रायपुर। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने आज यहां अपने निवास कार्यालय में महिला एवं बाल विकास विभाग की गतिविधियों की समीक्षा करते हुए कहा कि महिलाओं और बच्चों के स्वास्थ्य और पोषण पर विशेष रूप से ध्यान दिए जाने की जरूरत है। मुख्यमंत्री ने कहा कि छत्तीसगढ़ स्वस्थ और सुपोषित हो, इसके लिए जरूरी है कि हमारी आंगनबाडि़यां महिलाओं और बच्चों के स्वास्थ्य एवं पोषण के सशक्त केन्द्र के रूप में विकसित हो। उन्होंने प्रथम चरण में राज्य के दस हजार आंगनबाड़ी केन्द्रों को मॉडल केन्द्र के रूप में विकसित किए जाने की योजना का क्रियान्वयन जिला प्रशासन के सहयोग से सुनिश्चित करने के निर्देश दिए। बैठक में महिला एवं बाल विकास मंत्री श्रीमती अनिला भेंडिया, स्कूल शिक्षा मंत्री डॉ. प्रेमसाय सिंह टेकाम, मुख्य सचिव श्री अमिताभ जैन, अपर मुख्य सचिव श्री सुब्रत साहू, महिला एवं बाल विकास विभाग की सचिव श्रीमती रीना बाबा साहेब कंगाले, संचालक समाज कल्याण श्री पी. दयानंद, संचालक महिला बाल विकास श्रीमती दिव्या मिश्रा एवं अन्य वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे।
मुख्यमंत्री श्री बघेल ने राज्य में मुख्यमंत्री सुपोषण अभियान का प्रभावी क्रियान्वयन सुनिश्चित करने के साथ ही रेडी-टू-ईट की गुणवत्ता एवं वितरण की व्यवस्था पर कड़ी निगरानी के निर्देश दिए। बैठक में आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं एवं सहायिकाओं के रिक्त पदों की पूर्ति के संबंध में भी चर्चा की गई। बैठक में सचिव महिला एवं बाल विकास ने पावर प्वाइंट प्रजेंटेशन के माध्यम से विभागीय योजनाओं एवं कार्यक्रमों की जानकारी दी। उन्होंने बताया कि वजन त्यौहार का प्रदेशव्यापी आयोजन आंगनबाड़ी केन्द्रों में आज 7 जुलाई से शुरू हुआ है। 5 वर्ष तक के उम्र के 28 लाख बच्चों का वजन एवं ऊंचाई का माप लेकर उनके सुपोषण स्तर की मूल्यांकन किया जा रहा है। उन्होंने बताया कि राज्य में संचालित सुपोषण अभियान के सार्थक परिणाम आए हैं। उन्होंने बताया कि जनवरी 2019 की स्थिति में 4,33,541 बच्चे कुपोषित थे। मुख्यमंत्री सुपोषण अभियान के तहत पौष्टिक आहार, स्वास्थ्य सुविधाएं एवं नियमित रूप से परामर्श सेवाएं उपलब्ध कराने से इसमें 32 फीसद की कमी आई है। मई 2021 की स्थिति में 1,40,556 बच्चे कुपोषण से बाहर आ चुके हैं और 81 हजार से अधिक महिलाएं एनीमिया से मुक्त हुई है। उन्होंने मुख्यमंत्री बाल संदर्भ योजना, मुख्यमंत्री कन्या विवाह योजना, नोनी सुरक्षा योजना, सुचिता योजना, महतारी जतन योजना, सामाजिक विकास एवं महिला सशक्तिकरण योजनाओं की प्रगति की जानकारी दी। उन्होंने बताया कि विभाग के अधीन गठित महिला स्व-सहायता समूह सामाजिक सरोकार को बेहतर बनाने के साथ ही गौठान एवं अन्य गतिविधियों से जुड़कर सामाजिक एवं आर्थिक रूप से स्वावलंबन की ओर अग्रसर है।
बैठक में जानकारी दी गई कि राज्य में कुल 52,474 आंगनबाड़ी केन्द्र संचालित है, जिनमें से 3 हजार आंगनबाड़ी केन्द्रों को मॉडल एवं नर्सरी स्कूल के रूप में विकसित किया जा चुका है। इस साल 10 हजार आंगनबाड़ी केन्द्रों को मॉडल केन्द्र के रूप में विकसित किए जाने की योजना है। राज्य में रेडी-टू-ईट के निर्माण में 1,620 तथा गरम भोजन प्रदाय कार्य में 18,460 महिला स्व-सहायता समूह संलग्न है।