बाल विवाह रोकने टीमें अलर्ट, कलेक्टर ने जारी की एडवाइजरी
रायगढ़। आगामी रामनवमी और अक्षय तृतीया में बाल विवाह की संभावना को देखते हुए कलेक्टर कार्तिकेया गोयल ने बाल विवाह के रोकथाम के लिए एडवाइजरी जारी की है। कलेक्टर कार्तिकेया गोयल ने कहा कि बाल विवाह एक सामाजिक बुराई ही नहीं अपितु कानूनन अपराध है। इसकी रोकथाम के लिए सभी को मिलकर कार्य करना होगा, तभी समाज इस बीमारी से मुक्त हो सकेगा। उन्होंने कहा कि हम सभी का दायित्व है कि समाज में व्याप्त इस बुराई को पूर्णत: रोकथाम हेतु जनप्रतिनिधियों, नगरीय निकायों, पंचायती राज संस्थाओं के प्रतिनिधियों, स्वयंसेवी संगठनों एवं आमजनों से सहयोग प्राप्त करते हुए इस प्रथा के उन्मूलन हेतु कारगर कार्यवाही करें।
बाल विवाह प्रतिषेध अधिनियम 2006 के अंतर्गत बाल विवाह करने वाले वर एवं वधु के माता-पिता, सगे संबंधी, बाराती यहां तक की विवाह कराने वाले पुरोहित पर भी कानूनी कार्यवाही की जा सकती है। इसके अतिरिक्त यदि वर या कन्या बाल विवाह पश्चात विवाह को स्वीकार नहीं करते है तो बालिग होने के पश्चात विवाह को शून्य घोषित करने हेतु आवेदन कर सकते है। बाल विवाह के कारण बच्चों में कुपोषण, शिशु मृत्य दर एवं मातृ मृत्यु दर के साथ घरेलू हिंसा में भी वृद्धि होती है एवं बाल विवाह बालको के सर्वोत्तम हित में नहीं है अतएव जिले में इसकी रोकथाम किया जाना आवश्यक है।
जारी एडवाइजरी में उल्लेख है कि छत्तीसगढ़ में मुख्यत: रामनवमी एवं अक्षय तृतीया पर बड़ी संख्या में विवाह होते है। इन अवसरों पर बाल विवाह भी हो सकते है। अतएव पूर्व से ही ग्राम पंचायतवार होने वाले विवाहों की समीक्षा ग्राम स्तरीय/खण्ड स्तरीय बाल संरक्षण समिति के माध्यम से की जाए एवं बाल विवाह होने के संबंध में जानकारी प्राप्त होने पर विवाह रोकने हेतु समझाईश देते हुए नहीं मानने पर कानूनी कार्यवाही करें। आगामी 17 अप्रैल 2024 रामनवमी एवं 10 मई 2024 को अक्षय तृतीया में बाल विवाह की संभावना को देखते हुए जिला प्रशासन सजग रहते हुए लोकसभा निर्वाचन-2024 के आचार संहिता का पालन करते हुए बाल विवाह रोकथाम हेतु आवश्यक कार्यवाही सुनिश्चित करें।