत लाल की अपील को स्वीकार करते हुए न्यायालय नायब तहसीलदार घुमका जिला राजनांदगांव के पारित आदेश को यथावत रखा है। यह भी फैसला किया गया कि यदि पूर्व कोटवार को किसी दोष के कारण पदच्युत किया गया, तो उनके वारिस को कोटवार नियुक्ति में प्राथमिकता नहीं दी जा सकती।