छत्तीसगढ़

किशोरी की कुपोषण से मौत, परिजनों ने डॉक्टरों पर लगाया आरोप

Shantanu Roy
14 Sep 2021 5:53 PM GMT
किशोरी की कुपोषण से मौत, परिजनों ने डॉक्टरों पर लगाया आरोप
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जनता से रिश्ता वेबडेस्क। जशपुर। पहाडी कोरवा किशोरी की कुपोषण से इलाज के दौरान सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में मौत हो गई। हालांकि स्वास्थ्य विभाग इसे एनिमिया अर्थात खून की कमी से हुई मौत बता रहा है। ब्लादरपाठ निवासी सानू कोरवा की 15 वर्षीया बेटी पद्मा लंबे अर्से से कुपोषण की गंभीर बीमारी से जूझ रही थी। मृतिका के पिता सानू कोरवा ने बताया कि 4 दिन पूर्व पद्मा की तबियत अधिक खराब हो जाने के कारण उसे इलाज के लिए बगीचा के सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र में भर्ती कराया गया था,यहां इलाज के दौरान मासूम ने अंतिम सांस ली। सानू कोरवा अपने परिवार सहित बगीचा के वार्ड 10 में रहता था। उसके परिवार में 7 बच्चें हैं।

मृतिका के अलावा भी 4 बच्चे इसी तरह की बीमारी से जुझ रहें हैं। वहीं बगीचा के बीएमओ आरएन दुबे का कहना है कि मृतिका पद्मा की मौत अस्पताल लाएं जाने से पहले ही हो चुकी थी। बच्ची के शरीर में खून की कमी थी और उसे उल्टी व बुखार की शिकायत थी यहां लाते तक उसकी मौत हो चुकी थी। वार्डों में स्वास्थ्य टीम भेजकर सघन जांच कराई जाएगी। वार्ड पार्षद प्रेरणा थवाईत ने बताया कि उन्हें रात में सूचना मिली जिंसके बाद उन्होंने तत्काल परिजनों से मुलाकात की और सहायता राशि देकर देर रात 12 बजे शव के साथ परिजनों को उनके गृहग्राम ब्लादर पाठ रवाना किया।

उन्होंने बताया कि यहां और भी बच्चे कुपोषित हैं जिनका सर्वे कर उन्हें पोषित करना आवश्यक है।उक्त बस्ती के साथ विभिन्ना वार्डों में स्वास्थ्य जांच कराते हुए उपचार की पहल प्रशासन को करनी चाहिए।उन्होंने कहा कुपोषण के खिलाफ कागजी कार्रवाई से हटकर जमीनी स्तर पर इसे दुरुस्त करने की आवश्यकता है।पीड़ित परिवार मृतिका के अंतिम संस्कार के लिए गृहग्राम ब्लादर पाठ रवाना हो गया है।

जिले में कुपोषण और एनिमिया अब भी गंभीर समस्या बनी हुई है। हालांकि शासन का दावा है कि 2 अक्टूबर 2019 से शुरू किए गए मुख्यमंत्री सुपोषण अभियान से जिले में कुपोषित बच्चों की संख्या में तेजी से कमी आ रही है। महिला एवं बाल विकास विभाग के आंकड़ों के मुताबिक जिले में बीते ढाई साल के दौरान इस योजना से 57 सौ 84 बच्चों को कुपोषण के अभियान से मुक्ति मिली है। हालांकि 10 हजार से अधिक कुपोषित बच्चे अभी इस बीमारी से जुझ रहें हैं।


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