छत्तीसगढ़

आने वाली पीढ़ी को स्वस्थ मिट्टी, पानी तथा पर्यावरण सौंपने का संकल्प लें: भूपेश बघेल

Shantanu Roy
22 April 2023 1:18 PM GMT
आने वाली पीढ़ी को स्वस्थ मिट्टी, पानी तथा पर्यावरण सौंपने का संकल्प लें: भूपेश बघेल
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छग
रायपुर। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा है कि धरती मांता हमें जीवन के लिए आवश्यक सभी तत्व प्रदान करती है। धरती से हम जितना प्राप्त करते हैं उतना ही हमें धरती को वापस भी लौटाने का प्रयास करना चाहिए। हम जिस प्रकार अपने स्वास्थ्य की चिन्ता करते हैं उतनी ही चिन्ता मिट्टी, पानी एवं पर्यावरण की भी करना चाहिए तभी हम आने वाली पीढ़ी को सेहतमंद मिट्टी, पानी और पर्यावरण सौंप सकेंगे। मुख्यमंत्री बघेल आज यहां अक्षय तृतीया के अवसर पर इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय में आयोजित राज्य स्तरीय अक्ती तिहार एवं माटी पूजन दिवस समारोह को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने इस अवसर पर आयोजित वृहद कृषक सम्मेलन में उपस्थित व्यक्तियों को मिट्टी, पानी तथा पर्यावरण की रक्षा का संकल्प भी दिलाया। समारोह की अध्यक्षता कृषि मंत्री रविन्द्र चौबे ने की। मुख्यमंत्री बघेल ने इसके पूर्व कृषि विश्वविद्यालय प्रक्षेत्र में माटी पूजन, ठाकुर देव की पूजा की और बीज बुवाई संस्कार के तहत लौकी, सेम तथा तोरई के बीज बोये। मुख्यमंत्री ने अच्छी फसल के लिए धरती माता से प्रार्थना करते हुए कोठी से धान के बीज लाकर पूजा की और गौ माता को चारा भी खिलाया। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने धरती माता से राज्यवासियों के धन-धान्य से भरे रहने की कामना की। अक्ति तिहार के अवसर पर मुख्यमंत्री ने ट्रैक्टर चलाकर खेत की जुताई की। इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने कृषि विश्वविद्यालय परिसर में कृषक सभागार भवन, नवनिर्मित क्लस्टर क्लासरूम भवन, महात्मा गांधी उद्यानिकी एवं वानिकी विश्वविद्यालय के कैम्प कार्यालय का उद्घाटन किया। उन्होंने इस अवसर पर इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय द्वारा विकसित विभिन्न फसलों के उन्नत प्रमाणीकृत बीजों की इंदिरा बीज के नाम से लॉन्चिंग भी की। इंदिरा बीज ब्रान्ड नेम से किसानो को उपलब्ध होने वाले इन बीजों में भौतिक शुद्धता, आनुवांशिक शुद्धता एवं अंकुरण प्रतिशत का संपूर्ण ध्यान रखा गया है। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा कि मुझे पूरा विश्वास है कि विश्वविद्यालय द्वारा विकसित इंदिरा बीज ब्रांड कृषकों के लिए लाभकारी होगा। इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय द्वारा प्रकाशित कॉफी टेबल बुक एवं अन्य प्रकाशनों का भी विमोचन किया। कार्यक्रम में कृषि विश्वविद्यालय के डिजिटल पोर्टल का शुभारंभ किया गया। किसानों को बीज, पौध सामग्री, कृषि यंत्र तथा अन्य आदान सामग्री वितरित की गई। मुख्यमंत्री ने यहां 21 किसानों को कृषि अभियांत्रिकी विभाग द्वारा दिये जाने वाले ट्रैक्टरों की चाबी प्रदान की गई। इस अवसर पर बेमेतरा जिले के महिला समूहों द्वारा मुख्यमंत्री एवं कृषि मंत्री को अलसी से बने जैकेट भेंट किये गये।
कृषक सम्मेलन को संबोधित करते हुए मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा कि हमें कृषि में रासायनिक खाद का उपयोग कम कर जैविक खेती की तरफ बढ़ना चाहिए। अक्ति और माटी पूजन त्यौहार धरती के प्रति अपनी कृतज्ञता प्रकट करने का त्यौहार है। हमें यह सोचना चाहिए कि प्रकृति से हम जितना ले रहें हैं उसके बदले में धरती को क्या वापस कर रहे हैं। अक्ति त्यौहार के अवसर पर खेती-किसानी का कार्य शुरू करने के लिए धरती माता से प्रार्थना कर हम उनसे अनुमति लेते हैं तब कुदाल चलाते हैं। धरती माता को जो क्षति होती है उसके लिए हम क्षमा मांगते हैं। इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने कृषि अभियांत्रिकी के पृथक संचालनालय बनाने की घोषणा की। मुख्यमंत्री ने अक्ति तिहार और भगवान परशुराम जयंती की शुभकामनाएं देते हुए कहा कि भगवान परशुराम ने ही अक्षयपात्र का निर्माण किया था। ऐसा माना जाता है कि भगवान परशुराम ने कृषि के क्षेत्र में भी कई शोध किए। उनका फरसा युद्ध के साथ खेती-किसानी में भी उपयोगी है। उन्होंने कहा कि छत्तीसगढ़ कृषि प्रधान प्रदेश है यहां कि 70 से 80 प्रतिशत लोग आजीविका के लिए कृषि पर निर्भर हैं। प्रदेश की अर्थव्यवस्था कृषि पर आधारित होने के कारण राज्य सरकार द्वारा किसानों के लिए कई नई योजनाएं संचालित कर उन्हें समृद्ध करने का कार्य किया है। इससे इन चार सालों में कृषि उत्पादन में अत्यधिक वृद्धि हुई है। मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य में किसान 20 क्विंटल प्रति एकड़ धान बेच सकेंगे, इससे किसानों को बहुत लाभ होगा। सरकार की किसान हितैषी नीतियों के कारण राज्य में धान का उत्पादन 107 लाख मीट्रिक टन हो चुका है। छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा कोदो औऱ कुटकी का समर्थन मूल्य निर्धारित किया गया है और उसकी खरीदी की व्यवस्था भी की है।
कृषि मंत्री रविन्द्र चौबे ने कहा कि अक्षय तृतीया जिसे छत्तीसगढ़ में अक्ती के नाम से भी जाना जाता है। आज के दिन हम धरती की पूजा करते हैं। आज के दिन खेतों में बीज डालने का मुहूर्त होता है। यह हम वर्षों से गांव में करते आ रहे हैं। आज अक्ति के दिन इस अवसर पर हमने विशेष आयोजन किया गया। कृषि मंत्री ने कहा कि छत्तीसगढ़ की उस परंपरा को पुनर्जीवित किया है, जो हमारी मूल परंपरा थी। चौबे ने कहा कि मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के नेतृत्व वाली राज्य सरकार की पहली प्राथमिकता कृषि एवं किसान हैं। हमारी सरकार की किसान हितैषी नीतियों के कारण कृषकों की संख्या, रकबा तथा उत्पादन भी बढ़ा है। कृषि उत्पादन आयुक्त डॉ. कमलप्रीत सिंह ने कहा कि मुख्यमंत्री जी के निर्देश पर राज्य के 9 हजार से अधिक गौठानों में 20 लाख क्विंटल से अधिक वर्मिकम्पोस्ट का निर्माण कर किसानों को उपलब्ध कराया गया है। उन्होंने कहा कि सरकार की पहल पर रबी में ग्रीष्मकालीन धान का रकबा 50 हजार हैक्टेयर कम हुआ है और इसके स्थान पर अन्य वैकल्पिक फसलें किसानों द्वारा ली जा रही है। इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. गिरीश चंदेल ने इस अवसर पर कहा कि इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय द्वारा विभिन्न फसलों की 160 से अधिक उन्न किस्में विकसित की गई हैं, अब इन फसलों के उन्नत एवं प्रमाणीकृत बीजों को इंदिरा बीज के रूप में किसानों को उपलब्ध कराया जाएगा। आज साढ़े तीन हजार किसानों को इंदिरा बीज के पैकेट प्रदान किये जा रहें हैं। उन्होंने कहा कि कृषि विश्वविद्यालय के प्रयासों से धान की जीराफूल किस्म के पश्चात हाल ही में नगरीदूबराज किस्म को भी भारत सरकार द्वारा जी.आई. टैग प्रदान किया गया है जिससे राज्य के किसानों को काफी लाभ होगा। उन्होंने बताया कि कृषि विश्वविद्यालय के अंतर्गत संचालित सात कृषि विज्ञान केन्द्रों में मिलेट कैफे प्रारंभ किये गये हैं और कृषि विश्वविद्यालय शीघ्र ही एम्स रायपुर में मिलेट कैफे खोलने जा रहा है। कार्यक्रम में बीज निगम के अध्यक्ष अग्नि चंद्राकर, शाकंभरी बोर्ड के अध्यक्ष रामकुमार पटेल, मुख्यमंत्री के सलाहकार प्रदीप शर्मा, धरसींवा विधायक श्रीमती अनिता योगेन्द्र शर्मा, कृषि उत्पादन आयुक्त डॉ. कमलप्रीत सिंह, इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. गिरीश चंदेल, नाफेड के वरिष्ठ महाप्रबंधक उन्नीकृष्णन कुरूप, उद्यानिकी विभाग के संचालक माथेश्वरण व्ही. श्रीमती चंदन त्रिपाठी, संचालक मत्स्य पालन एन.एस. नाग उपस्थित थे। इस अवसर पर राज्य शासन के कृषि उद्यानिकी, पशुपालन तथा मत्स्य पालन विभाग के वरिष्ठ अधिकारी, इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय के वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारी, कृषि वैज्ञानिक तथा बड़ी संख्या में कृषक बंधु उपस्थित थे।
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