छत्तीसगढ़

भाठागांव बस स्टैण्ड में अवैध बुकिंग एजेंटों का सिंडीकेट

Nilmani Pal
13 March 2023 5:29 AM GMT
भाठागांव बस स्टैण्ड में अवैध बुकिंग एजेंटों का सिंडीकेट
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आनलाइन टिकट में लूट, रसीदों से टैक्स की चोरी, खुलेआम गुंडागर्दी, बस मालिकों-यात्रियों से वसूली

जसेरि रिपोर्टर

रायपुर। भाठागांव में बस स्टैंण्ड में अवैध बुकिंग एजेंट डेरा डालकर बैठे हुए हैं। उनकी शिकायत कई बार बस मालिकों द्वारा कलेक्टर और एसपी से की गई है। इसके बाद भी टेबल-कुर्सी लगाकर वह अपना कारोबार चला रहे हैं। मना करने पर बस चालक परिचालक से मारपीट कर लूटपाट भी कर रहे हैं। बुकिंग एजेंट रोजाना यात्रियों से अवैध वसूली कर हजारों रुपए के जीएसटी की चोरी कर रहे हैं। बिना किसी लाइसेंस और पंजीयन कराए अपना कारोबार कर रहे हैं।ऑनलाइन टिकटों में वह इसका भुगतान करते है। लेकिन, अपनी रसीदों में उससे कई गुना ज्यादा वसूली करते हैं। कोई रेकॉर्ड और उल्लेख भी नहीं किया जाता। बता दें कि नियमानुसार एसी बसों की टिकटों पर 18 फीसदी जीएसटी लिया जाता है।

बताया जाता है कि बुकिंग एजेंट अपने गुर्गों के जरिए यात्रियों को पकड़कर लाते हैं। साथ ही उनकी टिकट ऑनलाइन बुक करने के बाद बसों में ले जाकर बिठाते हैं। बस मालिकों का कहना है कि टिकटों की ऑनलाइन बुकिंग के कारण यात्रियों का इंतजार करना पड़ता है। उनके आने के बाद ही बसों को रवाना करना पड़ता है। पिछले दिनों सांई ट्रैवल्स के चालक के साथ मारपीट कर 16000 रुपए नकद, मोबाइल फोन और हैडफोन लूटने की घटना हुई है। इसकी शिकायत करने के बाद भी अब तक कोई कार्रवाई नहीं की गई है।

आनलाइन बुकिंग में लूट

-लंबी दूरी की बसों की टिकटों की ऑनलाइन बिक्री के चलते बुकिंग एजेंट चांदी काट रहे है। यात्रियों की टिकट बुक करने के बाद उन्हें वास्तविक किराए की जानकारी नहीं दी जाती। वह अपनी रसीदों पर टिकटों की बुकिंग करते है। बिना किसी लाइसेंस के अपने नाम की ट्रैवल्स एजेंसी खोलकर देशभर के सभी प्रमुख शहरों के लिए कागजों में बसों का संचालन किया जा रहा है। जबकि रायपुर बस स्टैण्ड से सीधी बस सेवा भी उपलब्ध नहीं है। अवैध एजेंट रसीदों से काटी जा रही टिकटों के जरिए टैक्स चोरी भी कर रहे हैं। यात्रा टिकट पर 18 फीसदी जीएसटी लगता है जो ये नहीं पटा रहे हैं। वाबजूद जीएसटी और एक्साइज डिपार्टमेंट खामोश है।

बस मालिकों की मजबूरी

दूसरे राज्यों से आने वाली बस मालिकों को सर्वाधिक परेशानियों का सामना करना पड़ता है। रायपुर में अधिकृत दफ्तर नहीं होने के कारण स्थानीय ट्रैवल्स एजेंसियों के भरोसे रहना पड़ता है। इसके चलते बुकिंग एजेंट अपनी मनमानी करते हैं। उन्हें यात्रियों के आने तक इंतजार करना पड़ता है। जिला प्रशासन, पुलिस और परिवहन विभाग द्वारा कोई कार्रवाई नहीं की जा रही है। इसके चलते उन्हें नुकसान उठाना पड़ रहा है।

आनलाइन और ऑफ लाइन टिकिट में

100-200 रूपए का डिफरेंस

बुकिंग एजेंट रोजाना अवैध वसूली कर हजारों रुपए के जीएसटी की चोरी कर रहे है बिना किसी लाइसेंस और पंजीयन कराए अपना कारोबार धड़ल्ले से कर रहे है। आन लाइन टिकटों में वह इसका भुगतान करते है। लेकिन अपनी रसीद में उससे कई गुना ज्यादा वसूली करते है। कोई रिकोर्ड और उल्लेख भी नहीं किया जाता नियमानुसार एसी बसों की टिकटों में 18 प्रतिशत जीएसटी लिया जाता है। सरकार ने यात्रियों को अंतर्राज्यीय सुविधा देने के लिए पंडरी से उठा कर भाटागांव में बस स्टैंड शिप्ट करने के पीछे मंशा यही थी कि यात्रियों को भरपूर सुुविधा मिले लेकिन यहां तो उल्टी गंगा बह रही है। भाठागांव अंतर्राज्यीय बस स्टैंड अंतर्राज्यीय टिकट ब्लेक मेकरों के जद में आ चुका है जहां यात्रियों को दादागिरी के साथ मनमानी कीमत पर टिकिट पकड़ाया जा रहा है। टिकिट की कीमतों को लेकर कोई सुनवाई नहीं है। भाठागांव बस स्टैंड में सब आपरेटरों के गुर्गे बिना लाइसेंस और बिना अनुमति के अवैध रूप से पाटा बिछाकर टिकट में अवैध वसूली कर रहे है। निगम प्रशासन तो मूक दर्शक बनकर यात्रियों को लुटते हुए तमाशा देख रहा है। एक ही टेवल में अन्य राज्यों के बसों की टिकिट दौ से तीन गुना ज्यादा दाम पर बेच रहे है। नए बस स्टैंड से देशभर के 8 आठ राज्यों के लिए रोजाना 90 से ज्यादा बसों का संचालन हो रहा है उसके साथ ही 10 यात्रियों को रोज आना-जाना हो रहा है।

आनलाइन और आफलाइन का अंतर

मान लो आपको अंबिकापुर जाना है तो आनलानि बुकिंग 500 रुपए में होगा वहीं ऑफ लाइन 7 से 8 सौ रूपए लिया है। वहीं दंतेवाड़ा 650 आनलाइन और ऑफ लाइन 7 से 8 सौ। झारसुगड़ा 5 सौ तो आफ लाइन 650 से 800 रुपए तो ऑफ लाइन हजार से 15 सौ रुपए लिया जा रहा है। कुछ बोलने पर हु-हुज्जत किया जाता है। ज्यादा विरोध करने पर मारपीट में बी उतर जाते है। बस स्टैंड न होकर यह यात्रियों को बेइज्ज्त करने का अड्डा बन गया है। यदि आप बस से यात्रा कर रहे है तो यह मान कर चलो कि किसी भी मामले में आपकी बेइज्जती हो सकती है। क्यंोंकि यहां सुबह से ही लुटेरों की महफिल सज जाता है जो देर रात तक चलते रहता है। जो हर यात्री को बकरे की नजरिए से देखता है। उसे तो कमाई से मतलब है, प्रदेश में आने जाने वाले यात्रियों में क्या संदेश जा रहा है उससे एजेंटों को कोई मतलब नहीं है। वो तो लुटने का एक सूत्रीय अभियान को संचालित कर रहे है। टिकट की कमाई का गिरोह में बंटवारा करना है और शाम होते ही सारे एजेंटों की मुर्गा-दारू पार्टी शुरु हो जाती है। भाठागांव बस स्टैंड में बुकिंग एजेंट यात्रियों से तय किराया से दो से तीन गुना अधिक वसूल करते है। एजेंटों की नियमित जांच व मानिटरिंग नहीं होने से बस स्टैंड में अवैध कारोबार बेखौफ फल-फूल रहा है। एजेंट आनलाइन टिकिट खरीदकर यात्रियों से निर्धारित टिकट के दो गुना तक वसूली कर रहे है। आईएसबीटी में अंदर -बाहर मिलाकर कुल 20 दुकानें है, इन पक्की दुकानों के अलावा परिसर में कहीं भी काुंटर लगाने की अनुमति नहीं है। इसके बावजूद वहां 25 से ज्यादा ट्रैवल एजेंसियां और बुकिंग एजेंट बस स्टैंड परिसर में टेबल लगाकर टिकिट काट रहे है। पुलिस-परिवहन और निगम प्रशासन के जिम्मेदार अधिकारी मौन साधे तमाशा देख रहे है।

कमीशन दर कमीशन एजेंट

टिकट काटने वाले बुकिंग एजेंट व्दारा कमीशन पर गुर्गे को रखा गया है,यात्रियों को पकड़कर उसे अपने काउंटर पर लाते है, फिर गंतव्य स्थान की जानकारी और यात्रियों की संख्या देखकर अपने लैपटाप पर आनलाइन सीटों की संख्या और टिकट की रकम देखते है। सबसे कम किराए पर ले जाने वाली बस की टिकट उनके नाम पर बुक करने के बाद अपनी रसीद पर काटकर देते है। साथ ही आनलाइन बुकिंग नंबर दिखाकर उनेहें बसों में बैटाते है। इसके एवज में उन्हें बुकिंग एजेंट 20प्रतिशत कमीशन तयकर रखा है।

उच्चाधिकारियों से शिकायत

बस स्टैंड में अवैध रूप से टेबल-कुर्सी लगाकर बुकिंग एजेंट निर्धारित किराए से ज्यादा सात्रियों से वसूली कर रहे है इसकी शिकायत कलेक्टर और एसएसपी से की गई है, साथ ही कड़ी कार्रवाई करने का अनुरोध किया है।

गड़बडिय़ों की होगी जांच

इस मामले में सचिव परिवहन विभाग एस प्रकाश ने कहा कि बस स्टैंड में टिकट एजेंट यात्रियों से अधिक किराया वसूल रहे है तो इसकी जांच करवाता हूं। पहले भी जांच और कार्रवाई की गई है। समय-समय पर मानिटरिंग होती है।

गुर्गे काट रहे है चांदी

बताया जाता है कि बुकिंग एजेंट और उनके गुर्गे ही भाटागांव बस स्डैंट में चांजदी काट रहे है? किसी की कमाई हो या न हो टिकट बुकिंग करने वाले और उसके दलाल की कमाई तय मानी जाती है। कुछ दिनों पहले शिकायत पर कलेक्टर एसएसपी ने कार्रवाई की थी। बस मालिकों का कहना है कि टिकटों की ऑनलाइन बुक करने के कारण यात्रियों को इंतजार करना पड़ता है। उनके आने के बाद ही बसों को रवाना करना पड़ता है। पिछले दिनों मारपीट की भी घटना हुई। दूसरे राज्यों से आने वाली बस मालिकों को सर्वाधिक परेशानियों का सामना करना पड़ता है। रायपुर में अधिकृत दफ्तर नहीं होने रे कारण स्थानीय ट्रैवल्स एजेंसियों के भरोसे रहना पड़ता है। इसके चलते बुकिंग एजेंट अपनी मनमानी करते है, उन्हें यात्रियों के आने तक इंतजार करना पड़ता है?

-इस संबंध में छग यातायात महासंघ अध्यक्ष ने बताया कि बुकिंग एजेंटों को हटाने के लिए परिवहन मंत्री मो. अकबर से मुलाकात कर शिकायत की जाएगी।

एक समूह का वर्चस्व

लोगों को यह समझ में नहीं आ रहा है कि ये अवैध एजेंट बस स्टेंड में किसकी शह पर हुकूमत चला रहे हैं। जब बस आपरेटर अपने बुकिंग एजेंट नियुक्त नहीं किए हैं तो इन बुकिंग एजेंटों पर किसका नियंत्रण है क्या इनकी नियुक्ति जिला प्रशासन और निगम के माध्यम से हुआ है या फिर इन्हें कांटे्रक्ट दिया गया है। इन बुकिंग एजेन्टस द्वारा बस सेवा भी संचालित नहीं की जा रही है। बावजूद बस स्टैंड पर इनकी मोनोपल्ली और सिंडीकेट का संचालन कैसे हो रहा है। आखिर इसकी पीछे किसका हाथ है और जिला और पुलिस प्रशासन की खामोश क्यों है यह भी सोचने वाली बात है।

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