छत्तीसगढ़

सुराजी योजना से गांवों में खुशहाली का नया दौर...टमाटर की खेती से आर्थिक समृद्धि की ओर अग्रसर हो रहे कृषक

Admin2
29 Oct 2020 4:31 PM GMT
सुराजी योजना से गांवों में खुशहाली का नया दौर...टमाटर की खेती से आर्थिक समृद्धि की ओर अग्रसर हो रहे कृषक
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छत्तीसगढ़ शासन की सुराजी गांव योजना से गांवों में खुशहाली का नया दौर शुरू हो चुका है। सुराजी योजना के गौठानों से ग्रामीण अर्थव्यवस्था को गति मिली है, वहीं इस योजना के एक महत्वपूर्ण घटक बाड़ी विकास कार्यक्रम का लाभ उठाकर ग्रामीण किसान आर्थिक समृद्धि की ओर अग्रसर हो रहे हैं।

राज्य के सीमावर्ती जिले बलरामपुर में बाड़ी विकास कार्यक्रम ने किसानों की आर्थिक स्थिति को बेहतर बनाने में मदद दी है। बाड़ी विकास कार्यक्रम का लाभ उठाकर शंकरगढ़ विकासखण्ड के ग्राम चलगली के प्रगतिशील कृषक मोहम्मद कलील अंसारी द्वारा बाड़ी में उन्नत कृषि पद्धतियों का प्रयोग कर टमाटर का बंफर उत्पादन किया जा रहा है। मोहम्मद कलील अंसारी अपनी टमाटर के खेती की सफलता का श्रेय अपनी कठिन परिश्रम के साथ राज्य पोषित योजनांतर्गत पोषण बाड़ी को देते हैं। मोहम्मद कलील अंसारी बताते हैं कि उसके पास लगभग 2 एकड़ बाड़ी है। वह पहले परम्परागत तरीके से खेती करते थे। कृषि के उन्नत तकनीक एवं ज्ञान के अभाव में उत्पादन इतना कम होता था कि परिवार के खर्च को चलाना मुश्किल हो जाता था। सुराजी योजना के तहत बाड़ी विकास कार्यक्रम की जानकारी मिलने पर अपनी कृषि आय को बढ़ाने के उद्देश्य से उन्होंने उद्यान विभाग से सम्पर्क किया। उद्यान विभाग के अधिकारियों ने उसे उन्नत खेती करने कि सलाह दी। उद्यान विभाग की सहायता से पोषण बाड़ी योजना में भाग लेकर टमाटर की फसल लेने का निर्णय लिया। मोहम्मद कलील अंसारी ने अपने बाड़ी में उद्यान विभाग की सहायता तथा मार्गदर्शन से पोषण बाड़ी योजनांतर्गत 1.5 एकड़ बाड़ी में टमाटर की खेती की। उन्नत कृषि पद्धति एवं अच्छी देख-रेख से टमाटर के फसल का बंफर उत्पादन हुआ। टमाटर प्रति कैरेट 700 से 900 रूपये तक नजदीक की सब्जी मण्डी में बेचने के साथ ही उनके द्वारा उत्पादित टमाटर अम्बिकापुर, डाल्टेनगंज, गढ़वा के व्यापारी भी उनकी बाड़ी में आकर नगद खरीद रहे हैं। मोहम्मद कलील अंसारी ने टमाटर की खेती से 2 लाख 80 हजार रूपये मुनाफा कमाया है। टमाटर की खेती ये हुई आमदनी ने कलील अंसारी के चहेरे पर मुस्कान बिखेर दी है। मोहम्मद कलील अंसारी से प्रेरित होकर आसपास के गांव के कृषक उद्यानिकी फसलों को अपनाने लगे हैं।


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