छत्तीसगढ़

पत्नी के चरित्र पर शक कर बेटे को अपनाने से कर दिया था मना, डीएनए टेस्ट के बाद साथ रहने हुए राजी

Nilmani Pal
15 May 2022 2:41 AM GMT
पत्नी के चरित्र पर शक कर बेटे को अपनाने से कर दिया था मना, डीएनए टेस्ट के बाद साथ रहने हुए राजी
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बिलासपुर। अतिरिक्त प्रधान न्यायाधीश की अदालत में वर्ष 2016 से भरण पोषण का प्रकरण नेशनल लोक अदालत में पेश किया गया। इसमें पति ने पत्नी के चरित्र पर शक कर पुत्र को अपनाने से मना कर दिया था। अदालत ने डीएनए टेस्ट कराया। रिपोर्ट में दोनों की संतान होना पाया गया। नेशनल लोक अदालत में आपसी सुलह के बाद परिवार एकसाथ रहने के लिए राजी हो गया। कुटुम्ब न्यायालय के प्रधान न्यायाधीश रमाशंकर प्रसाद एवं अति प्रधान न्यायाधीश श्री श्यामलाल नवरत्न की न्यायालय में दूरस्थ ग्रामीण अंचल से आए पति पत्नी एवं अन्य पक्षकारों के मामले जिसमें दांपत्य पुनर्स्थापना, संरक्षक एवं प्रतिपाल्य अधिनियम, भरण घोषण के कुल 54 प्रकरण पक्षकारों की सहमति के आधार पर राजीनामा होने के आधार पर निराकृत किए गए। विधवा बहू को ससुर आठ हजार स्र्पये भरण पोषण अदा करेगा।

प्रधान न्यायधीश, कुटुंब न्यायालय रमाशंकर प्रसाद की अदालत में आवेदिका परिवर्तित नाम रमा जागड़े एवं उसकी दो नाबालिग संतान द्वारा हिंदू दत्तक एवं भरण पोषण अधिनियम की धारा-22 के तहत अपने ससुर परिवर्तित प्रेमलाल जांगडे निवासी मगरपारा के विरुद्ध आवेदन पेश की। इसमें आवेदिका के पति की एक दुर्घटना में मृत्यु हो गई थी और उसके दो बच्चों के भरण पोषण के लिए अनावेदक ससुर को अदालत ने समझाइश दी। दोनों पक्षों को सहमति से प्रधान न्यायाधीश रमाशंकर प्रसाद ने आठ हजार स्र्पये प्रतिमाह भरण पोषण आदेश पारित किया गया।


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