छत्तीसगढ़

नवकार मंत्र की शरण ले लो, हर चिंता हो जाएगी दूर

Nilmani Pal
10 Aug 2022 4:53 AM GMT
नवकार मंत्र की शरण ले लो, हर चिंता हो जाएगी दूर
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रायपुर। इष्ट फल की प्राप्ति और मुक्ति का आधार है महामंत्र नवकार। जिस मंत्र के पहले, बीच में और अंत में कोई बीजाक्षर लगाने की जरूरत नहीं होती, जिसे ऊपर से बोल लो तो वही परिणाम और नीचे से शुरू कर बोल लो तो भी वही परिणाम, बीच में से बोल लो तो तब वही परिणाम। एक पद या शुरूआत के पदों को बोल लो तब भी वही परिणाम, जहां से भी इसका जाप कर लो यह इंसान को समान परिणाम दिया करता है। ये वो महामंत्र है जिसका लाख बार जाप करके इंसान दुनिया में किसीका अहित नहीं कर सकता वह केवल दुनिया का हित ही हित कर सकता है। यह महामंत्र नवकार हमेशा मानवता के हित का काम करता है, इसमें किसी भगवान का नाम नहीं पर दुनिया में ऐसी कोई ईश्वरीय शक्ति भी शेष नहीं जो इसमें न आयी हो, क्योंकि यह व्यक्तिवाचक नहीं यह महामंत्र गुणवाचक है। यह गुणों की पूजा करता है, कोई भी व्यक्ति इसका जाप करे, यह हर धर्म का-हर व्यक्ति का मंत्र है। इस धरती पर आज तक किसी में भी यह हिम्मत नहीं कि वह महामंत्र में भेद कर सके, क्योंकि यह अभेद्य है। ''

ये प्रेरक उद्गार राष्ट्रसंत महोपाध्याय श्रीललितप्रभ सागरजी महाराज ने आउटडोर स्टेडियम बूढ़ापारा में जारी दिव्य सत्संग जीने की कला के अंतर्गत धर्म सप्ताह के द्वितीय दिवस मंगलवार को व्यक्त किए। वे आज 'कैसे जपें मंत्र नवकार: हो जाएं दुखों से पार' विषय पर प्रवचन दे रहे थे। नवकार मंत्र है महामंत्र, इस मंत्र की महिमा भारी है...के गायन से धर्मसभा का शुभारंभ करते हुए संतप्रवर ने कहा कि इस महामंत्र का सुमिरन करो तो आत्मा धन्य हो जाती है, जाप करो तो मन धन्य हो जाता है, उच्चारण करो तो जिह्वा धन्य हो जाती है और इस मंत्र को जीवन में उतार लो तो आत्मा धन्य हो जाती है। इस लोक में भी जो हमें दु:खों से पार लगाता है और परलोक में हमें मोक्ष का पद प्रदान करता है। ये वो महामंत्र है जिसे भोगी भी सुमर सकता है, योगी भी स्मरण कर सकता है, राजा और रंक भी इसका जाप कर सकता है। युगों-युगों से मानवता ने अपने जीवन कल्याण के लिए जिस महामंत्र से परम मार्गदर्शन प्राप्त किया है वह यह नवकार महामंत्र है। जैसे नदियों में गंगा है, जैसे पर्वतों में हिमालय है, कि जैसे देवों में गणेश है, जैसे तारों में चंद्रमा है वैसे ही सारे मंत्रों में यह महामंत्र मानवता के कल्याण के लिए दिव्य शक्तियों द्वारा अवतरित हुआ है। जिसके हृदय में नवकार मंत्र का जाप-मनन चलता है, जिसकी जिह्वा में नवकार मंत्र का संगायन होता है, जिसके कानों में नवकार मंत्र का श्रवण होता है और जिसके दिलोदिमाग में नवकार मंत्र का मनन हुआ करता है, वह जीव धन्य हो जाता है उसका आत्म कल्याण हो जाता है। उसके जीवन में आत्मोद्धार के रास्ते खुलने शुरू हो जाते हैं। संतप्रवर ने कहा कि यह महामंत्र नवकार हमारे जीवन का उद्धारक है, आत्मा का कल्याण करने वाला है। मनवांछित फल प्रदान करने वाला और अंतत: व्यक्ति को मुक्ति का मार्ग प्रदान करने वाला है।

नवकार मंत्र की शरण ले लो, हर चिंता हो जाएगी दूर

संतश्री ने कहा कि दुनिया में तीन शब्द चलते हैं- मंत्र, यंत्र और तंत्र। जिसका संबंध हमारे मन से जुड़ा होता है वह मंत्र है, मशीनों से जिसका संबंध जुड़ा होता है वह यंत्र होता है, और तन से जिसका संबंध जुड़ा होता है वह तंत्र होता है। मन की मुक्ति के लिए, आत्मा के कल्याण के लिए यह नवकार मंत्र है। इसके 68 अक्षर इसकी महिमा को धारण किए हुए हैं। नवकार मंत्र की शरण ले लो, हर चिंताएं दूर हो जाती हैं। मन में अगर अखंड श्रद्धा रखो तो तय मानकर चलना। नवकार मंत्र उसे परिणाम नहीं देता जो केवल शब्दों में मनन करता है, यह मंत्र उसे परिणाम देता है जो हृदय में इसके प्रति अनंत श्रद्धा रखता है। अनेकता में एकता का पाठ पढ़ाने वाला यह महामंत्र नवकार है।

रोगमुक्त व वास्तु दोष, नवगृह दोष दूर करने वाला महामंत्र

संतप्रवर ने आगे कहा कि यह दुनिया का वह महामंत्र है जिसमें कोई भी कामना नहीं केवल सद्भावना छिपी हुई है। नवकार महामंत्र की अनन्य उपासक श्रीमती के कथानक से प्रेरणा प्रदान करते हुए संतश्री ने कहा कि अगर आपने इस नवकार महामंत्र का श्रद्धा-आस्थापूर्वक जाप कर लिया तो आप जहां बैठे हैं, वहीं उसे आपको 68 तीर्थों की यात्रा का पुण्य प्राप्त हो जाता है। यदि आपको लगता है कि आपके घर में वास्तु दोष है, तो मार्बल पट्ट पर महामंत्र खुदवा कर और उस पट्ट को घर के ब्रह्म केंद्र यानि घर के मध्य भाग की दीवार में लगवा दीजिए, अगर नौ महीने के भीतर घर का वास्तु दोष दूर हो जाएगा। अगर आपको लगता है कि आप सत्य के पथ पर चल रहे हैं, तब भी आप केस हार रहे हैं तो ताड़ पत्र में स्याही वाले पेन से नवकार महामंत्र लिखकर उसे चांदी के ताबीज में लेकर पूजन स्थान पर बांध दीजिएगा केस जीतने से आपको कोई नहीं रोक पाएगा। अगर आपको लगता है कोई रोगी भयंकर बीमार है, लाखों उपाय करने पर भी वह ठीक नहीं हो रहा है तो यह प्रयोग आज ही करके देख लेना। एक प्याली में पानी लेना 27 बार नवकार मंत्र का धैर्यपूर्वक जाप कर उवसग्गहरं का पाठ और शांतिधारा का पाठ करने के बाद उस अभिमंत्रित जल को उस रोगी को पिला देना।

मन की धारा को उर्ध्वमुखी बनाता है नवकार महामंत्र

संतश्री ने कहा कि नवकार महामंत्र मन को कभी यह नवकार महामंत्र पाप की ओर जाने नहीं देता। जो कार्य ढाल अदा करती है, वही कार्य यह महामंत्र करता है। जैसे जल का काम हमेशा नीचे की तरफ जाना है, ऐसे ही मन का काम हमेशा नीचे की तरफ जाना है, अधोमुखी मन की धारा को जो उर्ध्वमुखी बना देता है- उसका नाम महामंत्र नवकार है। कष्ट में फंसे हुए आदमी को भी जो कष्ट से बाहर निकाल देता है उसका नाम महामंत्र नवकार है। महामंत्र नवकार अतिशय महिमा से भरा हुआ है, इसका पहला शब्द- णमो है यानि नमन। जैसे ही आप विनम्र हो जाते हैं आपके हर कार्य सधने शुरू हो जाते हैं। णमो अरिहंताणम् बोलते ही ब्रह्माण्ड की दिव्य शक्तियां हमसे अपने-आप ही जुड़नी शुरू हो जाती हैं। ब्रह्माण्ड की दिव्य शक्तियों को अपने भीतर आत्मसात करने के लिए अगर ब्रह्माण्ड में सबसे प्यारा कोई मंत्र है तो वह है महामंत्र नवकार।

कैसे करें महामंत्र नवकार का जाप

संतश्री द्वारा मंत्र जाप के लिए श्रद्धालुओं को अनिवार्य नियमों से अवगत कराया गया। जिनमें पहला- स्थान शुद्ध हो, दूसरा- शरीर शुद्ध हो, तीसरा- वस्त्र शुद्ध हो, चार- उच्चारण शुद्ध हो। नवकार मंत्र जाप के कल्याणकारी परिणामों पर प्रकाश डालते हुए संतश्री ने बताया कि नवकार मंत्र का जाप करने से- जीव का उद्धार होता है। सद्गुरु की प्राप्ति होती है। अनिष्ट का निवारण होता है। उन्नति-प्रगति का द्वार खुलता है। जीवन में बंधनों से छुटकारा मिलता है। जीवन में सद्गुणों का विकास होता है। भाग्य का उदय होता है। जीवन में रिद्धि और सिद्धि की प्राप्ति होती है। काय-कष्ट से इंसान मुक्त होता है। सरस्वती की कृपा बरसती है। लक्ष्मी की कृपा हमेशा बनी रहती है। शत्रुओं से हमेशा इंसान रक्षित रहता है। ब्रह्माण्ड की अदृश्य दिव्य शक्तियों की कृपा बरसती रहती है। सुखी दाम्पत्य जीवन रहता है। संतान हमेशा सुयोग्य बनती है। पारिवारिक सुखों की प्राप्ति होती है। नवगृहों की दशाएं सदा अनुकूल रहती हैं। भगवत् कृपा यानि ईश्वर की कृपा सदा बरसती रहती है। नवकार जाप करने वाला व्यक्ति हमेशा ब्रह्म ज्ञान को पाने का अधिकारी बना रहता है। सद्गति और स्वर्ग की प्राप्ति होती है। अंतत: आदमी को परम पद मोक्ष की प्राप्ति होती है। संतप्रवर द्वारा श्रद्धालुओं को नवकार महामंत्र के पांच पदों का जाप अलग-अलग मुद्राओं के द्वारा किए जाने का अभ्यास भी कराया गया।

कर्म करते समय हमेशा सजग-सावधान रहें: डॉ. मुनिश्री शांतिप्रिय

दिव्य सत्संग के पूर्वार्ध में डॉ. मुनिश्री शांतिप्रिय सागरजी ने कहा कि इंसान जैसे कर्म करता है, उसे वैसा ही फल भोगना होता है। इंसान सबकी आंखों में धूल झोंक सकता है लेकिन कर्म की आंखों में धूल नहीं झोंक सकता। इंसान सबसे बच सकता है लेकिन कर्म से नहीं बच सकता। जीवन में कर्म करते हुए हमेशा सजग-सावधान रहिए और वही कर्म कीजिए जिसका परिणाम आप सुख के रूप में प्राप्त करना चाहते हैं। स्वयं के द्वारा ऐसा कोई कर्म न हो, जिससे पाप का बंधन हो जाए। ऐसा कोई कर्म मत कीजिए जिसके करने से दूसरों को कष्ट हो। याद रखें कि दुखी व्यक्ति तो सुखी हो सकता है लेकिन दुख देने वाला कभी सुखी नहीं हो सकता।

अतिथियों ने प्रगटाया ज्ञान दीपक

श्रीऋषभदेव मंदिर ट्रस्ट के अध्यक्ष विजय कांकरिया, कार्यकारी अध्यक्ष अभय भंसाली, ट्रस्टीगण तिलोकचंद बरड़िया, राजेंद्र गोलछा व उज्जवल झाबक ने संयुक्त जानकारी देते बताया कि मंगलवार की दिव्य सत्संग सभा का शुभारंभ अतिथि गण शांतिलाल बरड़िया राजनांदगांव, सुनील सोनी, अजय चोपड़ा, देवानंद बरड़िया द्वारा ज्ञान का दीप प्रज्जवलित कर किया गया। सभी अतिथियों को श्रद्धेय संतश्री के हस्ते ज्ञानपुष्प स्वरूप धार्मिक साहित्य भेंट किये गये। अतिथि सत्कार श्रीऋषभदेव मंदिर ट्रस्ट के दिव्य चातुर्मास समिति के अध्यक्ष तिलोकचंद बरड़िया व श्रीऋषभदेव मंदिर ट्रस्ट के अध्यक्ष विजय कांकरिया व कार्यकारी अध्यक्ष अभय भंसाली द्वारा किया गया। सूचना सत्र का संचालन चातुर्मास समिति के महासचिव पारस पारख ने किया।

तपस्वी का हुआ बहुमान

श्रीऋषभदेव मंदिर ट्रस्ट एवं दिव्य चातुर्मास समिति की ओर से मंगलवार को 29 उपवास के तपस्वी रजत बंगानी पुत्र रमेश बंगानी नवापारा-राजिम तथा 15 उपवास की तपस्वी मुस्कान लोढ़ा का बहुमान किया गया।

आज प्रवचन 'समाज में एकता लाने के लिए क्या करें' विषय पर

दिव्य चातुर्मास समिति के अध्यक्ष तिलोकचंद बरड़िया, महासचिव पारस पारख, प्रशांत तालेड़ा, कोषाध्यक्ष अमित मुणोत व स्वागताध्यक्ष कमल भंसाली ने बताया कि बुधवार, 10 अगस्त को दिव्य सत्संग के अंतर्गत धर्म सप्ताह के तृतीय दिन 'समाज में एकता लाने के लिए क्या करें' विषय पर प्रवचन होगा। श्रीऋषभदेव मंदिर ट्रस्ट एवं दिव्य चातुर्मास समिति ने श्रद्धालुओं को चातुर्मास के सभी कार्यक्रमों व प्रवचन माला में भाग लेने का अनुरोध किया है।


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