छत्तीसगढ़

शिक्षक दिवस पर शिक्षक की बात

Nilmani Pal
4 Sep 2022 7:45 AM GMT
शिक्षक दिवस पर शिक्षक की बात
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रायपुर। सर्वमान्य और चिरंतन सत्य है कि शिक्षा सीखने की सतत प्रक्रिया है विद्यार्थी की शिक्षा सर्वप्रथम परिवार से प्रारम्भ होते -होते ग्राम,आसपास के वातावरण उनके व्यक्तित्व पर प्रभाव डालता है। आज हमारी औपचारिक शैक्षिक व्यवस्था के मुख्य केन्द्र स्कल कॉलेज ही है ।अतःइन संस्थानों में शिक्षक एवं शिक्षार्थी दोनों के संबंध के बुनियाद पर ही विद्यार्थी के जीवन की दिशा व दशा निर्भर है।

गुरु का सानिध्य जिस किसी को मिले वह लघु नही हो सकता है । उनका व्यक्तित्व इतना विराट हो जाता है कि शिष्य के नाम से गुरु को जाना जाता है। प्राचीन काल से आज के भूमंडलीकरण एवं प्रौद्योगिकीकरण के दौर में सीखने के अनेकानेक माध्यम है हर हाथों में मोबाईल ,लैपटॉप, डेस्कटॉप के युग में भी शिक्षा का बुनियादी माध्यम व श्रृंखला शिक्षक ही है । वह गुरु ही है जिन्होंने राम कृष्ण को आकार दिया भारत में जगत प्रसिद्ध गुरु हुए हैं। गुरु वशिष्ठ जिन्होंने राम को जगत आदर्श बनने बनाने की शिक्षा दिए । गुरु सांदीपनी ने कर्मयोगी श्री कृष्ण को योगेश्वर का आकार लेने की प्रेरणा दी । गुरु श्रृंखला में क्या इन महा विभूतियों को भुलाया जा सकता है? शुकदेव महाराज, समर्थ रामदास महाराज, द्रोणाचार्य ,निजामुद्दीन औलिया, लीलाशाहजी महाराज ,रामानंद, अष्टावक्र, विनोबा भावे यह क्रम निश्चित रूप से आगे बढ़ता ही जा रहा है ।यह श्रृंखला बहुत लंबी है ।

आज के परिदृश्य में भी शिक्षक ही वह ज्योतिपुंज है जिसके आलोक में विद्यार्थी अपने शिक्षा पूर्ण कर जीवन पथ में आदर्श जीवन जीने के लिए उन्मुख होता है । राष्ट्र व समाज के नवनिर्माण में राष्ट्रीय और सामाजिक कर्तव्यों के निर्वहन में श्रेष्ठ नागरिक धर्म का पालन कर विश्व बंधुत्व के भावों को आत्मसात करते हुए अपने जीवन को सार्थक करता है। इस क्रम में बुनियादी तथ्य यह है कि शिक्षक अपने सानिध्य में आए छात्र की मानसिकता को समझें ,विषय को पढ़ाने के पहले छात्र को पढ़े। आज के परिवेश में शिक्षक के पेशे को मात्र सरकारी सेवक के रूप में देखकर हम सभी शिक्षा के बुनियाद को कमजोर कर रहे हैं। जबकि सभी को ज्ञात है कि शिक्षक ही वह ज्योतिपुंज है जिसके आलोक में छात्र का जीवन प्रकाशमय होता है,शिक्षक सुविधादाता के रूप में ही नही अपितु विद्यार्थी के सर्वांगीण विकास के लिए सर्वाधिक जवाबदेह व्यक्ति है। शिक्षकीय पेशा शतप्रतिशत देने की प्रतिबद्धता ,त्याग और समर्पण की मांग करती है। छात्र के लिए शिक्षक रोल मॉडल है,शिक्षक के बैठने- उठने ,खाने -पीने, कपड़े लत्ते पहनने से लेकर , रहन सहन उनका विचार को अपनाता है। हताशा निराशा व संशय की स्थिति में शिक्षक द्वारा बताए व समझाए गए सकारात्मक बातों सीखों को याद करके छात्र आगे बढ़ता चला जाता है । तुलसी ने भी गुरु पद व गुरु पद नख तक की महिमा का गान किया है। श्री गुरु पद नख मनि गन जोती, सुमिरत दिव्य दृष्टि हियँ होती।

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