छत्तीसगढ़

बैजनाथपारा में चल रहा है तालिबानी कानून, जिसकी लाठी उसकी भैंस

jantaserishta.com
10 Nov 2024 5:57 AM GMT
बैजनाथपारा में चल रहा है तालिबानी कानून, जिसकी लाठी उसकी भैंस
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बैजनाथपारा में किसके शह पर कानून को दे रहे मात, जो काले कारोबार को दे रहा संरक्षण
शराब, अफीम, डोडा, गांजा, चरम के शौकीनों का बना अघोषित स्मोकिंग जोन
लगता है महादेव सट्टा से जुड़े लोगों ने अघोषित कमाई को बैजनाथपारा में खपा रहे
बैजनाथपारा बना गुंडे बदमाशों और जुआरियों -सटोरियों का ठिकाना रात 2 बजे तक
राजधानी के कानून व्यवस्था को धता बताकर अपराधियों-गंड़ों बदमाशों को रात भर खाने पीने के सामान करा रहे मुहैया
रायपुर: कभी बैजनाथपारा की पहचान पढ़े लिखे लोगों, साहित्यकारों और संगीतकारों के बाशिंदों के लिए जाना जाता था। जहां अदब लिहाज वहां के बाशिंदों की पहचान हुआ करती थी। समय के साथ परिवर्तन और तरक्की सभी का जन्म सिद्ध अधिकार है। लेकिन बैजनाथपारा की तरक्की ने वहां के रहवािसयों को ही शर्मसार कर रहा है। यहां के पुराने बाशिंदे बैजनाथपारा में चल रहे अवैध कारोबार से हलाकान हैं। उनके रातों की नींद औऱ दिन का सुकून उड़ गय़ा है। बैजनाथपारा में सहपरिवार रहने वाले सभ्रांत परिवार वहां परिवार के साथ निकलने में संकोच करते हैं । न जाने कौन सा नशेला आकर टकरा जाए और तू-तू मैं-मैं शुरू हो जाए। बैजनाथपारा के सुकून को वहां के कारोबारियों ने छीन लिया है। वहां के पुस्तैनी रहवासियों का कहना है कि जब से राजधानी बनी है तब से हम लोग नींद उड़ाने वालों का आतंक झेल रहे है। न जाने किसके शह पर ये लोग रात भर होटल, चाय, पान दुकान खोलकर बैजनाथपारा के अमनो -चैन पर खलल डाल रहे हैं।
राजधानी बनने के बाद पिछले 24 सालों में बैजनाथपारा का सम्मान नष्ट हो गया है। यहां अब पुस्तैनी रहवासियों ने यहां के हालचाल से तंग आकर ठिकाना ही बदल दिया है। कुछ लोग जो अभी मजबूरन रह रहे है उनके नींद हराम हो चुके है। सैकड़ों बार थाने में शिकायत करने के बाद भी रात-रात भर होटल दुकान खुले रहते है। शहर भर के सारे अपराधी तत्व नशे की तलाश में बैजनाथपारा पहुंचते हौ औऱ रात भर हुल्लड़ के साथ गुंडागर्दी करते है। यहां के कुछ पुराने जानकारों का कहना है कि यहां पर लोग नशे के समान खपाने और बेचने का काम करते है। जिसके कारण देश भर के मादक पदार्थो के तस्करों का अड्डा बन गया है। बैजनाथपारा के सभ्रांत रहवासियों का कहना है कि हमारे सुकूम और अमन चैन में किसके शह पर खलल पहुंचाया जा रहा है। अज तक पता नहीं चल पाया है।
नाइट राइडरों का खेल
राजधानी बनने के बाद 2000 से 2003 तक बैजनाथपारा में सुकून रहा है। तब यहां नेता गिरी कम थी, लोग अपने काम से काम रखते थे, बाद में बैजनाथपारा में राजनीति ने एसी घुसपैठ की कि वहां की नेतागरी के चर्चे होने लगे। तब से आज तक पुलिस वाले आते जरूर है सायरन भी बजाते है और एनाउंसमेंट भी करते है कि रात के 11 बजे गए है दुकान बंद करों नहीं तो कार्रवाई की जाएगी। पुलिस की गाड़ी एक-दो होटलों के पास रूकते -रूकते अपने थाने की ओ्रर चला जाती है। उसके बाद शुरू होता है नाइट राइडरों का खेल । नशे के शौकीनों को उनके मनपसंद ब्रांड और फ्लेवर वाले गांजा, चरस, अफीम और सिरप का आन डिमांड माल सप्लाई किया जाता है।
रातभर गाड़ियों का लगा रहता है आना जाना
जब सारा शहर सो जाता है तब बैजनाथपारा में काले सूरज का उदय होता है। राजधानी के सारे उठाईगिरे, गुंडे -बदमाश नशे के सनमान खरीदने के लिए बैजनाथपारा आते है। जिसके कारण वाहनों की आवाजाही और शोरगुल से लोगों की नींद हराम हो जाती है। रातभर होटलों औऱ पान-चाय वालों के सामने गाड़ियों और लोगों का मजमा लगा रहता है। लोग चाह कर भी उन्हें नहीं कह सकते कि रात हो गई है दुकान बंद कर दीजिए तो मोहल्ले वाली सो सके। गाड़ियों की के हार्न और आवाज ने बैजनाथपारा के रहवासियों को जागते रहने की सजा दे रहे है।
रात में दिन जैसा माहौल
जिस तरह बाजार में सुबह से शाम तक भीड़ उमड़ती है ठीक वैसे ही रात में बैजनाथपारा में भीड़ उमड़ती है। न जाने लोगों के घरों में खाना बनता है या नहीं यहां के होटलों से ही रोज हजारों लोग खाने -पीने का सामान लेने के लिए आते है। यहां रात का नजारा देखकर को लगता है कि मेला लगा है लोग मेले में तफरीह करने पहुंचे है। चारों तरफ लाइट ही लाइट जबिक दूसरे मोहल्लों में अंधेरा होता है तो यहां दूधियों रौशनी से बैजनाथपारा नहाए रहता है। लगता ही नहीं कि रात के 2 बज गए है। सब कुछ दिन की तरह चलता ही दिखाई देता है।
सबसे बड़ा सवाल
यहां के पुस्तैनी रहवािसयों ने बताया कि हमें आज तक इस बात का पता नहीं चला कि बैजनाथपारा में किसके शह पर रात को खोला जा रहा है। पहले 10 बजे तक सभी दुकाने बंद हो जाती थी, जब से इस मोहल्ले में नेतागिरी हावी हुई है तब से यहां का पूरा माहौल ही बिगड़ गया है। हर दुकानदार अपने आप को किसी न किसी नेता का खास कहने से भी गुरेज नहीं करता है। हमारे लिए तो यही सबसे बड़ा सवाल है कि इस सारे फसाद के पीछे किसका शह है। जो बात करो तो लड़ाई पर उतारी हो जाते है। अब लोग यहां के हालात से समझौता कर लिए है। जैसा चल रहा है वैसा चलने दीजिए किसी से कुछ बोलने या शिकायत करने के कुछ नहीं होने वाला है। ज्यादा है तो हम ही कुछ दिनों बाद बैजनाथपारा छेड़ देंगे तब ही सुकून नसीब होगी यहां तो सुकून अब किसी खास लोगों की जागीर बन गई है।
पुलिस कर रही रस्मअदायगी
कानून व्यवस्था बनाने के नाम पर पुलिस मात्र शिकायत पर रस्म अदायगी कर रही है। जब राजधानी में 11 बजे सभी जगह दुकानें बंद हो जाती है तो फिर बैजनाथपारा में कौन सा कानून चलता है जहां रात भर दुकानें और होटलें खुली रहती है। वहां के रहवािसयों का तो यहां तक कहना है कि लगता बैजनाथपारा में भरतीय कानून कायदे नहीं चलते है यहां तो तालिबानी हुकूमत वाला कानू चल रहा है जिसके चलते पुलिस वाले भी कानून की दुहाई देकर चलते बनते है या फिर दबाव बनाकर चलता कर दिया जाता है। लोगों का मानना है कि जब पूरा शहर में कानून व्यवस्था लागू है तो यहां पर छूट कौन दे रहा है।
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