कुत्ते के काटने से किशोर की मौत, इंजेक्शन की जगह झाड़-फूंक करवा रहे थे परिजन
रायगढ़। शहरी और ग्रामीण इलाकों में कुत्तों का आतंक है। शहर में प्रमुख चौराहों, मोहल्लों में आवारा कुत्तों के काटने के मामले लगातार बढ़ रहे हैं। इससे निजात दिलाने नगर निगम के पास कोई प्लान नहीं है।
साल में एक-दो बधियाकरण होता रहा है, लेकिन यह काम भी पिछले डेढ़ साल से बंद है। जिला अस्पताल में रोजाना 10-15 मरीज कुत्ते के कांटने के बाद पहुंच रहे हैं। औसतन 250 मरीज केवल जिला अस्पताल में पहुंचते हैं। जिला अस्पताल सहित सीएचसीपीसी में एंटी रेबीज वैक्सीन का स्टॉक है, जहां मरीज जाकर इंजेक्शन लगा सकते हैं, लेकिन ग्रामीण क्षेत्रों में जानकारी नहीं होने से लोग झाड़-फूंक के चक्कर में आ जाते हैं। गुरुवार रात सात वर्षीय बालक की मौत हो गई।
घरघोड़ा थाना के बरौद निवासी सियाराम मांझी का बेटा सिद्धात मांझी को 3 फरवरी को घर के बाहर खेलते हुए कुत्ते ने काटा था। परिजन को बताया तो उन्होंने झाड़फूंक कर दवा खिला दी। कुछ दिन रहने के बाद 14 फरवरी को स्कूल गया था, जहां अचानक उसकी तबीयत बिगड़ने लगी। परिजन उसे घरघोड़ा सीएचसी लेकर गए, जहां प्राथमिक इलाज के बाद उसे रायगढ़ रेफर किया गया। मेकाहारा में उसकी मौत हो गई।