हैवी माइनिंग मशीनरी चोरी-छिपे विदेश भेजकर मोटी रकम कमा रही कंपनी
विभागीय अफसरों ने सरकार को गफलत में रख कर 5000 करोड़ का चुना लगाया
जीएसटी अफसरों की अनदेखी का उद्योगपति उठा रहे लाभ
हैवी मशीनरी एक्सपोर्ट करने वाली कंपनियों की जांच जरूरी
प्रवर्तन निदेशालय संज्ञान में होने के वाबजूद हजारों करोड़ की टैक्स चोरी रोकने में नाकाम
जीएसटी अफसरों की अनदेखी
टैक्स चोरी के मामलों में स्टेट जीएसटी विभाग के अफसरों की अनदेखी समझ से परे हैं। उद्योंगो की सतत मानिटरिंग और जांच नहीं होने से उद्योगपति नियमों को ताक पर रखकर बड़े पैमाने पर टैक्स चोरी कर रहे हैं। जांच नहीं होने से अफसरों को यह भी पता नहीं है कि उद्योग चालू है बंद। लोहा इंडस्ट्री और कारोबारियों की जांच में टैक्स चोरी का बड़ा मामला खुला था। इसी तरह एक्सपोर्ट के लिए लायंसेस प्राप्त उद्योगों की तत्काल जांच कर टैक्स चोरी के मामले में सख्त कार्रवाई की जानी चाहिए ताकि सरकार को राजस्व हानि से बचाया सके।
अतुल्य चौबे
रायपुर। राज्य के उद्योगों द्वारा बड़े पैमाने पर कानूनों का उल्लंघन करते हुए मनी लांड्रिंग, इनकम टैक्स और कस्टम ड्यूटी की चोरी कर केन्द्र और राज्य सरकार को चूना लगा रहे हैं। राज्य में लगभग 150 सौ बड़े उद्योग हैं जिनमें से लगभग आधे के पास एक्सपोर्ट का लायसेंस है। इनके द्वारा लगातार गलत तरीके से एक्सपोर्ट के नाम पर टैक्स चोरी, मनी लांड्रिग और फेरा कानूनों का उल्लंघन किया जा रहा है। बताया जा रहा है कि इन उद्योगों द्वारा भारत में कम कीमत पर बिकने वाले उत्पादों को नियम विरूद्ध तरीके से विदेशों में दुगुने-तीगुने दामों में बेचकर मोटी कमाई की जा रही है और सरकार को टैक्स का चूना लगाया जा रहा है। इस संबंध में राज्य के संबंधित विभागों के उच्चाधिकारियों को न सिर्फ जानकारी है बल्कि कई शिकायतें भी विभाग को मिली है, लेकिन कार्रवाई तो दूर सरकार के संज्ञान में भी इन मामलों को नहीं लाया जा रहा है। चर्चा है कि एक बड़े अधिकारी ने इन मामलों को सरकार तक पहुंचने नहीं दिया और गफलत में रखकर उद्योगों से सांठगांठ कर सरकार को आर्थिक नुकसान पहुंचा रहा है।
राजधानी स्थित एक हैवी माइनिंग मशीनरी के निर्माता कंपनी द्वारा बड़े पैमाने पर मनी लांड्रिंग, आयकर व कस्टम टैक्स की चोरी करने की जानकारी मिली है। उक्त कंपनी के निर्माता के राजधानी में ही दो फर्म हैं, इसके अलावा विदेशों में भी इसके दो फर्म हैं। कंपनी द्वारा बड़े पैमाने पर टैक्स चोरी और मनी लांड्रिंग करने की शिकायत केन्द्र-राज्य सरकार के मंत्रियों से लेकर संबंधित विभागों, फर्मो के साथ इसकी जानकारी मीडिया को भी दी गई है। शिकायत में बताया गया है कि उक्त कंपनी के द्वारा लगातार कानूनी उल्लंघन करते हुए भारत सरकार के राजस्व की चोरी की जा रही है। यह कंपनी हैवी माइनिंग मशीनरी खरीदी-बिक्री के माध्यम से भारत सरकार के नियमों का उल्लंघन करते हुए बड़ी रकम अपनें विदेश स्थित कार्यालय के माध्यम से मनी लांड्रिंग करते हुए भारत सरकार के आयकर व कस्टम विभाग के टैक्स की चोरी कर रही है।
हेवी माइनिंग मशीनरी उत्पादन करने वाली कंपनियां भारत में किसी भी व्यक्ति अथवा कंपनी को नया माइनिंग मशीनरी की बिक्री करती है तो वह बाकायदा अपने बिल में एक नियम लिखती है कि उक्त व्यक्ति या कंपनी उक्त खरीदी गई मशीन को 18 माह से पूर्व कभी भी भारती से किसी भी अन्य देश को निर्यात नहीं करेगा। उक्त नियम का उल्लंघन करने पर माइनिंग मशीनरी उत्पादन करने वाली कंपनियां उनपर कार्यवाही कर सकती है क्योंकि माइनिंग मशीनरी उत्पादन करने वाली कंपनियों के माइनिंग मशीनरी की कीमत यदि भारत में 10 करोड़ है तो विदेशों में उसकी कीमत 22 करोड़ होगी। कीमतों में भारी अंतर का फायदा उठाते हुए माइनिंग मशीनरी उत्पादन करने वाली कंपनियों के उच्चाधिकारियों के मार्गदर्शन, सहयोग एवं सांठ-गांठ से स्थानीय कंपनी द्वारा भारतीय व्यक्ति अथवा कंपनी को कमीशन का लालच देकर उसके नाम पर भारत से नई माइनिंग मशीनों को खरीदा जाता है और कागजों में नई माइनिंग मशीनों को स्थानीय कंपनी को बिक्री दिखाकर पुराना अथवा सेकंड हेंड बताकर विदेश स्थित फर्म को बहुत कम कीमत दिखाकर भारत से चोरी छिपे निर्यात कर दिया जाता है। ताकि सरकार टैक्स चुकाना न पड़े। इसके बाद हैवी मशीनों को विदेश स्थित फर्म से वहां के लोगों व कंपनियों को वहां प्रचलित कीमतों में बेचकर मनमाना मुनाफा कमाया जाता है। इसके बाद मोटी रकम मनी लांड्रिंग के तहत हवाला एजेंट के माध्यम से भारत मंगवा लिया जाता है। शिकायत के अनुसार उक्त स्थानीय कंपनी पिछले तीन-चार साल में 200-250 माइनिंग मशीनरी चोरी-छुपे निर्यात कर विदेशों में बिक्री चुकी है जिसकी कीमत लगभग 500 करोड़ से अधिक होगी। उक्त कंपनी भारत सरकार के माइनिंग मशीनरी निर्यात के कमजोर नियमों का भरपूर फायदा उठाते हुए उत्पादक कंपनियों के उच्चाधिकारियों के सांठगांठ से बड़े पैमाने पर टैक्स चोरी कर सरकार को राजस्व का नुकसान पहुंचा रही है। उद्योगों-कंपनियों के ऐसे कार्यो में संबंधित विभाग के बड़े अफसर भी मिलीभगत कर निजी हित साध रहे हैं और केन्द्र व राज्य सरकारों को गफलत में रखकर राजस्व का चूना लगा रहे हैं।